चुनाव आयोग ने अरविन्द केजरीवाल के 20 विधायकों को अयोग्य ठहराया

235

70 में से 67 सीटें जीतकर दिल्ली के मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल को चुनाव आयोग ने एक बड़ा झटका दिया है. लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है. ज़ाहिर है कि ये आम आदमी पार्टी के लिए बहुत बड़ा संकट है. अब देखना ये है कि अरविन्द केजरीवाल इस मामले से किस तरह निपटेंगे.

वकील की वजह से संकट में आई आम आदमी पार्टी

दरअसल, दिल्ली सरकार ने 13मार्च 2015 में 21 आप विधायकों को संसदीय सचिव के पद पर नियुक्त किया था. जिसके बाद प्रशांत पटेल नाम के वकील ने लाभ का पद बताकर राष्ट्रपति के पास शिकायत करके 21 विधायकों की सदस्यता खत्म करने की मांग की थी. तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की ओर से 22 जून को यह शिकायत चुनाव आयोग में भेज दी गई थी. इसके बाद चुनाव आयोग ने मार्च 2016 में 21 आप विधायकों को नोटिस भेजा, जिसके बाद इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई. केजरीवाल सरकार ने पिछली तारीख से कानून बनाकर संसदीय सचिव पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन राष्ट्रपति ने बिल लौटा दिया था.

नया बिल लाने की कोशिश भी नाकाम रही

हालांकि, अरविंद केजरीवाल ने इस मुद्दे पर कहा था कि हमने संसदीय सचिव का पद देकर विधायकों को कोई आर्थिक लाभ नहीं दिया है. इसके अलावा राष्ट्रपति ने दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के संसदीय सचिव विधेयक को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था. विधेयक में संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने का प्रावधान था. हाईकोर्ट ने भी केजरीवाल सरकार द्वारा आप के 21 विधायकों (अब 20) को दिल्ली सरकार में मंत्रियों का संसदीय सचिव नियुक्त करने के फैसले को शून्य और निष्प्रभावी करार दिया था.

बता दें कि पहले ये मामला 21 विधायकों का था, लेकिन राजौरी गार्डन से आप विधायक जरनैल सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. जरनैल सिंह ने पंजाब में चुनाव लड़ने के लिए दिल्ली विधानसभा से इस्तीफा दिया था.

arvind -

MLA के कामों का हवाला दिया

इस मामले के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला था. अपने फैसले के बचाव में केजरीवाल ने कहा था कि एक MLA बेचारा रोज़ अपना पेट्रोल ख़र्च करके अस्पतालों के चक्कर लगाता था, बताओ क्या ग़लत करता था? मोदी जी ने उसको घर बिठा दिया. किसी MLA को एक पैसा नहीं दिया, कोई गाड़ी, बंगला- कुछ नहीं दिया. सब MLA फ़्री में काम कर रहे थे. मोदी जी कहते- सब घर बैठो, कोई काम नहीं करेगा. केजरीवाल ने कहा था कि एक MLA को बिजली पे लगा रखा था, एक को पानी पे, एक को अस्पतालों पे, एक को स्कूल पे. मोदी जी कहते हैं – ना काम करूँगा, ना करने दूँगा. मोदी जी लोक तंत्र का सम्मान नहीं करते, डरते हैं तो सिर्फ़ आम आदमी पार्टी से.

बता दें कि चुनाव आयोग का फैसला आने के बाद अरविंद केजरीवाल के मीडिया एडवाइजर नागेंदर शर्मा ने हैरत जताते हुए आरोप लगाया कि बिना किसी सुनवाई के फैसला दे दिया गया.