Delhi Water News: राजधानी दिल्ली में पीने लायक नहीं बोरवेल का पानी, बोतलों में बेच रहे, पर एक्शन सुस्त h3>
नई दिल्ली: पानी की बढ़ती डिमांड की वजह से राजधानी में अब भी अवैध बोरवेल चल रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि कई जगह इन बोरवेल का पानी बोतल में भर कर पीने के पानी के तौर पर बेचा जा रहा है। जबकि यह पानी लायक नहीं होता। दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी (डीपीसीसी) की एक ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि राजधानी में डीपीसीसी 19,661 अवैध बोरवेल की लिस्ट बना चुका है लेकिन इसमें से अभी तक 11,364 बोरवेल को ही सील किया जा सका है। इन बोरवेल का इस्तेमाल कर रहीं इकाइयों पर 70 करोड़ से ज्यादा जुर्माना विभाग ने लगाया, लेकिन इनमें से भी महज 54.30 लाख रुपये ही वसूले जा सके हैं।
डीपीसीसी ने मार्च की यह रिपोर्ट तैयार कर 21 अप्रैल को जल शक्ति मंत्रालय के सचिव को भेजी है। अवैध बोरवेल और भूजल दोहन का मामला सीधे एनजीटी देख रहा है। इस मामले में दिल्ली जल बोर्ड ने एनजीटी में 19,661 अवैध बोरवेल की लिस्ट 2019 में सबमिट की थी। रेवेन्यू डिपार्टमेंट को इन अवैध बोरवेल को सील करना है। वहीं, डीपीसीसी को इन पर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए सीपीसीबी के नए फॉर्म्युले के अनुसार एनवायरमेंट कंपनसेशन लगाना है।
मार्च 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी में 19,661 अवैध बोरवेल में से 11,364 ही सील हो पाई हैं। यह कार्रवाई 25 अक्टूबर 2021 तक की गई है। वहीं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए सभी 19,661 इकाइयों पर डीपीसीसी ने 70.658 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। लेकिन इसमें से बी 25 अक्टूबर 2021 तक महज 54.30 लाख रुपये ही वसूल हो पाए हैं। अधिकारियों का कहना है कि कोविड से भी इस काम में देरी हो रही है।
भूजल को सीधे पीना नुकसानदेह
सेंट्रल ग्राउंडवॉटर बोर्ड (CGWB) की अगस्त 2021 जारी रिपोर्ट बताती है कि राजधानी में भूजल पीने लायक नहीं है। इसके मुताबिक, जनकपुरी, झारोदा कलां, निजामुद्दीन ब्रिज, कंझावला जैसी जगहों पर यूरेनियम का स्तर 30 पीपीबी (पार्ट पर बिलियन) से अधिक है। झारोदा कलां में इशका स्तर 128.9 पीपीबी तक है। वहीं, मैंगनीज का स्तर भी कई जगहों पर तय मानकों से अधिक है। उजवा में तो यह 1.39 पीपीएम तक दर्ज हुआ। नजफगढ़, नगी, राजपुर, उजवा, भलसवा में इसका स्तर तय मानक 0.3 पीपीएम से कहीं अधिक है। इसी तरह फ्लाराइड की मात्रा विकासपुरी, संजय वन, खैरा कलां, रोहिनी सेक्टर-28, माजरा डबास और झुलझुली में अधिक पाई गई। अधिकारों के अनुसार कुछ जगहोों पर अवैध तरीके से लगी बोरवेल के पानी का कर्मशल इस्तेमाल हो रहा है। लोग इसे बोतलों में भरकर पीने के पानी की तरह बेच रहे हैं।
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मार्च 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक राजधानी में 19,661 अवैध बोरवेल में से 11,364 ही सील हो पाई हैं। यह कार्रवाई 25 अक्टूबर 2021 तक की गई है। वहीं पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए सभी 19,661 इकाइयों पर डीपीसीसी ने 70.658 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। लेकिन इसमें से बी 25 अक्टूबर 2021 तक महज 54.30 लाख रुपये ही वसूल हो पाए हैं। अधिकारियों का कहना है कि कोविड से भी इस काम में देरी हो रही है।
भूजल को सीधे पीना नुकसानदेह
सेंट्रल ग्राउंडवॉटर बोर्ड (CGWB) की अगस्त 2021 जारी रिपोर्ट बताती है कि राजधानी में भूजल पीने लायक नहीं है। इसके मुताबिक, जनकपुरी, झारोदा कलां, निजामुद्दीन ब्रिज, कंझावला जैसी जगहों पर यूरेनियम का स्तर 30 पीपीबी (पार्ट पर बिलियन) से अधिक है। झारोदा कलां में इशका स्तर 128.9 पीपीबी तक है। वहीं, मैंगनीज का स्तर भी कई जगहों पर तय मानकों से अधिक है। उजवा में तो यह 1.39 पीपीएम तक दर्ज हुआ। नजफगढ़, नगी, राजपुर, उजवा, भलसवा में इसका स्तर तय मानक 0.3 पीपीएम से कहीं अधिक है। इसी तरह फ्लाराइड की मात्रा विकासपुरी, संजय वन, खैरा कलां, रोहिनी सेक्टर-28, माजरा डबास और झुलझुली में अधिक पाई गई। अधिकारों के अनुसार कुछ जगहोों पर अवैध तरीके से लगी बोरवेल के पानी का कर्मशल इस्तेमाल हो रहा है। लोग इसे बोतलों में भरकर पीने के पानी की तरह बेच रहे हैं।