Delhi Crime: आउटर दिल्ली में अपराध के खिलाफ चलेगा ‘ऑपरेशन तांडव’, DCP बृजेंद्र कुमार यादव से खास बातचीत h3>
आउटर नॉर्थ जिला पुलिस अपराध और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करती है। इसे रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। मसलन, स्ट्रीट क्राइम को रोकने के लिए सरप्राइज चैकिंग की रणनीति है। इसके अलावा हॉक आई ऑपरेशन। व्हीकल ऐप का यूज, सर्च ऑपरेशन। दरअसल, मेरा फोकस है पब्लिक से सीधा संपर्क। इससे क्राइम कंट्रोल के लिए आईडिया और फीडबैक मिलता है। वे लोग ही हमारे ‘आई एंड ईयर’ हैं। लोगों से मेरी यही अपील रहती है कि कुछ भी अपने आसपास संदिग्ध गतिविधि देखें, सुनें, समझें। पुलिस को बिना संकोच शेयर करें। पुलिस सदैव आपके साथ है।
गैंगवार, गैंगस्टर खतरे से निपटने में क्या पुख्ता कदम?
जिले की पुलिस वैसे तो हर समय गैंगवार, गैंगस्टर को लेकर अलर्ट रहती है। फिर भी मैं खुद रियलटी चेक करता रहता हूं। हमारी टीमें एक्टिव रहती हैं। लोगों के साथ बेहतर तालमेल की वजह से गैंगस्टरों के जो हमदर्द हैं, उनके व गैंगस्टर्स – गुर्गों के खिलाफ एक्शन ऑपरेशन तांडव चल रहा है। हमने जून तक 23 एनकाउंटर किए। 34 क्रिमिनल पकड़े। 75 पिस्टल बरामद कीं। 149 कारतूस जब्त किए। बॉर्डर एरिया होने की वजह से अक्सर दूसरी जगहों से चोरी छिपे अनदेखे रास्तों से गैंग, गैंगस्टर आकर वारदात कर जाते थे। हमने ऐसे रास्ते चिन्हित किए। जो गैंगस्टर अक्सर यूज करते थे। हमने उन रास्तों पर पुलिस पिकेट का पहरा बिठा दिया। रिजल्ट यह कि, जिला गैंगवार से जुड़ी वारदातों से महफूज है।
सदभावना सेल क्या है, लोगों में इसकी चर्चा बहुत है?
सबसे अहम बात, इकलौता ऐसा जिला है, जिसमें पहली बार हमने ‘सद्भावना सेल’ का गठन किया। इसमें हर पूरे जिले बीट स्टाफ से लेकर एसएचओ तक को टारगेट है कि रोजाना पूरे दिन में कोई एक काम मानव सेवा से जुड़ा करना है। नतीजा अच्छा मिला। हर दिन स्टाफ बढ़ चढ़कर नेक काम करता है। उसकी बाकायदा सदभावना सेल के व्हाट्सएप ग्रुप में फोटो समेत अपडेट करता है। इससे लोगों के बीच पुलिस और पुलिसिंग की इमेज में न सिर्फ भरोसा जगा है। बल्कि स्टाफ को सुखद अनुभव होता है।
वूमेन सेफ्टी के लिए जिले में क्या कदम उठाए जा रहे हैं?
इलाके की बहुत सी बच्चियों, छात्राओं को सेल्फ डिफेंस के जरिए उनका कॉन्फीडेंस लेवल बढ़ाया है। यह शुरू से ही मेरी प्राथमिकता में रहा। इसके अलावा महिला अपराध के खिलाफ हमने लेडी कॉन्स्टेबल, एक कॉन्स्टेबल को हर पुलिस स्टेशन के सभी पुलिस पिकेट पर तैनात किया हुआ है। जहां बेझिझक शिकायती महिला अपनी बात साझा कर सकती हैं। हर एक पुलिस स्टेशन में वूमेन हेल्प डेस्क है। इसके अलावा बुजुर्गों की सेफ्टी के लिए ‘सीनियर सिटीजन सेल’ मजबूती से एक्टिव है। उनकी सुरक्षा, शिकायत पर तुरंत समाधान के लिए हर थाना लेवल पर मीटिंग्स होती हैं।
क्राइम और साइबर क्राइम का ट्रेंड कैसा, क्या उठाए गए कदम?
जिला पुलिस ने पिछले कुछ समय में डकैती, स्नैचिंग, वाहन चोरी और हिस्ट्रीशीटर और स्ट्रीट क्राइम का ब्यौरा इकठ्ठा कर नई पहल ‘ऑपरेशन स्पाइडर मैन’ शुरू किया। इसमें ग्राउंड लेवल पर ऐसे एक्टिव अपराधियों का डेटा निकाला, जो सीमावर्ती राज्यों या जिलों से आते हैं। जिले के सभी पुलिस थानों से ऐसे अपराधियों की डिटेल और फोटो भेजे गए। यह प्रोएक्टिव पुलिसिंग, प्रिवेंटिव पुलिसिंग और डिटेक्शन पर फोकस करते हुए क्राइम कंट्रोल करने की रणनीति है। पिछले कुछ समय से साइबर अपराध में तेजी आई। जरूरी था लोगों को अवेयर करना। हमारे जिले में साइबर सेल का थाना है। जहां साइबर सेल एसएचओ, स्टाफ ऐसे केस देखता है।
आतंकी खतरे से निपटने में आउटर जिला कितना तैयार है?
जिले की पुलिस वैसे तो हर समय एंटी टेरर को लेकर अलर्ट रहती है। फिर भी मैं खुद रियलटी चेक करता रहता हूं। स्थानीय मार्केट और लोगों की मदद से वॉलंटियर्स बनाए हैं। उनका काम है लोगों को आतंकी खतरे से समय समय पर अलर्ट करना।