इतिहास शब्द इति ( ऐसा ही ) + ह (निश्चित रूप से ) + आस ( था ) इन तीन शब्दों से मिलकर बना है. जिसका अर्थ होता है- निश्चित रूप से ऐसा ही था. इतिहास को परिभाषित करने के लिए इतिहासकारों ने अनेंक परिभाषाएं दी हैं. लेकिन यदि बिल्कुल साधारण शब्दों में यदि इतिहास का अर्थ समझे तो, वर्तमान समय से पहले जो भी घटित हुआ है, उसके बारे में जानने को हम इतिहास कह सकते हैं. इतिहास का क्षेत्र बहुत बड़ा है. जिसमें राजनैतिक , आर्थिक , सामाजिक , पर्यावरण बहुत से क्षेत्रों को शामिल कर सकते हैं.
आज के वर्तमान युग में इतिहास को पढ़ने या लिखने की आवश्यकता को लेकर लोगों में अनेंक मत हो सकते हैं. इसके लिए अनेंक तर्क भी दिए जा सकते हैं. इतिहास का विरोध करने वालों का मत है कि इतिहास पढ़ने से हमें क्या फायदा होगा. जो समय बीत गया है, उस समय किसी शासक ने शासन किया हो, हमारे वर्तमान जीवन को वह कैसे प्रभावित कर सकता है. इसलिए हमें व्यर्थ में इतिहास पढ़ने में समय व्यतीत ना करते हुए विज्ञान जैसे विषयों पर ध्यान देना चाहिए जो हमारे वर्तमान और भविष्य को प्रभावित कर सकता है.
अगर वर्तमान समय में इतिहास पढ़ने की आवश्यकता का समर्थन करने वाले लोगों के तर्क देखें, तो उनका मानना है कि हमें अपने अतीत पर गर्व करना चाहिएं. किस तरह से मानव ने तरक्की करते हुए अपने आप को वर्तमान में धरती पर सभी जीवों से श्रेष्ट साबित किया है. इसको जानकर हम अपने आप को नई खोजों के लिए और जीवन जीने के लिए उत्साहित रख सकते हैं. कहा भी जाता है कि हमें दूसरों की गलतियों से सीखना चाहिए. इतिहास की जानकारी के आधार पर हम अच्छे से फैसला कर सकते हैं कि अतीत में किसी शासक या व्यक्ति ने क्या गलती की और उसका क्या परिणाम रहा. जिससे हमारा जीवन बेहतर बन सकता है.
इतिहास को पढ़ने के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक बार कौटिल्य ने कहा था कि राजा को प्रतिदिन कुछ समय इतिहास श्रवण में लगाना चाहिए.
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इतिहास का ज्ञान होना आज के समय में भी बहुत महत्व रखता है. जिससे हमें अहसास होता रहे कि जिस आजाद भारत में हम जी रहे हैं, उसके लिए कितना बड़ा बलिदान दिया गया या जिस लोकतंत्र ने हमें अपनी बात रखने और प्रतिनिधि चुनने का अधिकार दिया उसका विकास कैसे हुआ.