Ghaziabad: रक्षा विज्ञान कर्मचारी सहकारी आवास समिति 3 प्रॉजेक्ट के 1600 बायर्स के लिए खुशखबरी, जानिए नई अपडेट
रक्षा विज्ञान कर्मचारी सहकारी आवास समिति ने 2008 में प्रॉजेक्ट को लांच किया था। 2011 में अंतरिक्ष बिल्डर के साथ समझौता हुआ। इसमें तय हुआ था कि बिल्डिंग का निर्माण अंतरिक्ष बिल्डर करेगा। प्रॉजेक्ट के लिए जमीन समिति की होगी। इसमें 504 फ्लैट समिति को मिलेगा, जबकि 1160 फ्लैट अंतरिक्ष बिल्डर के होंगे। बिल्डर ने जीडीए से 26 करोड़ रुपये जमा कर FAR खरीद लिया। इसके लिए 3 करोड़ रुपये जमा किया। FAR के इसी रेट को लेकर बिल्डर और GDA में विवाद हो गया। बिल्डर का कहना था कि प्रॉजेक्ट दादरी इलाके में आता है, ऐसे में रेट वहां के हिसाब से तय हो। GDA में विवाद नहीं सुलझा तो बिल्डर कोर्ट चला गया। अब कोर्ट ने उसी मामले में 15 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया है। उसके बाद FAR के मामले की सुनवाई होगी।
रेरा ने निरस्त कर दिया है रजिस्ट्रेशन
यूपी रेरा ने पिछले साल ही तीनों प्रॉजेक्ट का पंजीयन निरस्त कर दिया है। बिल्डर को डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया है। इसमें अंतरिक्ष फेज-2, अंतरिक्ष फेज-3 और रक्षा विज्ञान संस्कृति फेज-2 शामिल है। प्रॉजेक्ट से जुड़े हुए किसी भी प्रकार के लेनदेन को रोकने के लिए बिल्डर के बैंक खाते को भी फ्रीज किया जा चुका है। अंतरिक्ष संस्कृति परियोजना के फेज-1 और रक्षा विज्ञान संस्कृति फेज-1 का अप्रैल 2019 में पंजीयन निरस्त किया जा चुका है। अंतरिक्ष रियलटेक के बिल्डर राकेश यादव और रक्षा विज्ञान संस्कृति के बिल्डर संदीप सिंह हैं। तीनों प्रॉजेक्टों को पूरा करवाने और आवंटियों को उस पर कब्जा दिलवाने के लिए रेरा की मेंबर कल्पना मिश्रा की अध्यक्षता में परियोजना अनुश्रवण तथा परामर्शदात्री समिति का गठन किया गया है। इसमें जीडीए के वीसी, यूपी रेरा के तकनीकी सलाहकार, कैंसिलेशन कंसल्टेंट के साथ ही साथ आवंटियों में से कुछ लोग शामिल होंगे। यूपी रेरा के प्रॉजेक्ट मैनेजमेंट डिविजन की पूरी मदद मिलेगी।
पुराने बिल्डर के साथ मिलकर होगा निर्माण
अंतरिक्ष सनसिटी वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार दलाई ने बताया कि रेरा ने बायर्स की असोसिएशन को इस प्रॉजेक्ट को पूरा करवाने की जिम्मेदारी है। अब पुराने बिल्डर के साथ मिलकर इस प्रॉजेक्ट को पूरा कराया जाएगा। जीडीए ने जो डिमांड नोटिस भेजा है, उसके तहत जल्द ही बिल्डर के माध्यम से पैसा जमा करवाया जाएगा। इस मामले में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने भी एक आदेश दिया है। बायर्स अगर अपने रुपये वापस चाहता है तो बिल्डर को 9 पर्सेंट प्रति वर्ष की दर से ब्याज समेत रकम लौटानी होगी। आदेश के 3 महीने के अंदर भुगतान नहीं किया तो ब्याज की रकम 12 पर्सेंट प्रति वर्ष होगी। 100 से अधिक बायर्स ने उपभोक्ता आयोग में अपील की थी।
बायर्स का क्या कहना है?
संदीप शाह ने कहा कि 10 साल पहले फ्लैट के लिए रुपये जमा कराए थे। अब तक घर नहीं मिला। हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद उम्मीद जगी है कि फ्लैट का निर्माण शुरू होगा। आनंद त्रिपाठी ने बताया कि जीडीए और बिल्डर के बीच में उलझने की वजह यह प्रॉजेक्ट 10 साल से अधिक समय से अटका हुआ है। हम लोगों ने धीरे-धीरे करके उम्मीद छोड़ दी थी। धीरज श्रीवास्तव ने कहा कि यूपी रेरा ने प्रॉजेक्ट के पंजीयन को निरस्त करके बायर्स असोसिएशन को पूरा करवाने का काम दिया है। लंबे इंतजार के बाद लग रहा फ्लैट मिल सकता है।