Dollar-Euro news: 20 साल में पहली बार डॉलर के बराबर आई यूरो की कीमत, जानिए यूरोपियन करेंसी का क्यों हुआ बुरा हाल h3>
नई दिल्ली: यूरोपीय यूनियन की करेंसी यूरो (Euro) की कीमत में इस साल करीब 12 फीसदी गिरावट आई है और इसका एक्सचेंज रेट 20 साल में पहली बार अमेरिकी डॉलर (US dollar) के बराबर पहुंच गया है। दोनों करेंसीज में एक सेंट से भी कम अंतर रह गया है। सोमवार को यूरो की कीमत करीब 1.004 डॉलर पर आ गई। महंगाई और रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine war) के कारण एनर्जी सप्लाई को लेकर अनिश्चितता से यूरोप में मंदी की आशंका तेज हो गई है। इसका कारण यूरो की कीमत में तेजी से गिरावट आई है। युद्ध से पहले यूरोपीय यूनियन की 40 फीसदी गैस रूस से आती थी। लेकिन अब यह स्थिति बदल गई है।
यूरोपीय देश रूसी तेल और गैस पर अपनी निर्भरता कम करने पर काम कर रहे हैं। साथ ही रूस ने भी कुछ यूरोपीय देशों को गैस की सप्लाई कम कर दी है। हाल में उसने जर्मनी को Nord Stream पाइपलाइन के जरिए दी जाने वाली गैस की सप्लाई में 60 फीसदी कटौती कर दी थी। ऊर्जा संकट (energy crisis) के साथ-साथ यूरोप आर्थिक सुस्ती (economic slowdown) के दौर से भी गुजर रहा है। European Central Bank ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए इस महीने ब्याज दरों में इजाफा करने के संकेत दिए हैं। साल 2011 के बाद यह पहला मौका है जब यूरोप का केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने जा रहा है।
जर्मनी को 30 साल में पहली बार घाटा
यूरोजोन में महंगाई की दर (eurozone inflation rate) 8.6% है। जर्मनी को 1991 के बाद पहली बार व्यापार घाटा (trade deficit) हुआ है। इसकी वजह यह है कि तेल की कीमत में काफी तेजी आई है और सप्लाई चेन की मुश्किलों की वजह से आयात की लागत बढ़ गई है। जानकारों का कहना है कि अमेरिकी फेड रिजर्व समेत कई देशों के रिजर्व बैंकों ने ब्याज दरों में इजाफा किया है। साथ ही इकनॉमिक ग्रोथ में सुस्ती दिख रही है। इससे यूरो में आगे दबाव बना रह सकता है। इससे निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए अमेरिकी डॉलर का रुख कर सकते हैं।
अमेरिका फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) हाल में इंटरेस्ट रेट्स में 75 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की है और आगे इसमें इस महीने और बढ़ोतरी का संकेत दिया है। Deutsche Global के हेड ऑफ एफएक्स रिसर्च George Saravelos ने पिछले हफ्ते एक नोट में कहा कि अगर यूरोप और अमेरिकी मंदी की चपेट में आते हैं तो यूएस डॉलर की तरफ रुझान और बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि यूरो की कीमत 0.95 डॉलर से 0.97 डॉलर तक जा सकती है। यह यूरोप घूमने की योजना बना रहे अमेरिकी लोगों के लिए अच्छी खबर हो सकती है लेकिन यह इकनॉमिक ग्लोबल स्टैबिलिटी के लिए अच्छी न्यूज नहीं होगी।
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जर्मनी को 30 साल में पहली बार घाटा
यूरोजोन में महंगाई की दर (eurozone inflation rate) 8.6% है। जर्मनी को 1991 के बाद पहली बार व्यापार घाटा (trade deficit) हुआ है। इसकी वजह यह है कि तेल की कीमत में काफी तेजी आई है और सप्लाई चेन की मुश्किलों की वजह से आयात की लागत बढ़ गई है। जानकारों का कहना है कि अमेरिकी फेड रिजर्व समेत कई देशों के रिजर्व बैंकों ने ब्याज दरों में इजाफा किया है। साथ ही इकनॉमिक ग्रोथ में सुस्ती दिख रही है। इससे यूरो में आगे दबाव बना रह सकता है। इससे निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए अमेरिकी डॉलर का रुख कर सकते हैं।
अमेरिका फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) हाल में इंटरेस्ट रेट्स में 75 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की है और आगे इसमें इस महीने और बढ़ोतरी का संकेत दिया है। Deutsche Global के हेड ऑफ एफएक्स रिसर्च George Saravelos ने पिछले हफ्ते एक नोट में कहा कि अगर यूरोप और अमेरिकी मंदी की चपेट में आते हैं तो यूएस डॉलर की तरफ रुझान और बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि यूरो की कीमत 0.95 डॉलर से 0.97 डॉलर तक जा सकती है। यह यूरोप घूमने की योजना बना रहे अमेरिकी लोगों के लिए अच्छी खबर हो सकती है लेकिन यह इकनॉमिक ग्लोबल स्टैबिलिटी के लिए अच्छी न्यूज नहीं होगी।
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