Gopal Kanda: चौटाला के गढ़ में BJP लगा सकेगी सेंध, JJP के लिए भी चुनौती बनेंगे गोपाल कांडा

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Gopal Kanda: चौटाला के गढ़ में BJP लगा सकेगी सेंध, JJP के लिए भी चुनौती बनेंगे गोपाल कांडा

Gopal Kanda: चौटाला के गढ़ में BJP लगा सकेगी सेंध, JJP के लिए भी चुनौती बनेंगे गोपाल कांडा

चंडीगढ़: दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने सिरसा के विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल कांडा (Gopal Kanda) को बरी कर दिया है। इससे हरियाणा की राजनीति में कई बदलाव देखने को मिलेंगे। हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) सुप्रीमो गोपाल कांडा अब खुलकर सरकार के साथ आएंगे। आने वाले दिनों में वह एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं।

1996 के बाद से बीजेपी सिरसा नहीं जीती

सिरसा जिले में बीजेपी मजबूत होगी। कांडा का CM मनोहर लाल से अच्छा तालमेल है। चौटाला परिवार के किले को ध्वस्त करने में वह BJP का सहयोग कर सकते हैं। अग्रवाल समाज से जुड़े कांडा के जरिए बीजेपी पूरे हरियाणा में वैश्य समाज को भी साध सकती है। चौटाला परिवार के गढ़ सिरसा में बीजेपी करीब 27 साल से कभी जीत नहीं सकी। 1996 के बाद से बीजेपी ने यहां से विधानसभा सीट नहीं जीती। 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में मोदी लहर के बावजूद भी सिरसा से बीजेपी की झोली खाली रही। गोपाल कांडा से बीजेपी को फायदा हो सकता है। वह सिरसा में बीजेपी की गैर जाट राजनीति का चेहरा बन सकते हैं। अभी तक यहां जाट राजनीति होती रही है। जिससे चौटाला परिवार की 2 पार्टियों इनेलो और जेजेपी को फायदा मिलता रहा है। कांडा के खुलकर सामने आने से दो पार्टियों के लिए चैलेंज बढ़ेगा।

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कृषि कानून पर दिया बीजेपी का साथ
गोपाल कांडा ने वर्ष 2014 में हरियाणा लोकहित पार्टी का गठन किया था। 2019 में गोपाल कांडा ने एचएलपी के बैनर तले चुनाव जीता और विधानसभा पहुंचे। दूसरी बार मनोहर सरकार के गठन के समय एक बार तो कांडा निर्दलीय विधायकों को अपने साथ लेकर दिल्ली पहुंच गए थे, लेकिन गीतिका शर्मा आत्महत्या केस के चलते बीजेपी ने उनका समर्थन नहीं लिया और वह मनोहर पार्ट-टू में मंत्री बनने से चूक गए। इसके बावजूद कांडा ने हर मोर्चे पर बीजेपी का खुलकर समर्थन किया। कृषि कानूनों के मुद्दे पर जब विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया तो कांडा ने बीजेपी का समर्थन किया। इस केस के चलते कांडा खुद तो कभी फ्रंट पर नहीं आए लेकिन उन्होंने ऐलनाबाद उपचुनाव के दौरान अपने भाई गोबिंद कांडा को बीजेपी में शामिल करवा दिया। गोबिंद कांडा बीजेपी के टिकट पर ऐलनाबाद से उपचुनाव भी लड़े।
केस के कारण अमित शाह के मंच पर नहीं जा सके
बीजेपी के प्रत्येक कार्यक्रम में गोपाल कांडा ने अपने भाई गोबिंद कांडा को आगे रखकर अपनी राजनीति चलाई। हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह के सिरसा दौरे के दौरान भी गोपाल कांडा इसी केस के कारण उनके मंच पर नहीं जा सके। वहां भी गोबिंद कांडा ने ही मोर्चा संभाला। अमित शाह जब रणजीत सिंह चौटाला के आवास व अन्य स्थानों पर गए तब गोपाल कांडा ने उनके साथ मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने जब सिरसा में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, तब भी गोपाल की बजाए गोविंद कांडा ही मुख्यमंत्री की अगुवाई में रहे। अब इस केस से बरी होने के बाद गोपाल कांडा खुलकर खुलकर के साथ आएंगे। यही नहीं बीजेपी को एनडीए की सहयोगी के रूप में एक और पार्टी मिल गई है। अभी तक भाई को आगे करके राजनीति कर रहे गोपाल कांडा अब खुद फ्रंट लाइन की राजनीति करेंगे।

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कोर्ट के फैसले से सियासी जीवनदान
कोर्ट के इस फैसले से 11 साल से राजनीतिक किनारे पर चल रहे सिरसा MLA गोपाल कांडा को सियासी जीवनदान मिल गया है। असल में गीतिका सुसाइड केस कांडा की सियासी रास्ते की सबसे बड़ी मुश्किल थी। इससे न केवल पहले उनकी मंत्री की कुर्सी गई, बल्कि दूसरी बार मंत्री बनने की मंशा भी पूरी न हो सकी।

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