Gujarat Assembly elections: गुजरात में पाटीदार समुदाय की चर्चा इतनी ज्‍यादा क्‍यों? बीजेपी, कांग्रेस, आप की नजर, समझ‍िए पूरा गण‍ित

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Gujarat Assembly elections: गुजरात में पाटीदार समुदाय की चर्चा इतनी ज्‍यादा क्‍यों? बीजेपी, कांग्रेस, आप की नजर, समझ‍िए पूरा गण‍ित

Gujarat Assembly elections: गुजरात में पाटीदार समुदाय की चर्चा इतनी ज्‍यादा क्‍यों? बीजेपी, कांग्रेस, आप की नजर, समझ‍िए पूरा गण‍ित

अमहदाबाद: सितंबर 2021 में तय होता है क‍ि गुजरात के अगले मुख्‍यमंत्री पाटीदार नेता भूपेंद्र पटेल (Bhupendra patel) होंगे। उन्‍हें आनंदी बेन पटेल की जगह राज्‍य की कमान सौंपी गई। राज्‍य में 2022 के अंत में विधानसभा चुनाव (Gujarat assembly election 2022) होने हैं। तारीखों का ऐलान तो नहीं हुआ है। लेकिन राजनीत‍िक दल तैयारी में लग गए हैं। इसी बीच सत्‍ताधारी बीजेपी (BJP) ने 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन से जुड़े 10 मुकदमे वापस ले लिए। इन 10 लोगों में हार्दिक पटेल (Hardik Patel) का भी नाम है जो अब कांग्रेस (Conress) के साथ हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) ने हाल ही में तिरंगा यात्री निकाली, वह भी पाटीदार बहुल क्षेत्र में। गुजरात में पाटीदार (Patidar) समाज की धार्मिक संस्था खोडलधाम के चेयरमैन नरेश पटेल (Patidar Leader Naresh Patel) को हर होई अपने साथ लेना चाहता है।

कर कोई पाटीदार वोट बैंक को नजर में रखकर अपनी रणनीत‍ि बना रहा है। फिर चाहे सत्‍ताधारी भाजपा की हो या राज्‍य में फिर से सत्‍ता में आने का प्रयास कर रही कांग्रेस। पंजाब में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी भी राज्‍य में खेल करने की कोश‍िश में है। आप तो यहां तक कह रही है क‍ि वो इस चुनाव में अच्‍छा प्रदर्शन करेगी। आख‍िर पाटीदार वोट बैंक इतना जरूरी क्‍यों है, क्‍यों हर दल की नजर है इस पर?

क्‍यों जरूरी हैं पाटीदार?
गुजरात की राजनीति में पाटीदार हमेशा से निर्णायक भूमिका में रहे हैं। लेउवा पटेल, सौराष्ट्र और कच्छ के इलाके में ज्यादा, राजकोट, जामनगर, अमरेली, भावनगर, जूनागढ़, पोरबंदर, सुरेंद्रनगर जिलों में बहुतायत, पाटीदार की एक उपजाति है। सौराष्ट्र के 11 जिलों के अलावा सूरत में भी ज्यादा प्रभाव है। ये समुदाय खुद को भगवान राम का वंशज बताता है। अलग-अलग रिपोर्ट के अनुसार गुजरात में पाटीदारों की संख्‍या लगभग 15 फीसदी है। वैसे तो इनकी संख्‍या लगभग हर जिलों में है। लेकिन उत्‍तर गुजरात के सौराष्‍ट्र में इनकी संख्‍या सबसे ज्‍यादा है।

कहा जाता है क‍ि सूबे की कुल 182 सीटों में से लगभग 70 सीटों पर इनका प्रभाव है। या कहा जाए क‍ि इतनी सीटों पर इनके वोट जीत और हार तय कर सकते हैं। 2012 में विधानसभा चुनाव में भाजपा को 48 फीसदी वोट मिला था, उसमें पाटीदारों की ह‍िस्‍सेदारी 11 फीसदी थी। लेकिल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में ग‍िरावट देखी गई। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पाटीदारों के 60 फीसदी वोट बीजेपी को मिले जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में मात्र 49.1 फीसदी मिला।

वर्ष 2017 के गुजरात चुनाव में बीजेपी को सिर्फ 99 और कांग्रेस को 82 सीटें मिली थीं। बीजेपी 2012 में गुजरात में 50 पाटीदारों को टिकट दिया गया था, जिनमें से 36 ने जीत दर्ज की थी। वहीं, 2017 के चुनाव में बीजेपी के 28 और कांग्रेस के 20 पाटीदार विधायक जीते थे। गुजरात में फिलहाल बीजेपी के 44 विधायक, 6 सांसद और राज्यसभा में तीन सांसद पाटीदार समुदाय से हैं।

बीजेपी के लिए खतरे की घंटी?
एक समय था जब कहा जाता था क‍ि पाटीदार वोट बैंक कभी कांग्रेस के साथ हुआ करता था। लेकिन 1980 के बाद जब कांग्रेस ने दूसरे समुदायों पर ज्‍यादा ध्‍यान शुरू किया तो पाटीदार समुदाय छिटकने लगा। यहां से उन्‍होंने बीजेपी की ओर रुख किया। इसी को देखते हुए भाजपा ने पाटीदार नेता केशुभाई पटेल को दो बार राज्‍य का सीएम बनाया। गुजरात भूकंप के बाद पार्टी में हुए विवाद के बाद ये कुर्सी नरेंद्र मोदी की दी गई। बाद में केशुभाई पटेल से भाजपा से अलग हो गए।

2014 में बीजेपी ने पाटीदार समुदाय की आनंदी बेन पटेल को ही सीएम बनाया। उन्‍हीं के कार्यकाल में पटेल आरक्षण आंदोलन हुआ था और जिसकी वजह से उन्‍हें अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। इसके बाद जब विजय रुपाणी को सीएम बनाया गया तो पटेल वोटों को ध्‍यान में रखकर नितिन पटेल को उप मुख्‍यमंत्री की कुर्सी दी गई। इन सबके बावजूद 2017 के चुनाव में बीजेपी को नुकसान हुआ। 2022 के चुनाव में बीजेपी रिस्‍क नहीं लेना चाहती। ऐसे में भूपेंद्र पटेल पार्टी को लीड कर रहे हैं।

पाटीदार वोट बैंक पर सबकी नजर
जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा, हर कोई पाटीदार समुदाय को अपने खेमे में लाने की कोश‍िश में लगा है। कांग्रेस ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को कार्यकारी प्रदेश अध्‍यक्ष बना रखा तो वहीं आम आदमी पार्टी ने इसी समुदाय के गोपाल इटालिया को पार्टी की कमान सौंपी है। आप ने निकाय चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए सूरत नगर निगम में जहां पाटीदार सबसे ज्‍यादा हैं, वहां 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी। मौजूदा बीजेपी विधायक भी पाटीदार समुदाय के हैं।



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