Delhi Circle Rate: कृषि भूमि के सर्कल रेट बढ़ाने पर LG ने लगाया ब्रेक, किसानों को करना होगा इंतजार h3>
दिल्ली सरकार ने भेजा था ये प्रस्ताव
7 अगस्त को दिल्ली सरकार ने दिल्ली में कृषि भूमि के सर्कल रेट में 10 गुना तक की बढ़ोतरी करने की घोषणा की थी। इस संबंध में एक प्रस्ताव तैयार करके उसे मंजूरी के लिए एलजी वीके सक्सेना के पास भेजा था। दिल्ली में 2008 के बाद पहली बार कृषि भूमि के सर्कल रेट में बदलाव किया गया था। तब से अब तक सर्कल रेट एक समान (53 लाख रुपये प्रति एकड़) ही है। ऐसे में जमीन बेचने पर किसानों को उचित दाम नहीं मिल पाता है। साथ ही सरकार की तरफ से जमीन अधिग्रहण करने पर भी किसानों को 53 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से ही मुआवजा मिलता है। इससे सरकार को भी नुकसान होता है, क्योंकि मुआवजा कम मिलने पर किसान सरकारी प्रोजेक्ट के लिए जमीन देने में हिचकिचाते हैं। कई बार मामला कोर्ट में चला जाता है और लंबे समय तक खिंचता है। इसे ध्यान में रखते हुए सरकार ने सर्कल रेट में बदलाव किए थे।
किसानों का बढ़ा इंतज़ार
मौजूदा समय में दिल्ली के हर जिले में कृषि भूमि का सर्कल रेट 53 लाख रुपये प्रति एकड़ है, जबकि असल में दिल्ली के कुछ हिस्सों में जमीन की कीमतें बाकी जगहों की तुलना में काफी ज्यादा हैं और वहां जमीन की मांग भी ज्यादा है। इसलिए दिल्ली सरकार ने अलग-अलग जिलों में कृषि भूमि का अलग-अलग सर्कल रेट तय किया था। सरकार के इस फैसले से दिल्ली के किसानों को दो बड़े फायदे होने की उम्मीद थी। पहला, किसान जब मार्केट में अपनी जमीन बेचते, तो उन्हें उसका वाजिब दाम मिलता। दूसरा, सरकार जब किसी विकास कार्य के लिए भूमि का अधिग्रहण करती, तो उचित मुआवजा मिलता। अब एक बार फिर किसानों का इंतजार बढ़ गया है।
इन दो बिंदुओं पर एलजी ने सरकार से मांगा है स्पष्टीकरण
– कृषि भूमि के सर्कल रेट की प्रस्तावित दरें कृषि भूमि पर कब्जे की दरों को तय करने के लिए गठित किए गए वर्किंग ग्रुप की सिफारिशों पर आधारित हैं। वर्किंग ग्रुप ने 15 अप्रैल 2017 को अपनी रिपोर्ट में ये दरें प्रस्तावित की थी, लेकिन 2017 के बाद से लेकर अब तक कई गांवों का शहरीकरण हो चुका है। ऐसा लगता है कि इसकी वजह से साउथ-वेस्ट डिस्ट्रिक्ट में शहरीकृत गांवों और ग्रीन बेल्ट विलेजों की श्रेणियों में कुछ गांवों की ओवरलैपिंग हो गई है, मतलब कुछ गांव दोनों श्रेणियों में शामिल हो गए हैं।
– सर्कल रेट में अंतर लाने के लिए गांवों को ग्रीन बेल्ट में वर्गीकृत करने के औचित्य और तरीके पर भी फाइल में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है।