नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने चमोली में ग्लेशियर फटने की घटना के बाद से बचाव कार्य में सरकार समेत सभी एजेंसियां जुटी हुई हैं. उन्होंने कहा कि इस समय सबसे पहली प्राथमिकता प्रभावित लोगों को भोजन और अन्य सहायता मुहैया कराना है. इसके साथ ही घटना की व्यापक जांच के आदेश भी कर दिए गए हैं. रावत ने कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि घटना ग्लेशियर के टूटने से हुई. मुख्य सचिव को वास्तविक कारणों का पता लगाने का निर्देश दिया गया है.
प्रभावित गांवों से दोबारा संपर्क स्थापित करने की कोशिश
ज़ी न्यूज़ के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने कहा कि हम प्रभावित गांवों के बीच दोबारा संपर्क स्थापित करने का काम कर रहे हैं. जल्द ही इस घटना में हुए आर्थिक नुकसान का आकलन किया जाएगा. फिलहाल शीर्ष प्राथमिकता, जहां तक संभव हो लोगों की जान बचाना और अपने घरों से विस्थापित हुए लोगों का पुनर्वास करना है. उन्होंने कहा कि प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार करीब 200 लोग अब भी लापता हैं. जबकि 19 लोगों के शव मिल चुके हैं. यह संख्या भविष्य में बढ़ भी सकती है.
DRDO की टीम तलाश रही है त्रासदी का कारण
उन्होंने कहा, ‘DRDO की एक टीम इस त्रासदी का कारण पता लगाने में जुटी है. हमने इसके लिये इसरो के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से भी मदद मांगी है. इस घटना के व्यापक विश्लेषण के बाद हम भविष्य में ऐसी किसी भी संभावित त्रासदी से बचने के लिये एक योजना बनाएंगे.’
रविवार को चमोली में टूटा था ग्लेशियर
बता दें कि रविवार को चमोली में ग्लेशियर टूटकर (Uttarakhand Glacier Burst) नीचे बह रही ऋषि गंगा (Rishi Ganga) नदी में जा गिरा था. जिससे उसमें सैलाब आ गया. इसी नदी पर 13.2 मेगावाट (MW) क्षमता का छोटा हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाया जा रहा था. सैलाब ने इस प्रोजेक्ट को बड़ा नुकसान पहुंचाने के साथ ही नीचे जाकर वहां धौलीगंगा नदी पर बन रहे बड़े प्रोजेक्ट भी नुकसान पहुंचाया.
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दो हाइड्रो प्रोजेक्टों में फंसे हैं अधिकतर लोग
जानकारी के मुताबिक लापता हुए अधिकतर लोग इन्हें दोनों प्रोजेक्टों में फंसे हैं. बचाव दल तपोवन विष्णुगड प्रोजेक्ट साइट पर राहत कार्य चला रहे हैं. इस जगह पर बनी बिल्डिंग में करीब 30 मजदूर मौजूद थे. वे नदी में करीब 5 किलोमीटर ऊपरी हिस्से में ढाई किलोमीटर लंबी टनल के निर्माण के लिए वहां गए हुए थे. नदी में आए सैलाब के बाद से वे भी लापता हैं.
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