Delhi Meerut Expressway Scam: निधि के बाद अब पूर्व डीएम विमल शर्मा पर गिरेगी गाज! इनके समय ही शुरू हुआ था भ्रष्टाचार का खेल h3>
गाजियाबाद : दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर तय राशि से अधिक मुआवजा दिए जाने का खेल पूर्व डीएम विमल शर्मा के कार्यकाल में शुरू हुआ था। इसमें उनके सहयोगी के रूप में एडीएम भूअर्जन घनश्याम सिंह ने पूरी मदद की थी। इतना ही नहीं अमीन संतोष कुमार ने भी भ्रष्टाचार के इस खेल को आगे बढ़ाया था। अमीन संतोष कुमार ने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन लेकर अधिक मुआवजा लिया।
मंडलायुक्त ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि पूर्व डीएम विमल शर्मा ने ऑर्बिटेशन के दौरान यह तर्क दिया कि इन पर नया भूअर्जन अधिनियम लागू माना जाएगा। जिसकी वजह से चार गुना मुआवजा दिया जा रहा है लेकिन उनका तर्क आधारहीन था। अधिग्रहण पहले हुआ था, इसलिए इस पर नया भूअर्जन अधिनियम लाग नहीं होता है। इसलिए यह दर तत्कालीन सर्कल रेट और विक्रय दर के आधार पर तय की जानी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। 617 रुपये प्रति वर्ग मीटर के रेट को 10 गुना बढ़ाते हुए 6500 रुपये कर दिया गया। इस तरह के 3 मामलों में विमल शर्मा ने अधिक मुआवजा दिया।
पहले मामले में एडीएम भूअर्जन धनश्याम सिंह के बेटे शिवांग राठौर को 7 करोड़ 58 लाख रुपये का लाभ हुआ। दूसरे मामले में पूर्व डीएम ने अमीन संतोष कुमार के मामा रनधीर सिंह के जमीन का ऑर्बिट्रेशन से अवार्ड किया। अवार्ड रेट 1235 रुपये था। जिसे बढ़ाकर 5577 रुपये कर दिया गया। तीसरा मामला लोकेश बेनीवाल का है। यह अमीन संतोष कुमार की पत्नी हैं। इन्हें 1235 रुपये के अवार्ड रेट से बढ़ाकर 5577 रुपये प्रति वर्ग मीटर से मुआवजा दिया गया है। इसलिए इन तीनों मामले में इनकी संलिप्तता पाई गई थी। मालूम हो कि विमल शर्मा गाजियाबाद में 25 जून 2014 से 19 जुलाई 2016 तक डीएम के पद पर कार्यरत थे। वह यहां पहले एसडीएम और सिटी मैजिस्ट्रेट के पर भी कार्य कर चुके थे।
एनएचएआई के अधिकारी की संलिप्तता
मंडलायुक्त की जांच में स्पष्ट कहा गया है कि इस भ्रष्टाचार के खेल में जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही साथ एनएचएआई के अधिकारी भी संलिप्तता नजर आ रही है। इस ऑर्बिटेशन के दौरान मौजूद एनएचएआई के अधिकारियों की भूमिका एनएचएआई के हितों के खिलाफ रही क्योंकि बढ़े हुए रेट का उन्होंने जोरदार विरोध भी नहीं किया। इतना नहीं बल्कि ऑर्बिटेशन के खिलाफ कोई अपील भी नहीं की गई।
आयकर विभाग की पड़ चुकी है रेड
पूर्व डीएम विमल शर्मा के नोएडा स्थित आवास पर साल 2017 में आयकर विभाग की रेड भी पड़ चुकी है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में यह रेड हुई थी। एक टीम ने उनके बेटे के फ्लैट पर भी छापा मारा था। इस दौरान जांच के दौरान इनकम टैक्स के अफसरों को संपत्तियों के लेन-देन से जुड़े कई अहम कागजात बरामद हुए थे, जिन्हें उन्होंने अपने कब्जे में ले लिया था। साथ ही काफी मात्रा में सोना-चांदी और अन्य जूलरी भी बरामद हुई थी।
फंस सकते हैं जिले के पूर्व अधिकारी
सूत्र बताते हैं कि शासन स्तर पर कानून के जानकारों से राय ली जा रही है कि इस घोटाले में शामिल होने वाले आरोपियों पूर्व डीएम विमल शर्मा समेत कई अन्य जो अब रिटायर हो चुके हैं उन्हें किस प्रकार से भ्रष्टाचार के इस मामले में कानून के शिकंजे में लाया जाए। बताते हैं इससे पूर्व भी राज्य सरकार रिटायर होने के बाद भी कई अफसरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रही है। यदि ऐसा हुआ तो बड़ी संख्या में जिले के पूर्व अधिकारी फंस सकते हैं।
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पहले मामले में एडीएम भूअर्जन धनश्याम सिंह के बेटे शिवांग राठौर को 7 करोड़ 58 लाख रुपये का लाभ हुआ। दूसरे मामले में पूर्व डीएम ने अमीन संतोष कुमार के मामा रनधीर सिंह के जमीन का ऑर्बिट्रेशन से अवार्ड किया। अवार्ड रेट 1235 रुपये था। जिसे बढ़ाकर 5577 रुपये कर दिया गया। तीसरा मामला लोकेश बेनीवाल का है। यह अमीन संतोष कुमार की पत्नी हैं। इन्हें 1235 रुपये के अवार्ड रेट से बढ़ाकर 5577 रुपये प्रति वर्ग मीटर से मुआवजा दिया गया है। इसलिए इन तीनों मामले में इनकी संलिप्तता पाई गई थी। मालूम हो कि विमल शर्मा गाजियाबाद में 25 जून 2014 से 19 जुलाई 2016 तक डीएम के पद पर कार्यरत थे। वह यहां पहले एसडीएम और सिटी मैजिस्ट्रेट के पर भी कार्य कर चुके थे।
एनएचएआई के अधिकारी की संलिप्तता
मंडलायुक्त की जांच में स्पष्ट कहा गया है कि इस भ्रष्टाचार के खेल में जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही साथ एनएचएआई के अधिकारी भी संलिप्तता नजर आ रही है। इस ऑर्बिटेशन के दौरान मौजूद एनएचएआई के अधिकारियों की भूमिका एनएचएआई के हितों के खिलाफ रही क्योंकि बढ़े हुए रेट का उन्होंने जोरदार विरोध भी नहीं किया। इतना नहीं बल्कि ऑर्बिटेशन के खिलाफ कोई अपील भी नहीं की गई।
आयकर विभाग की पड़ चुकी है रेड
पूर्व डीएम विमल शर्मा के नोएडा स्थित आवास पर साल 2017 में आयकर विभाग की रेड भी पड़ चुकी है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में यह रेड हुई थी। एक टीम ने उनके बेटे के फ्लैट पर भी छापा मारा था। इस दौरान जांच के दौरान इनकम टैक्स के अफसरों को संपत्तियों के लेन-देन से जुड़े कई अहम कागजात बरामद हुए थे, जिन्हें उन्होंने अपने कब्जे में ले लिया था। साथ ही काफी मात्रा में सोना-चांदी और अन्य जूलरी भी बरामद हुई थी।
फंस सकते हैं जिले के पूर्व अधिकारी
सूत्र बताते हैं कि शासन स्तर पर कानून के जानकारों से राय ली जा रही है कि इस घोटाले में शामिल होने वाले आरोपियों पूर्व डीएम विमल शर्मा समेत कई अन्य जो अब रिटायर हो चुके हैं उन्हें किस प्रकार से भ्रष्टाचार के इस मामले में कानून के शिकंजे में लाया जाए। बताते हैं इससे पूर्व भी राज्य सरकार रिटायर होने के बाद भी कई अफसरों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर रही है। यदि ऐसा हुआ तो बड़ी संख्या में जिले के पूर्व अधिकारी फंस सकते हैं।