Devotees took a dip of faith in rivers and ponds – नदी व तालाबों में श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी
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कार्तिक पूर्णिमा:
नदी व तालाबों में श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी
कोसुक के गोविंद नक्षत्र तो गिरियक के त्रिवेणी घाट पर उमड़ी अपार भीड़
राजगीर के ब्रह्मकुंड में डुबकी लगाने के लिए अहले सुबह के लगी रही कतार
श्रद्धालुओं ने नदी में दीप दान कर की सुख-समृद्धि की कामना
बाबा चौहरमल मंदिर में की पूजा-अर्चना
फोटो
घाट01 – कोसुक के पास पंचाने नदी में कार्तिक पूर्णिमा पर डुबकी लगाने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ।
घाट02 – कोसुक नदी में स्नान के बाद दीप दान करतीं महिलाएं।
घाट03 – बड़गांव के सूर्य तालाब में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर स्नान करते श्रद्धालु।
घाट04 – गिरियक के पंचाने नदी में कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के लिए उमड़ी भीड़।
घाट05 – गिरियक घाट पर लगे काष्ट मेले में खरीदारों की भीड़।
बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान टीम ।
कार्तिक पूर्णिमा पर जिले के प्रमुख नदी व तालाबों में श्रद्वालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी। पंचाने नदी के कोसुक तो गिरियक के त्रिवेणी घाट पर तो स्नान के लिए लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। कोसुक स्थित नदी घाट को गोविन्द नक्षत्र का दर्जा मिला हुआ है। यही कारण है कि यहां दूर-दराज से हजारों लोग स्नान करने पहुंचे। राजगीर के ब्रह्मकुंड, सूर्यपीठ बड़गांव सूर्य तालाब, मोरा तालाब व अन्य सरोवरों में स्नान कर लोगों ने पुण्य कमाया।
अहले सुबह से ही नदी घाट पर श्रद्वालुओं की अपार भीड़ उमड़ी थी। वाहन नहीं मिलने के कारण कई लोग गांवों से पैदल चलकर यहां तक पहुंचे थे। कार्तिक पूर्णिमा और उसमें भी सोमवार का दिन। हर कोई इस सुनहरे मौके को खोना नहीं चाह रहे थे। महिलाओं की भीड़ सबसे ज्यादा थी। युवा और बच्चे भी काफी संख्या में पहुंचे थे। स्नान के बाद महिला व पुरुषों ने दीया जलाकर नदी में प्रवाहित किये। कोसुक नदी घाट से कुछ दूर पर स्थित चौहरमल मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए लोगों की कतारें लगी रहीं। कोसुक नदी घाट पर कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगा। मेले में हर तरह के ग्रामीण वस्तुओं की बिक्री स्टॉल लगाकर की गयी।
परम और सूथनी का लोगों ने चखा स्वाद:
कोसुक मेला में नदी स्नान करने वाले व मेला घूमने आये लोगों ने परम से लेकर सूथनी का स्वाद चखा है। साथ ही केतारी, सकरकंद , पानी का सिघाड़ा की भी खूब बिक्री हुई। खेती में काम आने वाला यंत्र हसुआ, खुरपी भी मिल रहा था। घाट के आसपास तरह-तरह के झूले लगाये गये थे। बच्चों ने खूब मौज-मस्ती की।
बख्तियारपुर और बाढ़ गंगा घाट भी गये हजारों लोग:
पूर्णिमा के मौके पर बख्तियारपुर बाढ़ के उमानाथ गंगा घाट में स्नान करने जिले के हजारों लोग गये। अहले सुबह ढाई बजे से ही यात्री और निजी वाहनों से लोग जाते दिखे। भीड़ इतनी की कई वाहनों के गेट में लटककर लोगों को जाना पड़ा। जबकि, कई ऐसे भी थे, जिन्हें वाहनों के इंतजार में सड़क किनारे काफी देर तक खड़ा रहना पड़ा।
त्रिवेणी घाट में स्नान करे कई जिलों से पहुंचे श्रद्धालु
पावापुरी, निज संवाददाता।
गिरियक में पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला मेला पूरे रंग में दिखा । हजारों लोगों ने पंचाने नदी में स्नान कर रिखिया माता तथा विष्णुपद का दर्शन किया। मेले में पुरुषों से अधिक संख्या महिलाओं की भीड़ दिखी। मेले में नालंदा, नवादा , शेखपुरा ,गया ,जहानाबाद, पटना आदि जिलों के लोग भी पहुंचे। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण, अर्जुन व भीम यहां आये थे। मान्यता है कि जरासंध 28 हजार राजाओं को युद्ध में परास्त कर बंदी बनाया था। बंदी किए गए राजाओं को भगवान श्रीकृष्ण ने मुक्त कराया और राजाओं को गिरियक के तट पर मगधी नदी (पंचाने नदी) में कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही स्नान कराया था। पूर्णिमा के दिन ही राजाओं ने अर्धचकरी नारायण के रूप में अभिषेक भी किया था जो अभी भी गिरियक पहाड़ पर विराजमान हैं। पंचाने नदी के जिस जगह पर राजाओं ने स्नान किया था, उस स्थान को भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होकर ‘बैकुंठ धाम का वरदान दिया। उस स्थान पर उनका चरण चिन्ह सामने मिलता है, जिसका प्रमाण धर्म ग्रन्थों में आज भी मिलता है।
30 दिवसीय काष्ट मेले में तरह-तरह के सामान:
कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गिरियक घाट के पास काष्ट मेला लगा। स्थानीय पप्पू यादव, अरविंद कुमार, शिवलाल यादव आदि ने बताया कि किसान और मजदूरों के लिए यह प्रसिद्ध मेला होता है। भारी संख्या में लोग जुटते हैं और किसानी में काम आने वाले हल ,चौकी ,कुदाल ,खुरपी ,हसुआ आदि सामानों की खरीदारी करतें हैं । गिरियक मेले में मुख्य आकर्षण का केंद्र कुश्ती ,लकड़ी का फर्नीचर ,लाठी ,मूली तथा सुथनी रहा । मेला एक माह तक चलेगा। फर्नीचर के विक्रेता ने बताया कि अन्य जगहों की अपेक्षा यहां सस्ते दरों पर लकड़ी का समान उपलब्ध होता है ।
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कार्तिक पूर्णिमा:
नदी व तालाबों में श्रद्धालुओं ने लगायी आस्था की डुबकी
कोसुक के गोविंद नक्षत्र तो गिरियक के त्रिवेणी घाट पर उमड़ी अपार भीड़
राजगीर के ब्रह्मकुंड में डुबकी लगाने के लिए अहले सुबह के लगी रही कतार
श्रद्धालुओं ने नदी में दीप दान कर की सुख-समृद्धि की कामना
बाबा चौहरमल मंदिर में की पूजा-अर्चना
फोटो
घाट01 – कोसुक के पास पंचाने नदी में कार्तिक पूर्णिमा पर डुबकी लगाने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ।
घाट02 – कोसुक नदी में स्नान के बाद दीप दान करतीं महिलाएं।
घाट03 – बड़गांव के सूर्य तालाब में कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर स्नान करते श्रद्धालु।
घाट04 – गिरियक के पंचाने नदी में कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान के लिए उमड़ी भीड़।
घाट05 – गिरियक घाट पर लगे काष्ट मेले में खरीदारों की भीड़।
बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान टीम ।
कार्तिक पूर्णिमा पर जिले के प्रमुख नदी व तालाबों में श्रद्वालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी। पंचाने नदी के कोसुक तो गिरियक के त्रिवेणी घाट पर तो स्नान के लिए लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। कोसुक स्थित नदी घाट को गोविन्द नक्षत्र का दर्जा मिला हुआ है। यही कारण है कि यहां दूर-दराज से हजारों लोग स्नान करने पहुंचे। राजगीर के ब्रह्मकुंड, सूर्यपीठ बड़गांव सूर्य तालाब, मोरा तालाब व अन्य सरोवरों में स्नान कर लोगों ने पुण्य कमाया।
अहले सुबह से ही नदी घाट पर श्रद्वालुओं की अपार भीड़ उमड़ी थी। वाहन नहीं मिलने के कारण कई लोग गांवों से पैदल चलकर यहां तक पहुंचे थे। कार्तिक पूर्णिमा और उसमें भी सोमवार का दिन। हर कोई इस सुनहरे मौके को खोना नहीं चाह रहे थे। महिलाओं की भीड़ सबसे ज्यादा थी। युवा और बच्चे भी काफी संख्या में पहुंचे थे। स्नान के बाद महिला व पुरुषों ने दीया जलाकर नदी में प्रवाहित किये। कोसुक नदी घाट से कुछ दूर पर स्थित चौहरमल मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए लोगों की कतारें लगी रहीं। कोसुक नदी घाट पर कार्तिक पूर्णिमा पर मेला लगा। मेले में हर तरह के ग्रामीण वस्तुओं की बिक्री स्टॉल लगाकर की गयी।
परम और सूथनी का लोगों ने चखा स्वाद:
कोसुक मेला में नदी स्नान करने वाले व मेला घूमने आये लोगों ने परम से लेकर सूथनी का स्वाद चखा है। साथ ही केतारी, सकरकंद , पानी का सिघाड़ा की भी खूब बिक्री हुई। खेती में काम आने वाला यंत्र हसुआ, खुरपी भी मिल रहा था। घाट के आसपास तरह-तरह के झूले लगाये गये थे। बच्चों ने खूब मौज-मस्ती की।
बख्तियारपुर और बाढ़ गंगा घाट भी गये हजारों लोग:
पूर्णिमा के मौके पर बख्तियारपुर बाढ़ के उमानाथ गंगा घाट में स्नान करने जिले के हजारों लोग गये। अहले सुबह ढाई बजे से ही यात्री और निजी वाहनों से लोग जाते दिखे। भीड़ इतनी की कई वाहनों के गेट में लटककर लोगों को जाना पड़ा। जबकि, कई ऐसे भी थे, जिन्हें वाहनों के इंतजार में सड़क किनारे काफी देर तक खड़ा रहना पड़ा।
त्रिवेणी घाट में स्नान करे कई जिलों से पहुंचे श्रद्धालु
पावापुरी, निज संवाददाता।
गिरियक में पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला मेला पूरे रंग में दिखा । हजारों लोगों ने पंचाने नदी में स्नान कर रिखिया माता तथा विष्णुपद का दर्शन किया। मेले में पुरुषों से अधिक संख्या महिलाओं की भीड़ दिखी। मेले में नालंदा, नवादा , शेखपुरा ,गया ,जहानाबाद, पटना आदि जिलों के लोग भी पहुंचे। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण, अर्जुन व भीम यहां आये थे। मान्यता है कि जरासंध 28 हजार राजाओं को युद्ध में परास्त कर बंदी बनाया था। बंदी किए गए राजाओं को भगवान श्रीकृष्ण ने मुक्त कराया और राजाओं को गिरियक के तट पर मगधी नदी (पंचाने नदी) में कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही स्नान कराया था। पूर्णिमा के दिन ही राजाओं ने अर्धचकरी नारायण के रूप में अभिषेक भी किया था जो अभी भी गिरियक पहाड़ पर विराजमान हैं। पंचाने नदी के जिस जगह पर राजाओं ने स्नान किया था, उस स्थान को भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न होकर ‘बैकुंठ धाम का वरदान दिया। उस स्थान पर उनका चरण चिन्ह सामने मिलता है, जिसका प्रमाण धर्म ग्रन्थों में आज भी मिलता है।
30 दिवसीय काष्ट मेले में तरह-तरह के सामान:
कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गिरियक घाट के पास काष्ट मेला लगा। स्थानीय पप्पू यादव, अरविंद कुमार, शिवलाल यादव आदि ने बताया कि किसान और मजदूरों के लिए यह प्रसिद्ध मेला होता है। भारी संख्या में लोग जुटते हैं और किसानी में काम आने वाले हल ,चौकी ,कुदाल ,खुरपी ,हसुआ आदि सामानों की खरीदारी करतें हैं । गिरियक मेले में मुख्य आकर्षण का केंद्र कुश्ती ,लकड़ी का फर्नीचर ,लाठी ,मूली तथा सुथनी रहा । मेला एक माह तक चलेगा। फर्नीचर के विक्रेता ने बताया कि अन्य जगहों की अपेक्षा यहां सस्ते दरों पर लकड़ी का समान उपलब्ध होता है ।
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