FBU: फीडबैक यूनिट मामले में बढ़ सकती हैं दिल्ली सरकार की मुश्किलें
एलजी ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार, कांग्रेस के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित और दिल्ली सरकार के दो पूर्व मंत्रियों प्रोफेसर किरण वालिया और मंगत राम सिंघल ने 1 मार्च को एलजी को पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि एलजी ने फीडबैक यूनिट केस में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ सीबीआई को भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस चलाने की मंजूरी तो दे दी है, लेकिन यह केवल भ्रष्टाचार का मामला नहीं है। कांग्रेस नेताओं का दावा है कि यह स्पष्ट रूप से राजद्रोह का मामला है, क्योंकि दिल्ली सरकार इस यूनिट के जरिए सरकारी व अन्य महत्वपूर्ण संस्थाओं और लोगों की भी जासूसी करवा रही थी, जिसकी पूरी जानकारी सीएम और उनकी कैबिनेट के मंत्रियों को थी। इसलिए इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
संदीप दीक्षित ने पत्र में लिखा कि हम वकील तो नहीं हैं, लेकिन हमारा स्पष्ट मानना है कि गुपचुप तरीके से दूसरों की बातचीत सुनने की क्षमता हासिल करना, खुफिया सूचनाएं और जानकारियां इकट्ठा करना और भारत सरकार के रक्षा प्रतिष्ठानों और केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसियों समेत अन्य सभी प्रमुख संस्थानों और महत्वपूर्ण लोगों की जासूसी कराना अपने आप में यूएपीए अधिनियम के तहत जांच के दायरे में आता है। ऐसे में सीबीआई और एनआईए को राजद्रोह और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों को नियंत्रित करने वाले कानूनों के तहत जांच करने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए। साथ ही, अब तक सामने आ चुके सबूतों के आधार पर दिल्ली के सीएम व सरकार के संबंधित मंत्रियों के खिलाफ भी यूएपीए अधिनियिम के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
कांग्रेस नेताओं ने एलजी से कहा है कि फीडबैक यूनिट केस में सीबीआई ने उनसे सिसोदिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत केस चलाने की अनुमति मांगी थी, मगर सारे आरोप और तथ्य इस बात की तरफ साफ इशारा करते हैं कि जिस मकसद से फीडबैक यूनिट का गठन किया गया था और जिस तरह का काम इस यूनिट के जरिए किया जा रहा था, उसकी उचित जांच केवल भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत नहीं की जा सकती है।