Ghaziabad: सरकारी अस्पताल में जरूरी दवाएं खत्म, मरीज मेडिकल स्टोर्स के भरोसे, जानिए क्या बोले अधिकारी
शासन को भेजी डिमांड, लेकिन नहीं मिली दवाइयां
एमएमजी और कंबाइंड अस्पताल में जरूरी दवाएं पिछले कई दिनों से खत्म हैं। अस्पताल की ओर से ड्रग वेयर हाउस और कॉरपोरेशन को डिमांड भी भेजी गई है, लेकिन शासन से दवाओं की सप्लाई नहीं मिली है। सोमवार को एमएमजी अस्पताल की ओपीडी में 2228 मरीज पहुंचे। इनमें महिला मरीजों की संख्या 1003 और पुरुष मरीजों की संख्या 797 और 428 बच्चों की ओपीडी में देखा गया। ओपीडी में बुखार के कुल 387 मरीज पहुंचे। जबकि 89 मरीजों को भर्ती किया गया।
जिला एमएमजी अस्पताल के कर्मचारी भी स्वीकार करते हैं कि सामान्य रूप से एलर्जी में काम आने वाली सिट्राजिन और मोंटी लोकार्ट टैबलेट और पेट की गैस को खत्म करने में काम आने वाली रेनिटिडिन टैबलेट व ओमिप्राजोल, कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में काम आने वाली एटोरवास्टेटिन तक नहीं हैं। मरीजों को इन दवाओं को बाहर मेडिकल स्टोर से खरीदना पड़ रहा है। संजय नगर स्थित कंबाइंड अस्पताल में भी सिट्राजिन, मोंटी लोकार्ट के अलावा बी. कॉम्प्लेक्स की गोली खत्म हो गई है। ओमिप्राजोल कैप्सूल भी खत्म होने की कगार पर है। केवल कुछ दवा काउंटर से इन्हें बांटा जा रहा है। मरीजों को बाहर से यह दवाएं लेनी पड़ रही है।
क्या कहते हैं मरीज
संतोष कुमार ने कहा मुझे कई दिनों से खांसी, जुकाम की परेशानी है। अस्पताल गया तो वहां भी दवा नहीं मिलीं। खांसी का सिरप और अन्य दवाएं मुझे मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ीं।
मीना देवी ने कहा मुझे पेट में दर्द और एसिडिटी की गंभीर परेशानी थी। अस्पताल में डॉक्टर ने पर्चे पर दवा तो लिखीं, लेकिन काउंटर से दवा नहीं मिल सकीं। कहा गया कि बाहर से दवा ले लो, फिर मेडिकल स्टोर से दवा खरीदनी पड़ी।
क्या कहते हैं अधिकारी
एमएमजी अस्पताल के सीएमएस डॉ. मनोज चतुर्वेदी ने कहा सभी दवाएं अस्पताल में समाप्त नहीं, लेकिन कुछ दवाएं खत्म हैं। उनकी जगह पर वैकल्पिक दवाएं दी जा रही हैं। जो दवाएं खत्म हैं उनकी डिमांड कॉरपोरेशन को भेजी गई है। प्राप्त होने पर दवा का वितरण शुरू कर दिया जाएगा।
कोरोना की दवाओं का भी संकट
दवाओं की कमी सिर्फ मौसमी बीमारी के लिए ही नहीं, बल्कि कोरोना में भी है। निजी डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना संक्रमण में एंटी वायरल दवाएं देनी जरूरी हैं, लेकिन बाजार में उनकी कमी है और वे महंगी भी हैं। केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइंस के अनुसार, आइवरमेक्टिन और मोल्नूपिराविर, फेविपिराविर जैसी एंटी वायरल दवाओं का प्रयोग नहीं करने की सलाह दी गई है, लेकिन निजी डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना संक्रमण में एंटीबायोटिक दवाओं की जगह एंटी वायरल दवाओं का प्रयोग ज्यादा सकारात्मक रहता है। सीनियर ईएनटी सर्जन डॉ. बीपी त्यागी बताते हैं कि उनके पास रोजाना 10 से ज्यादा कोरोना मरीज आ रहे हैं। मरीजों को एंटी वायरल दवाएं भी दी जा रही हैं, लेकिन उनकी बाजार में शॉर्टेज है। एंटी वायरल दवाएं महंगी भी हैं।
कोरोना खत्म होने पर कंपनी को वापस की दवाएं
गाजियाबाद केमिस्ट असोसिएशन के अध्यक्ष राजदेव त्यागी बताते हैं कि मोल्नूपिराविर, फेविपिराविर जैसी टेबलेट कोरोना संक्रमण में ही दी जाती हैं और लगभग 200 रुपए की एक टेबलेट है। कोरोना संक्रमण खत्म होने पर उनकी मांग बंद हो गई थी, जिसके बाद कोरोना की एंटी वायरल सभी दवाएं कंपनियों को वापस कर दी गईं। अब यदि डिमांड आती है तो फिर से दवाएं मंगाई जाएंगी।