Delhi Politics: दिल्ली में बाढ़ पर तेज हुई राजनीति, BJP ने CM पर हमला बोला, कांग्रेस ने भी उठाए सवाल

6
Delhi Politics: दिल्ली में बाढ़ पर तेज हुई राजनीति, BJP ने CM पर हमला बोला, कांग्रेस ने भी उठाए सवाल

Delhi Politics: दिल्ली में बाढ़ पर तेज हुई राजनीति, BJP ने CM पर हमला बोला, कांग्रेस ने भी उठाए सवाल

​बाढ़ नियंत्रण के लिए मई में ही शुरू कर दी थी तैयारीः दिल्ली सरकार

बाढ़ नियंत्रण के लिए बनी एपैक्स कमिटी की मीटिंग न होने के मुद्दे पर सफाई देते हुए दिल्ली सरकार ने कहा है कि बाढ़ नियंत्रण को लेकर सरकार पूरी तरह सजग रही है और नियमित रूप से इससे जुड़ी तैयारियों की समीक्षा भी की जा रही थी। एक बयान में दिल्ली सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार मई से ही बाढ़ और जलजमाव के मुद्दों की नियमित समीक्षा कर रही थी। 9 मई को सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के मंत्री सौरभ भारद्वाज और पीडब्ल्यूडी मंत्री आतिशी ने संयुक्त रूप से एक बैठक की अध्यक्षता की थी, जिसमें पीडब्ल्यूडी, एमसीडी, डीडीए, दिल्ली जल बोर्ड, फ्लड कंट्रोल और एनडीएमसी सहित सभी विभागों के अधिकारी मौजूद थे। इस बैठक में बाढ़ और जलजमाव को रोकने की तैयारियों की समीक्षा की गई। उसके बाद भी बाढ़ और जलजमाव से संबंधित समस्याओं के समाधान के लिए नियमित रूप से अंतर विभागीय बैठकें होती रही हैं। मुख्यमंत्री खुद भी लगातार स्थिति पर नजर रख रहे थे। फ्लड कंट्रोल ऑर्डर के संबंध में सरकार का कहना है कि दिल्ली के ऐतिहासिक आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए और उचित प्रक्रिया के अनुसार ही फ्लड कंट्रोल ऑर्डर जारी किया गया था।

​बाढ़ के लिए बीजेपी ने CM पर बोला हमला

​बाढ़ के लिए बीजेपी ने CM पर बोला हमला

यमुना में आई बाढ़ के लिए दिल्ली सरकार जहां हरियाणा की बीजेपी सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है, वहीं बीजेपी का कहना है कि दिल्ली में आई बाढ़ का कारण हथिनीकुंड बैराज से आया पानी नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार का भ्रष्टाचार है, जिसकी न्यायिक जांच आवश्यक है। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा और लीगल सेल की प्रदेश सह-संयोजक बांसुरी स्वराज ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि हथिनीकुंड बैराज से हर साल ही मॉनसून में अतिरिक्त पानी दिल्ली की ओर छोड़ा जाता है, लेकिन बाढ़ 1978 के बाद इसी साल आई है। अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए आम आदमी पार्टी के नेता हथिनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी को लेकर अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं। सचदेवा ने कहा कि मैं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मांग करता हूं कि वह दिल्लीवालों को बताएं कि फ्लड कंट्रोल ऑर्डर के अंतर्गत जून तक अनिवार्य रूप से की जाने वाली एपैक्स कमिटी की बैठक पिछले 2 साल से क्यों नहीं की गई? सचदेवा के मुताबिक, दिल्ली में बाढ़ को लेकर सरकार कितनी लापरवाह है, एपैक्स कमेटी की बैठक न होना इसका प्रमाण है। हथिनीकुंड से पानी छोड़े जाने में इस साल दिल्ली सरकार को राजनीति इसलिए दिख रही है, क्योंकि दिल्ली में मॉनसून से पहले यमुना के तटों की सफाई में, नालों और नालियों की सफाई में दिल्ली सरकार के बाढ़ नियंत्रण विभाग, लोक निर्माण विभाग, दिल्ली जल बोर्ड और दिल्ली नगर निगम ने एतिहासिक घोटाला किया है। उन्होंने दावा किया कि यूं तो पिछले 8 साल से यमुना की सफाई के काम में घोटाला हो रहा था, पर इस साल मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने यमुना सफाई के साथ-साथ नालों की सफाई का सारा फंड भी आम आदमी पार्टी के कोष में जमा करा दिया। सफाई के ठेके ऐसे लोगों को दिए गए, जो अपना हिस्सा काट के बाकी पैसा आम आदमी पार्टी के कोष में जमा करा दें। उन्होंने पूछा कि पिछले साल दिल्ली यमुना की सफाई के लिए जो 6500 करोड़ रुपये और नए एसटीपी के निर्माण के लिए 2,409 करोड़ रुपये केंद्र सरकार से मिले, वह सारा पैसा कहां गया और उससे कितना और क्या काम हुआ?

​दिल्ली सरकार ने एपेक्स कमिटी का अस्तित्व ही खत्म कर दिया: कांग्रेस

​दिल्ली सरकार ने एपेक्स कमिटी का अस्तित्व ही खत्म कर दिया: कांग्रेस

एपेक्स कमिटी की बैठक न बुलाने के मुद्दे पर कांग्रेस ने भी दिल्ली सरकार पर सवाल उठाए हैं। दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली ने रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वर्तमान सरकार ने एपेक्स कमिटी का अस्तित्व ही खत्म कर दिया है, जबकि सीएम खुद इस कमिटी के मुखिया होते हैं। हर साल जनवरी फरवरी के महीने में इस कमिटी की बैठक होनी चाहिए, लेकिन दिल्ली सरकार ने पिछले 10 सालों में कोई बैठक नहीं की। दिल्ली सरकार ने अधिकारियों की ड्यूटी बाढ़ नियंत्रण की जगह अवैध कॉलोनियों में सड़कों के निर्माण कार्य में लगाकर खुद दिल्ली में बाढ़ को आमंत्रित किया है। सरकार ने बाढ़ से बचाव को लेकर भी कोई गंभीरता नहीं दिखाई है और डीडीआरएफ के नोडल ऑफिसर की नियुक्ति ही नहीं की। लवली ने कहा कि अगर अरविंद केजरीवाल समय रहते एपेक्स कमिटी की बैठक बुलाकर निगरानी रखते, तो आज दिल्लीवालों को इस बुरे दौर से नहीं गुजरना नहीं पड़ता। दिल्ली में जब कांग्रेस की सरकार थी, तो तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित 6 महीने पहले ही एपेक्स कमिटी की बैठक बुलाती थीं और शहरी विकास मंत्री के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों के सिंचाई विभाग के अधिकारियों से समन्वय रखते हुए बरसात से पहले नालों और नदियों से गाद निकालने का काम पूरा कर लिया जाता था। पूर्व कांग्रेस सांसद जय प्रकाश अग्रवाल और दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री हारून युसूफ ने भी दिल्ली सरकार पर बाढ़ पीड़ितों को राहत पहुंचाने में फेल रहने की बात कही।

राजनीति की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – राजनीति
News