Ghaziabad: 286 करोड़ प्रॉपर्टी टैक्स वसूलेगा नगर निगम, अपने ही बुने जाल में कैसे फंस गया टैक्स विभाग? h3>
गाजियाबादः बकाया हाउस, टैक्स को लेकर अब नगर निगम का टैक्स विभाग अपने ही बुने जाल में फंस गया है। इसके चलते चालू वित्तीय वर्ष में नगर निगम प्रशासन को पिछले वर्ष के मुकाबले करीब 80 करोड़ रुपये अधिक हाउस टैक्स की वसूली करनी होगी। इसको लेकर टैक्स विभाग के अधिकारी टेंशन में आ गए हैं। वहीं दूसरी ओर शासन का कहना है कि नगर निगम को अब सर्वे के हिसाब से सभी प्रॉपर्टी से टैक्स की वसूली करनी होगी। इसका लक्ष्य 286 करोड़ रुपये के सापेक्ष प्रति महीने तय किया जाएगा। नगर विकास विभाग इसकी समीक्षा करेगा।
नोटिस देने में छूटे निगम को पसीने
जीआईएस सर्वे करने वाली कंपनी ने जो डेटा यूपी सरकार को दिया है उसके हिसाब से गाजियाबाद में पहले टैक्स अदा करने वालों की संख्या 4 लाख 42 हजार थी। नए सर्वे से शहर में कुल प्रॉपर्टी 6 लाख 68 हजार हैं। ऐसी प्रॉपर्टी जिनसे निगम को पहली बार टैक्स लेना है इनकी संख्या 2 लाख 26 हजार है। निगम अब नई प्रॉपर्टी पर टैक्स लगाने के लिए उन्हें नोटिस भेजेगा। नोटिस भेजने को लेकर निगम के सभी जोनल प्रभारियों की टेंशन बढ़ गई है। वहीं शासन ने कहा है कि सभी प्रॉपर्टी से टैक्स की शत प्रतिशत वसूली होनी चाहिए।
शासन करेगा वसूली की समीक्षा
दरअसल शासन नगर निगम की टैक्स से इनकम बढ़ाने की कोशिश में है। ऐसे में टैक्स से वसूली बढ़े इसी को लेकर नगर विकास विभाग अब वसूली को लेकर अपने स्तर से मासिक समीक्षा करेगा। शहर की कितनी प्रॉपर्टी पर टैक्स वसूली का नोटिस गया और कितनी पर और नोटिस दिया जाना है इसकी पूरी डिटेल भी शासन मांग रहा है। ताकि टैक्स वसूली में कोताही न बरती जाए। कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा ने कहा कि हाल ही में शहर में प्रॉपर्टी के सर्वे के हिसाब से टैक्स की वसूली की जाएगी। पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार करीब 80 करोड़ अधिक टैक्स निगम वसूलेगा। इससे निगम की इनकम बढ़ेगी।
सर्वे का डेटा पहुंचा तो शासन हुआ सख्त
बीते वित्त वर्ष 2022-23 में नगर निगम ने कुल 206 करोड़ रुपये की टैक्स वसूली की थी। समीक्षा के दौरान शासन को निगम अधिकारियों ने रिपोर्ट दी थी कि शहर में कुछ लोग टैक्स नहीं दे रहे हैं। इनसे वसूली कर टैक्स बढ़ाया जा सकता है। ये कितने लोग हैं, इस बारे में नहीं बताया। निगम के सूत्र बताते हैं कि पिछले कई सालों से निगम के टैक्स अधिकारी कुछ लोगों को बढ़ाकर टैक्स वृद्धि दिखा देते थे। वहीं, प्रॉपर्टी का जो सर्वे कराया जाता था, उसे अपने पास ही रख लेते था। इस बार शासन की ओर से एक प्राइवेट कंपनी से कराए गए सर्वे की टैक्स वाली रिपोर्ट मांग ली गई।
इसमें पता लगा कि निगम क्षेत्र में कुछ नहीं बल्कि करीब ढाई लाख से अधिक ऐसी प्रॉपर्टी हैं, जिनसे टैक्स नहीं मिल रहा है। निगम अधिकारी भी इस पर गंभीर नहीं दिख रहे हैं। इसके बाद प्रदेश सरकार ने बकाया वाली सभी प्रॉपट्री से चालू वित्तीय वर्ष में टैक्स की वसूली करने के निर्देश दिए हैं। इससे निगम को 286 करोड़ रुपये की इनकम होगी।
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नोटिस देने में छूटे निगम को पसीने
जीआईएस सर्वे करने वाली कंपनी ने जो डेटा यूपी सरकार को दिया है उसके हिसाब से गाजियाबाद में पहले टैक्स अदा करने वालों की संख्या 4 लाख 42 हजार थी। नए सर्वे से शहर में कुल प्रॉपर्टी 6 लाख 68 हजार हैं। ऐसी प्रॉपर्टी जिनसे निगम को पहली बार टैक्स लेना है इनकी संख्या 2 लाख 26 हजार है। निगम अब नई प्रॉपर्टी पर टैक्स लगाने के लिए उन्हें नोटिस भेजेगा। नोटिस भेजने को लेकर निगम के सभी जोनल प्रभारियों की टेंशन बढ़ गई है। वहीं शासन ने कहा है कि सभी प्रॉपर्टी से टैक्स की शत प्रतिशत वसूली होनी चाहिए।
शासन करेगा वसूली की समीक्षा
दरअसल शासन नगर निगम की टैक्स से इनकम बढ़ाने की कोशिश में है। ऐसे में टैक्स से वसूली बढ़े इसी को लेकर नगर विकास विभाग अब वसूली को लेकर अपने स्तर से मासिक समीक्षा करेगा। शहर की कितनी प्रॉपर्टी पर टैक्स वसूली का नोटिस गया और कितनी पर और नोटिस दिया जाना है इसकी पूरी डिटेल भी शासन मांग रहा है। ताकि टैक्स वसूली में कोताही न बरती जाए। कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा ने कहा कि हाल ही में शहर में प्रॉपर्टी के सर्वे के हिसाब से टैक्स की वसूली की जाएगी। पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार करीब 80 करोड़ अधिक टैक्स निगम वसूलेगा। इससे निगम की इनकम बढ़ेगी।
सर्वे का डेटा पहुंचा तो शासन हुआ सख्त
बीते वित्त वर्ष 2022-23 में नगर निगम ने कुल 206 करोड़ रुपये की टैक्स वसूली की थी। समीक्षा के दौरान शासन को निगम अधिकारियों ने रिपोर्ट दी थी कि शहर में कुछ लोग टैक्स नहीं दे रहे हैं। इनसे वसूली कर टैक्स बढ़ाया जा सकता है। ये कितने लोग हैं, इस बारे में नहीं बताया। निगम के सूत्र बताते हैं कि पिछले कई सालों से निगम के टैक्स अधिकारी कुछ लोगों को बढ़ाकर टैक्स वृद्धि दिखा देते थे। वहीं, प्रॉपर्टी का जो सर्वे कराया जाता था, उसे अपने पास ही रख लेते था। इस बार शासन की ओर से एक प्राइवेट कंपनी से कराए गए सर्वे की टैक्स वाली रिपोर्ट मांग ली गई।
इसमें पता लगा कि निगम क्षेत्र में कुछ नहीं बल्कि करीब ढाई लाख से अधिक ऐसी प्रॉपर्टी हैं, जिनसे टैक्स नहीं मिल रहा है। निगम अधिकारी भी इस पर गंभीर नहीं दिख रहे हैं। इसके बाद प्रदेश सरकार ने बकाया वाली सभी प्रॉपट्री से चालू वित्तीय वर्ष में टैक्स की वसूली करने के निर्देश दिए हैं। इससे निगम को 286 करोड़ रुपये की इनकम होगी।