देश में काफी लंबे समय से किसान आंदोलन चल रहा है. किसान लगातार केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीन कृषि कानूनो का विरोध कर रहे हैं तथा सरकार से उनको वापिस लेने की मांग कर रहे हैं. किसान संगठनों का मानना है कि ये कानूनों पहले से तंग हालातों में जीने को मजबूर किसानों को पूरी तरह से बर्बाद कर देगें.
जिसके लिए वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि किसानों के हित में सरकार इन कानूनो को वापस ले तथा MSP पर कानून बनाए. MSP का मतलब होता है कि सरकार किसानों की फसल के लिए न्यूनतम मूल्य निर्धारित करती है कि सरकार इस मूल्य पर तो कम से कम किसानों की फसल खरीदेगी.
लेकिन किसानों का दुर्भाग्य यह है कि MSP पर सिर्फ लगभग 6 प्रतिशत किसानों की फसल ही खरीदी जाती है. बाकी बचे किसानों को औने पौने दामों पर अपनी फसल बेचने पर मजबूर होना पड़ता है. किसानों की मांग है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम किसी की फसल ना खरीदी जाए, इस पर कानून बनाया जाना चाहिएं. जहाँ तक सरकार के इस मुद्दे पर राय की बात है कि तो सरकार की तरह से कहा गया है कि ये तीनों कानून किसानों के हित में ही बनाए गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी के 2022 में किसानों की आय दुगनी करने के लक्ष्य को पूरा करने में सरकार की तरफ से इसको अहम कदम माना जा रहा है.
सरकार और किसान संगठनों के बीच हुई कई दौर की वार्ता के बाद भी कोई सहमति नहीं बनी है तथा किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. इसके लिए किसानों ने फिर से आंदोलन तेज करने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है. इसी कड़ी में 26 मार्च, 2021 को भारत बंद का आह्वान किया गया है. दिल्ली की सीमा पर आंदोलन को चार महीने पूरे होने पर किसान संगठन चक्का जाम कर शक्ति प्रदर्शन करेंगे.
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26 मार्च को भारत बंद से पहले पेट्रोल-डीजल, गैस की बढ़ती कीमतों और निजीकरण के खिलाफ किसान 15 मार्च को मजदूर संगठनों के साथ रेलवे स्टेशनों पर धरना देंगे तथा 23 मार्च को किसान आंदोलन वाली जगहों पर शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव के शहादत दिवस को बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा. इसके बाद 28 मार्च को होली के दिन तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाएंगे का भी निर्णय लिया गया है.