Delhi Temperature: दिल्ली के मौसम का यह कैसा मिजाज, कहीं 43 तो कहीं 46 डिग्री पहुंच गया तापमान h3>
आईआईटी दिल्ली की प्रोफेसर मंजू मोहन ने कहा कि ड्राई वेदर के समय दिन का तापमान स्थानीय लैंड यूज के कारण अलग-अलग हो सकता है। जमीन का इस्तेमाल जैसे पेड़-पौधे ज्यादा होने (फसल, घने पेड़, जंगल) या खुला क्षेत्र ज्यादा होने से पारा घटता बढ़ता है। उन्होंने कहा, ‘हम देखते हैं कि शहर के ज्यादा निर्माण वाले इलाके पड़ोस के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में ठंडे होते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बिल्डिंग मटैरियल दिन के समय हीट अवशोषित (एब्सॉर्ब) करते हैं। जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसा नहीं होता है। दूसरी तरफ शहरी क्षेत्रों में आबादी ज्यादा रहती है, एसी-ट्रैफिक और दूसरे तरीके से गर्मी ज्यादा निकलती है और ऊर्जा का उपभोग भी खूब होता है।’
गर्म हवाओं से भी बढ़ता है पारा
प्रोफेसर का कहना है कि घने पेड़ों वाले क्षेत्र में तापमान कुछ हद तक घट सकता है लेकिन कम पानी और कम पेड़ वाले क्षेत्रों में हीट ज्यादा होगी। हवाओं की दिशा खासतौर से रेगिस्तान से आ रही गर्म हवाएं भी तापमान पर असर डालती हैं। उन्होंने कहा कि हवा की दिशा काफी मायने रखती है। अगर हवा शुष्क इलाके, गर्म क्षेत्रों जैसे राजस्थान के रेगिस्तान से आ रही है तो दिन में तापमान गर्म रहेगा। यही कॉन्सेप्ट जाड़े में भी लागू होता है जिसके कारण वही इलाका काफी ठंडा हो जाता है।
सफदरजंग इसलिए थोड़ा ठंडा है
एक्सपर्ट का कहना है कि मिट्टी में नमी, वेटलैंड, घास के मैदान आदि के कारण भी तापमान में बदलाव देखने को मिलता है। आईएमडी के मौसम वैज्ञानिक कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक सफदरजंग जैसे इलाके ज्यादा हरियाली वाले हैं, पास में पार्क भी हैं जबकि शहर के बाहरी हिस्से पूरी तरह से खुले हैं। नजफगढ़ और नरेला जैसे इलाकों में सीधे गर्म हवाएं पहुंचती हैं। गर्मी के मौसम में ऐसे कुछ इलाके हैं जहां राजस्थान या दक्षिणी हरियाणा से गर्म हवाएं आती हैं।