Ghaziabad: बिल्डर ने रेजिडेंट्स को बेचा कॉमन एरिया, GDA ने 14 निर्माणों पर चलाया बुलडोजर, कार्रवाई के बाद मचा हंगामा
एक्जीक्यूटिव इंजीनियर आलोक रंजन ने बताया कि शासन की तरफ से बार-बार इस निर्माण को करवाने वाले जिम्मेदार इंजीनियरों के नाम मांगे जा रहे हैं। ध्वस्तीकरण आदेश के बाद ही यहां पर कार्रवाई की गई है। इस प्रकरण को लेकर प्रमुख सचिव आवास नाराजगी भी जाहिर कर चुके हैं। फिलहाल जीडीए की तरफ से इसमें 2012 से पहले तैनात इंजीनियरों का नाम की सूची तैयार की जा रही है। क्योंकि इस मामले में जीडीए ने 2012 में सबसे पहले नोटिस दिया था।
हिंडन एयरफोर्स के पास गुलमोहर ग्रीन्स सोसायटी का निर्माण करीब 2005 के आसपास हुआ था और 2010 में पजेशन दिया था। यहां के ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाले निवासियों को बिल्डर ने कामन एरिया को बेच दिया। फिर ऊपर के फ्लोर पर रहने वाले लोगों को इससे दिक्कत होने लगी तो गुलमोहर ग्रीन्स रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशन ने हाई कोर्ट में केस कर दिया। हाई कोर्ट ने जीडीए को कार्रवाई किए जाने के लिए निर्देशित किया तो जीडीए ने निवासियों को नोटिस दिया। निवासियों ने इस प्रकरण में बिल्डर द्वारा कामन एरिया को बेचने को लेकर की गई रजिस्ट्री भी दिखा थी, लेकिन निर्माण अवैध था तो जीडीए ने इसे तोड़ने का भी प्रयास किया। इसका काफी विरोध हुआ, जिसकी वजह से काम पूरा नहीं हो सका। बिल्डर के खिलाफ एफआईआर भी करवाई गई।
ऐसे खुला कॉमन एरिया बेचने का राज
इस सोसायटी में कई तरह की समस्याएं थीं। बिल्डर निवासियों को सुविधाएं नहीं दे रहा था, जिसकी वजह से 2015 में असोसिएशन ने कोर्ट में केस कर दिया। कोर्ट ने तत्कालीन जीडीए वीसी को मामले को निपटाने का आदेश दिया। जब जीडीए वीसी ने इस मामले की सुनवाई शुरू की तो पता चला कि यहां पर बिल्डर ने ग्राउंड फ्लोर के निवासियों को कॉमन एरिया को बेच रखा है। इसके बाद जीडीए ने कोर्ट में केस करने वाले निवासियों को ही कॉमन एरिया में निर्माण किए जाने का नोटिस देना शुरू कर दिया। जीडीए ने कॉमन एरिया के मामले को कोर्ट में जोड़ दिया। इस सोसायटी में करीब 1000 फ्लैट हैं।
शासन को भेज दिए थे गलत नाम
हाई कोर्ट ने जब सख्ती करते हुए इसके लिए जीडीए के जिम्मेदार अधिकारियों की नामों की सूची मांगी तो विभाग में अफरातफरी मच गई। उस समय तैनात कुछ जूनियर इंजीनियर व अन्य के नाम भेज दिए। मामला शासन तक पहुंचा। शासन की तरफ से उनको नोटिस आया तो आरोपी इंजीनियरों ने कहा कि उस समय उनकी वहां पर तैनाती नहीं थी। फिर शासन ने तत्कालीन वीसी कंचन वर्मा ने इस मामले की जांच करने का निर्देश दिया। जांच हुई तो पता चला कि जिन इंजीनियरों के नाम भेजे गए थे, वे गलत थे। इस पर अब शासन ने दोबारा जीडीए से मामले की जांच करके जिम्मेदारों का नाम भेजने का निर्देश दिया है।