Explained: एक कानून बना असम-मेघालय सीमा विवाद की वजह, सुलझने में क्यों लगे 50 साल? सरल शब्दों में समझिए पूरा मामला h3>
दिसपुर/शिलांग: असम और मेघालय के बीच लगभग 50 वर्षों से चला आ रहा सीमा विवाद (Assam-Meghalaya border dispute) लगभग सुलझ गया है। मंगलवार 29 मार्च को देश की राजधानी नई दिल्ली में असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा (Conrad Sangma) ने गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) की मौजूदगी में सीमा विवाद को खत्म करने की दिशा में पहल हुई। आधे बिंदुओं को लेकर समझौता हो गया है। लेकिन ये पूरा विवाद है क्या और आखिर 50 साल तक इस पर बात क्यों नहीं बन सकी?
विवाद की असल वजह क्या है?
असम और मेघालय 885 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। फिलहाल उनकी सीमाओं पर 12 बिंदुओं पर विवाद था। असम-मेघालय सीमा विवाद ऊपरी ताराबारी, गज़ांग आरक्षित वन, हाहिम, लंगपीह, बोरदुआर, बोकलापारा, नोंगवाह, मातमूर, खानापारा-पिलंगकाटा, देशदेमोराह ब्लॉक I और ब्लॉक II, खंडुली और रेटचेरा के क्षेत्र हैं। मेघालय को असम पुनर्गठन अधिनियम 1971 के तहत असम से अलग किया गया था, यही वह एक कानून है जिसे मेघालय ने चुनौती दी और जिसकी वजह से यह पूरा विवाद हुआ।
असम और मेघालय के बीच विवाद का एक प्रमुख बिंदु असम के कामरूप जिले की सीमा से लगे पश्चिम गारो हिल्स में लंगपीह जिला है। लंगपीह ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान कामरूप जिले का हिस्सा था। लेकिन आजादी के बाद यह गारो हिल्स और मेघालय का हिस्सा बन गया।असम इसे असम में मिकिर पहाड़ियों का हिस्सा मानता है। मेघालय ने मिकिर हिल्स के ब्लॉक I और II पर सवाल उठाया। कार्बी आंगलोंग क्षेत्र – असम का हिस्सा है। मेघालय का कहना था कि ये तत्कालीन यूनाइटेड खासी और जयंतिया हिल्स जिलों के हिस्से थे।
मेघालय के निर्माण के तुरंत बाद विवाद शुरू हो गया था। असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के 12 साल लंबे मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान सीमा विवाद हमेशा लाइमलाइट में रहा। दरअसल, तरुण गोगोई ने आधिकारिक निवास के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले असम सरकार के एक गेस्ट हाउस को पर सवाल उठाया था जो खानापारा-पिलंगकाटा ब्लॉक में एक छोटी सी पहाड़ी पर है। इसे अक्सर मेघालय अपना क्षेत्र बताता रहा है।
सीमा विवाद को लेकर हुई हिंसा
सीमा विवाद के कारण दोनों राज्यों के बीच हिंसक झड़पे हो चुकी हैं। 14 मई 2010 को असम के कामरूप की सीमा से सटे पश्चिमी खासी हिल्स के लैंगपीह में असम पुलिस के जवानों की गोलीबारी में खासी समुदाय के चार ग्रामीण मारे गए थे। जबकि 12 घायल हो गए थे।
26 जुलाई 2021 को अब तक की सबसे भीषण हिंसा हुई थी। जिसमें असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई थी और दोनों राज्यों के लगभग 100 लोग और सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे।
अब समझौते में क्या?
समझौते पर हस्ताक्षर करने के सीएम असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि यह हमारे लिए ऐतिहासिक दिन है। इस एमओयू के बाद अगले 6-7 महीनों में बाकी विवादित स्थलों की समस्या का समाधान करने का हमारा लक्ष्य है। हम पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश में विकास का इंजन बनाने की दिशा में काम करेंगे।
वहीं कोनराड संगमा ने कहा कि सबसे पहले मैं गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने हमें पूर्वोत्तर राज्यों में सीमा विवादों को सुलझाने का निर्देश दिया। आज संकल्प का पहला चरण हो चुका है। यह असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के कारण ही संभव हो सका। मैं समिति के सभी सदस्यों और दोनों राज्यों के अधिकारियों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं। हम अपने राज्यों के बीच और मतभेदों को जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश करेंगे।
वहीं अमित शाह ने कहा कि 2014 से मोदी जी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए कई प्रयास किए हैं। आज मैं असम के सीएम और मेघालय के सीएम और उनकी टीमों को उनके सीमा विवाद को सुलझाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करने पर बधाई देता हूं। आज असम और मेघालय के बीच 50 साल पुराना लंबित सीमा विवाद सुलझ गया है। विवाद के 12 में से 6 बिंदुओं को सुलझा लिया गया है, जिसमें लगभग 70% सीमा शामिल है। शेष 6 बिंदुओं का जल्द से जल्द समाधान किया जाएगा।
36.79 वर्ग किमी भूमि के लिए प्रस्तावित सिफारिशों के अनुसार, असम 18.51 वर्ग किमी रखेगा और शेष 18.28 वर्ग किमी मेघालय को देगा। लंबे समय से चले आ रहे भूमि विवाद की शुरुआत 1972 में हुई थी जब मेघालय को असम से अलग कर दिया गया था।
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा। फाइल फोटो
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विवाद की असल वजह क्या है?
असम और मेघालय 885 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं। फिलहाल उनकी सीमाओं पर 12 बिंदुओं पर विवाद था। असम-मेघालय सीमा विवाद ऊपरी ताराबारी, गज़ांग आरक्षित वन, हाहिम, लंगपीह, बोरदुआर, बोकलापारा, नोंगवाह, मातमूर, खानापारा-पिलंगकाटा, देशदेमोराह ब्लॉक I और ब्लॉक II, खंडुली और रेटचेरा के क्षेत्र हैं। मेघालय को असम पुनर्गठन अधिनियम 1971 के तहत असम से अलग किया गया था, यही वह एक कानून है जिसे मेघालय ने चुनौती दी और जिसकी वजह से यह पूरा विवाद हुआ।
असम और मेघालय के बीच विवाद का एक प्रमुख बिंदु असम के कामरूप जिले की सीमा से लगे पश्चिम गारो हिल्स में लंगपीह जिला है। लंगपीह ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान कामरूप जिले का हिस्सा था। लेकिन आजादी के बाद यह गारो हिल्स और मेघालय का हिस्सा बन गया।असम इसे असम में मिकिर पहाड़ियों का हिस्सा मानता है। मेघालय ने मिकिर हिल्स के ब्लॉक I और II पर सवाल उठाया। कार्बी आंगलोंग क्षेत्र – असम का हिस्सा है। मेघालय का कहना था कि ये तत्कालीन यूनाइटेड खासी और जयंतिया हिल्स जिलों के हिस्से थे।
मेघालय के निर्माण के तुरंत बाद विवाद शुरू हो गया था। असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के 12 साल लंबे मुख्यमंत्री के कार्यकाल के दौरान सीमा विवाद हमेशा लाइमलाइट में रहा। दरअसल, तरुण गोगोई ने आधिकारिक निवास के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले असम सरकार के एक गेस्ट हाउस को पर सवाल उठाया था जो खानापारा-पिलंगकाटा ब्लॉक में एक छोटी सी पहाड़ी पर है। इसे अक्सर मेघालय अपना क्षेत्र बताता रहा है।
सीमा विवाद को लेकर हुई हिंसा
सीमा विवाद के कारण दोनों राज्यों के बीच हिंसक झड़पे हो चुकी हैं। 14 मई 2010 को असम के कामरूप की सीमा से सटे पश्चिमी खासी हिल्स के लैंगपीह में असम पुलिस के जवानों की गोलीबारी में खासी समुदाय के चार ग्रामीण मारे गए थे। जबकि 12 घायल हो गए थे।
26 जुलाई 2021 को अब तक की सबसे भीषण हिंसा हुई थी। जिसमें असम पुलिस के छह जवानों की मौत हो गई थी और दोनों राज्यों के लगभग 100 लोग और सुरक्षाकर्मी घायल हो गए थे।
अब समझौते में क्या?
समझौते पर हस्ताक्षर करने के सीएम असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि यह हमारे लिए ऐतिहासिक दिन है। इस एमओयू के बाद अगले 6-7 महीनों में बाकी विवादित स्थलों की समस्या का समाधान करने का हमारा लक्ष्य है। हम पूर्वोत्तर क्षेत्र को देश में विकास का इंजन बनाने की दिशा में काम करेंगे।
वहीं कोनराड संगमा ने कहा कि सबसे पहले मैं गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने हमें पूर्वोत्तर राज्यों में सीमा विवादों को सुलझाने का निर्देश दिया। आज संकल्प का पहला चरण हो चुका है। यह असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा के कारण ही संभव हो सका। मैं समिति के सभी सदस्यों और दोनों राज्यों के अधिकारियों को भी धन्यवाद देना चाहता हूं। हम अपने राज्यों के बीच और मतभेदों को जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश करेंगे।
वहीं अमित शाह ने कहा कि 2014 से मोदी जी ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए कई प्रयास किए हैं। आज मैं असम के सीएम और मेघालय के सीएम और उनकी टीमों को उनके सीमा विवाद को सुलझाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर करने पर बधाई देता हूं। आज असम और मेघालय के बीच 50 साल पुराना लंबित सीमा विवाद सुलझ गया है। विवाद के 12 में से 6 बिंदुओं को सुलझा लिया गया है, जिसमें लगभग 70% सीमा शामिल है। शेष 6 बिंदुओं का जल्द से जल्द समाधान किया जाएगा।
36.79 वर्ग किमी भूमि के लिए प्रस्तावित सिफारिशों के अनुसार, असम 18.51 वर्ग किमी रखेगा और शेष 18.28 वर्ग किमी मेघालय को देगा। लंबे समय से चले आ रहे भूमि विवाद की शुरुआत 1972 में हुई थी जब मेघालय को असम से अलग कर दिया गया था।
असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के सीएम कोनराड संगमा। फाइल फोटो