Exclusive Interview: जी20 समिट को लेकर MCD ने क्या काम किया? पढ़िए मेयर शैली ओबेरॉय का ये खास इंटरव्यू

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Exclusive Interview: जी20 समिट को लेकर MCD ने क्या काम किया? पढ़िए मेयर शैली ओबेरॉय का ये खास इंटरव्यू

Exclusive Interview: जी20 समिट को लेकर MCD ने क्या काम किया? पढ़िए मेयर शैली ओबेरॉय का ये खास इंटरव्यू

नई दिल्ली। तीनों नगर निगमों के एकीकरण के बाद दिल्ली नगर निगम की प्रशासनिक व्यवस्था में बड़े बदलाव हुए हैं। जमीनी स्तर पर कुछ बदलाव महसूस हुए हैं, लेकिन जनता से जुड़ी दिक्कतें अभी भी बरकरार हैं। निगम का वित्तीय संकट तो लंबे वक्त से चला आ रहा है। जी20 को लेकर भी निगम की ओर से काम किए जा रहे हैं। वहीं स्टेंडिंग कमिटी का भी अब तक गठन नहीं हुआ। इन सभी मुद्दों पर राजेश सरोहा ने दिल्ली की मेयर शैली ओबेरॉय से बात की। पेश हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश :

सवाल : जी20 जैसा इंटरनेशनल इवेंट दिल्ली में हो रहा है। इसकी तैयारी के लिए नगर निगम ने क्या काम किए हैं?
जवाब : आयोजन स्थल प्रगति मैदान, दिल्ली नगर निगम के कार्यक्षेत्र में ही है। जितने भी इवेंट हो रहे हैं, उनमें निगम के छह जोन शामिल हैं। इन सभी जोन में 12 हजार से अधिक कर्मचारी तैनात किए गए हैं। सफाई व्यवस्था को तो दुरुस्त कर दिया गया है। साथ ही कई सड़कों का भी रेनोवेशन किया गया है। ग्रेटर कैलाश पार्ट-2 में एक पार्क जी20 थीम पर हम लोगों ने तैयार किया है। कई ऐतिहासिक स्मारकों के लिए भी काम किया गया है। वेस्ट टू आर्ट की थीम पर मुख्य चौराहों को खूबसूरत बनाया है।

सवाल : मेयर का पदभार संभाले हुए छह माह से अधिक हो गए हैं। नगर निगम में बड़ा चैलेंज क्या मानती हैं ?
जवाब : सफाई से पढ़ाई और जन्म से मृत्यु तक हर महत्वपूर्ण कार्य में नगर निगम की भूमिका है। ऐसे में ये सीधे आम लोगों से जुड़ा विभाग है। जनता को दिक्कत न हो और उसके कार्य हो सकें, ये तो चैलेंज है ही। इसके अलावा वित्तीय संकट भी बड़ा चैलेंज है। हम कोशिश कर रहे हैं दिल्ली सरकार की मदद से इस वित्तीय संकट की चुनौती से भी निपट सकें।

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सवाल : आर्थिक संकट दूर करने के लिए क्या म्युनिसिपल बांड लाने की कोई योजना है ?
जवाब : फिलहाल म्यूनिसिपल बांड पर तो नहीं सोच रहे, लेकिन हम ये कोशिश कर रहे हैं कि लोगों को जागरुक करें ताकि वे अपना पूरा टैक्स दें। उस पैसे से लोगों को और सुविधाएं दी जा सकें। 15 साल में इस दिशा में कोई कार्य नहीं हुआ। अब हम जियो टैगिंग और आर्टिफिशल इंटेलीजेंस जैसी आधुनिक तकनीक से ये कोशिश कर रहे हैं कि टैक्स रेवेन्यू की लीकेज न हो। जो प्रॉपर्टी वाले अब तक टैक्स से बच रहे थे, उन्हें भी इसके दायरे में लाएं।

सवाल : स्वच्छता सर्वेक्षण की रेटिंग में तो निगम हमेशा फिसड्डी साबित हुआ है। अब उसमें भी कुछ फर्क दिखेगा?
जवाब : दिल्ली में पहले के मुकाबले स्वच्छता की स्थिति में बड़ा बदलाव आया है। हमने अफसरों, कर्मचारियों की टीम बनाई हैं। सभी लोग जमीन पर उतरकर काम कर रहे हैं। साथ ही लोगों को भी जागरुक कर रहे हैं कि ये शहर हमारा ही है और इसे साफ रखने में हमें उनकी मदद की जरुरत है।

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सवाल : आवारा पशुओं की दिक्कत तो बहुत बड़ी है। उसमें पब्लिक क्या मदद करे ? गोशालाओं में ही जगह नहीं बची तो इस समस्या का कैसे समाधान होगा ?
जवाब : ये सही है कि गोशालाएं भर चुकी हैं, लेकिन दो हजार की क्षमता वाली गौशाला लगभग तैयार है। इसी तरह की एक और गोशाला और तैयार की जा रही है। हम चाहते हैं कि इन आवारा जानवरों को हटाते वक्त न तो जानवरों को परेशानी हो और न ही पशु प्रेमी व एनजीओ को।

सवाल : स्टैंडिंग कमिटी क्यों नहीं बन रही? विपक्ष कह रहा है कि जानबूझकर गठन नहीं हो रहा?
जवाब : हम इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का इंतजार कर रहे हैं। इसमें पेंच ये है कि पहले एल्डरमैन एलजी, दिल्ली सरकार की सलाह से नियुक्त करते थे, लेकिन इस बार एलजी ने खुद ही नियुक्त कर दिए। ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है। उसका फैसला आते ही स्टंडिंग कमिटी का गठन करने की प्रक्रिया होगी। हालांकि हम भी मानते हैं कि स्टैंडिंग कमिटी न होने की वजह से कुछ प्रोजेक्ट लटके हुए हैं।

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