नई दिल्लीः नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शनकारी किसान संगठनों (Farmers unions) और सरकार के बीच 10वें दौर की वार्ता अब 20 जनवरी को होगी. केंद्र ने कहा है कि दोनों पक्ष जल्द से जल्द गतिरोध सुलझाना चाहते हैं लेकिन अलग विचारधारा के लोगों की संलिप्तता की वजह से इसमें देरी हो रही है. सरकार ने यह दावा किया कि नये कृषि कानून किसानों के हित में हैं और कहा कि जब भी कोई अच्छा कदम उठाया जाता है तो इसमें अड़चनें आती हैं.
केंद्र ने बताई देरी की वजह
सरकार ने कहा कि मामले को सुलझाने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि किसान नेता अपने हिसाब से समाधान चाहते हैं. कृषि मंत्रालय के एक बयान में सोमवार को कहा गया, ‘‘विज्ञान भवन में किसान संगठनों के साथ सरकार के मंत्रियों की वार्ता 19 जनवरी के बजाए 20 जनवरी को दोपहर दो बजे होगी.” सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले को सुलझाने के मकसद से गठित समिति मंगलवार को अपनी पहली बैठक करेगी. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने कहा, ‘‘जब किसान हमसे सीधी बात करते हैं तो अलग बात होती है लेकिन जब इसमें नेता शामिल हो जाते हैं, अड़चनें सामने आती हैं. अगर किसानों से सीधी वार्ता होती तो जल्दी समाधान हो सकता था.’’
उन्होंने कहा कि चूंकि विभिन्न विचारधारा के लोग इस आंदोलन में प्रवेश कर गए हैं, इसलिए वे अपने तरीके से समाधान चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्ष समाधान चाहते हैं लेकिन दोनों के अलग-अलग विचार हैं. इसलिए विलंब हो रहा है. कोई न कोई समाधान जरूर निकलेगा.’’ ज्ञात हो कि पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों के किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले लगभग 50 दिनों से तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.
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कृषि मंत्री ने कहा, लाभकारी हैं तीनों कानून
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इस बीच डिजिटल माध्यम से एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दोहराया कि तीनों कृषि कानून किसानों के लिए लाभकारी होंगे. उन्होंने कहा, ‘‘पिछली सरकारें भी ये कानून लागू करना चाहती थीं लेकिन दबाव के कारण वे ऐसा नहीं कर सकीं. मोदी सरकार ने कड़े निर्णय लिए और ये कानून लेकर आई. जब भी कोई अच्छी चीज होती है तो अड़चनें भी आती हैं.’’