कब और कैसे भारत को मिला था अपना पिन कोड, बेहद रोचक है इतिहास

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नई दिल्ली: एक दौर था जब लोगों के पास एक-दूसरे के हालचाल या किसी अन्य कामों को लेकर मुख्य साधन पत्र हुआ करता था. जो डाक के माध्यम से भेजा जाया जाता था. लेकिन आज के आधुनिक युग में पत्र का इस्तेमला थोड़ा कम किया जाता है.

बता दें कि व्यक्तिगत जीवन में फिलाहल तो पत्र और पोस्ट कार्ड जैसी चीजे इतिहास बन गई है. लेकिन पत्र से संबंधित एक चीज ऐसी है जिसका अभी भी महत्व कम नहीं हुआ है. अब आप सोच-विचार में पड़ गए होंगे की आखिर वह क्या चीज है तो आपको हम बता दें कि आपके इलाके का पिन कोड (PIN CODE) है.

 

भारत में पिन कोड की शुरुआत 15 अगस्त, 1972

जब आप किसी को पत्र भेजते हो तो उस दौरान पिन कोड की अहमियत हम सभी को दिखाई देती है. वैसे भी आज पिन कोड का इस्तेमाल काफी चीजों में किया जाता है फिर चाहे वो बैंकिंग हो या फिर शॉपिंग ही क्यों न. तो आज हम आपको बताएंगे की भारत में पिन कोड की कब और कैसे शुरुआत हुई.

बता दें कि यह पिन कोड संचार मंत्रालय के पूर्व सचिव श्रीराम भिकाजी वेलांकर की देन है. इसकी शुरुआत भारत में 15 अगस्त, 1972 को हुआ. पिन कोड सिस्टम का प्रारंभ इसलिए किया गया ताकी डाक को आसानी से छांटा जा सकें. क्योंकि अक्सर कई बार समे इलाकों के होने के वजह से काफी कन्फ्यूजन देखी जाती है. ऐसे में यह पता लगाना परेशानी का सबक बन जाता है कि डाक को किस इलाके में भेजना है. अलग-अलग भाषाओं के प्रयोग से भी स्थिति असहज हो जाती है. काफी बार लोग ऐसा लिखते है कि जिससे पता साफ-साफ नजर नहीं आता है. इस सबके कारण ये जरूरत महसूस की गई कि इलाकों की नंबरिंग की गई.

पिन को पोस्टल इंडेक्स नंबर (Postal Index Number) भी कहते है. देश को नौ पिन जोन में बांटा गया है जिनमें से एक जोन सेना को दिया गया है. ये है पिन नंबर…..

  • दिल्ली-11
  • पंजाब-14 से 16 तक
  • हिमाचल प्रदेश-17
  • ओडिशा-75 से 77 तक
  • हरियाणा-12 और 13
  • महाराष्ट्र-40 से 44 तक
  • राजस्थान-30 से 34 तक
  • गुजरात-36 से 39 तक
  • तमिलनाडु-60 से 64 तक
  • जम्मू-कश्मीर-18 से 19 तक

  • पूर्वोत्तर-79
  • महाराष्ट्र-40 से 44 तक
  • कर्नाटक-56 से 59 तक
  • मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़-45 से 49 तक
  • आंध्र प्रदेश और तेलंगाना-50 से 53 तक
  • उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड-20 से 28 तक
  • केरल-67 से 69 तक
  • पश्चिम बंगाल-70 से 74 तक
  • असम-78
  • बिहार और झारखंड-80 से 85 तक
  • सेना डाक सेवा (एपीएस)-90 से 99 तक

आपको बता दें कि पिन कोड का शुरू से तीसरा अंक जिले के लिए होता है. जैसे संलग्न तस्वीर में 0 है. इसमें शुरू का दो अंक 11 है, जिसका मतलब यह दिल्ली का पिन कोड है. वहीं आखिरी का तीन अंक डाकघर के लिए होता है. जैसे जैसे संलग्न तस्वीर में 031 है.