बांदा- सरकार कर्नाटक का जशन बनती रहीं, वहीं हालात से मजबूर एक किसान ने की आत्महत्या

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बांदा: आए दिन ग्रामीण इलाकों में किसी ना किसी किसान की मौत की खबर सुने को मिलती है. चाहें उसकी वजह बैंक कर्ज हो, घर की आर्थिक स्थिति या फिर जमीदार का कर्ज हो. इस बार भी एक ऐसा ही मामला बदहाली में एक किसान द्वारा किया गया. उसके ऊपर बैंक को पचास हजार रुपए चुकने का कर्ज था. इसके अलावा सयानी हो चुकी बेटी की शादी को लेकर भी उसे काफी चिंता थी. इन हालातों से टूटे किसान ने कल खेत में जहर खा कर आत्महत्या कर ली.

क्या है पूरा विवाद

शिवपूजन कुशवाहा बिगहना गांव में रहने वाला एक निवासी था. वह 50 वर्ष का था. उसके पास ढाई बीघा खेत है. उसने तीन साल पहले इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक के बिलगांव शाखा से केसीसी के जरिए 50 हजार रूपये का कर्ज लिया था. उन्होंने यह कर्ज अपने खेत में नई फसल के उगने चीजों के लिए लिया था. पर इस बार तेज वर्षा और ओलावृष्टि के कारण से उसकी पूरी फसल खराब हो गई. जिसके वजह से वह बैंक का कर्ज चुका नहीं पाया. फिर उसके ऊपर से बेटी की शादी की चिंता ने उसको इतना ज्यादा परेशान कर दिया की उसे जहर कहने जैसी नौमत आ गई.

जैसे ही इस घटना की सूचना के बारे में घर के अन्य सदस्यों को पता चला तो, परिजन शिवपूजन को पास के अस्पताल लेकर गए. पर हालत इतने बिगड़ गए कि उसे कानपुर के अस्पताल ले जाया गया पर रास्ते में ही शिवपूजन की मौत हो गई. इस मामले में जब पुलिस ने घर में पूछताछ कि तो उसके बेटे शिवमूर्ति ने बताया कि पिता सुबह घर से मोबाइल ठीक करवाने की बात करके खुरहंड गांव के लिए निकल गए थे. स्थनीय जानकारी से यह पता चला कि शिवपूजन लघू सीमांत किसान की श्रेणी में होने पर भी कर्ज माफ़ी के लिए रोज बैंक के चक्कर लगा रहा था. पर बैंक द्वारा तब भी कर्ज माफ़ नहीं किया गया.

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वहीं इस घटना के बाद जब इलाहाबाद यूपी ग्रामीण बैंक के बिलगांव शाखा के प्रबंधक केएल साहू की जानकारी से यह पता लगा कि किसान शिवपूजन पर वसूली के लिए बैंक का कोई भी दबाव नहीं था. और ना ही उनको कोई नोटिस जारी किया गया था. वहीं कर्ज माफ़ी शासन स्तर से होती है. उनका इस मामले से कोई लेना देना नहीं है.

बहरहाल, पुलिस ने शिवपूजन के शव का पोस्टमार्टम कराया है. इससे पहले भी बुंदेलखंड के किसान फसल नष्ट होने पर, घर की आर्थिक स्थिति के खराब, और जमीदार के कर्ज के  कारण आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते है.