DAVV बना लापरवाह : नहीं हो रहा कॉलेज कोड-28 का पालन | DAVV became careless: College code-28 is not being followed | Patrika News h3>
दरअसल, यूजीसी के नियमों को सख्ती से पालन नहीं हो रहा, यही वजह है कि कॉलेजों ने कॉलेज कोड28 में फैकल्टी की नियुक्तियां नहीं की। इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार तक नहीं किए जाते हैं। यूनिवर्सिटी कॉलेजों की मानिटरिंग भी नहीं करती। इतना ही नहीं, जिनकी संबद्घता पिछले एक साल में या तो रोकी गई या सशर्त दी गई, उनकी भी पर्याप्त मॉनिटङ्क्षरग नहीं की जा रही।
तत्कालीन कुलपति ने दिखाई थी सख्ती कुछ साल पहले तत्कालीन कुलपति प्रो. नरेंद्र धाकड़ ने सख्ती दिखाई थी। इस दौरान कॉलेज संचालकों में जबरदस्त हड़कंप मच गया था। विवि के इतिहास में पहली बार इस प्रकार की सख्ती हुई थी, जिसके तहत बीएड, एमएड, परंपरागत कोर्स के साथ ही मैनेजमेंट कॉलेजों तक को कॉलेज कोड-28 का पालन करने को लेकर सख्त हिदायत दी गई थी और प्रबंधन की सख्ती के बाद ताबड़तोड़ कॉलेजों ने फैकल्टी की नियुक्ति के मामले में कदम उठाना शुरू कर दिए थे। हालांकि बाद में पूरा मामला ठंड़े बस्ते में चला गया और वर्तमान में कॉलेज पुराने ढर्रे पर लौट आएं हैं।
छात्र नेताओं ने भी उठाए मामले बता दें कि पूर्व में छात्र नेताओं ने कॉलेजों द्वारा कॉलेज कोड-28 का पालन नहीं किए जाने का मुद्दा उठाया था। कहा था कि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से कालेजों को संबद्धता जारी हो रही है। कई कॉलेजों में कमियां होने के बावजूद विवि इन्हें शपथ पत्र के आधार पर संबद्धता देते हुए इन कॉलेजों को प्रवेश कराने की अनुमति के साथ- साथ छात्रों को शिक्षा देने का आदेश भी जारी कर चुका है, जो गलत है। शपथ पत्र पर कमियां पूरी करने को लेकर आश्वासन दिया जाता है, लेकिन समय निकलने के बावजूद प्रबंधन न तो इन्हें पूरा करते हैं और न विश्वविद्यालय दोबारा निरीक्षण करता है। यह सिलसिला हर साल चलता है। इन कॉलेजों में योग्य शिक्षक, पर्याप्त कर्मचारी, कम्प्यूटर, पुस्तकें, खेल मैदान व अन्य जरूरी संसाधन मौजूद नहीं हैं।
पहले टैगोर अब लिबरल व संस्कार बताया जा रहा है कि दो साल पहले विद्यार्थियों ने टैगोर कॉलेज के खिलाफ शिकायत की थी। हंगामा और प्रदर्शन के बाद कॉलेज पर कार्रवाई की गई, लेकिन अभी कॉलेज विद्यार्थियों को प्रवेश दे रहा है। इतना ही नहीं, अभी हाल ही में लिबरल कॉलेज और संस्कार कॉलेज को लेकर भी शिकायतें हुई हैं। शहर में ऐसी गड़बड़ी कई अन्य कालेजों में चल रही हैं।
संबद्धता शुल्क भी नहीं होता जमा छात्र नेता और युकां प्रदेश सचिव सरफराज अंसारी ने बताया कि विवि प्रशासन की मेहरबानी से कई कॉलेज आज भी नियमों को ताक पर रखकर चल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कई कॉलेजों ने संबद्धता शुल्क भी समय पर जमा नहीं किया है। कई सरकारी सहित निजी कॉलेज शुल्क भरने से बच रहे हैं। करोड़ रुपए विवि को कालेजों से वसूलना है, लेकिन अधिकारी कॉलेजों की फाइल दबाकर रखे हुए हैं।
क्या है कॉलेज कोड-28 कॉलेज कोड- 28 फैकल्टी की नियुक्ति से संबंधित वह नियम है, जिसके तहत टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति में यूजीसी के मापदंड तय होते हैं। इसमें फैकल्टी के नेट, पीएचडी की अनिवार्यता के साथ ही अनुभव और ट्रेनिंग , पेपर प्रेजेंटेशन जैसे ङ्क्षबदु के आधार पर नियुक्ति होती है।
दरअसल, यूजीसी के नियमों को सख्ती से पालन नहीं हो रहा, यही वजह है कि कॉलेजों ने कॉलेज कोड28 में फैकल्टी की नियुक्तियां नहीं की। इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार तक नहीं किए जाते हैं। यूनिवर्सिटी कॉलेजों की मानिटरिंग भी नहीं करती। इतना ही नहीं, जिनकी संबद्घता पिछले एक साल में या तो रोकी गई या सशर्त दी गई, उनकी भी पर्याप्त मॉनिटङ्क्षरग नहीं की जा रही।
तत्कालीन कुलपति ने दिखाई थी सख्ती कुछ साल पहले तत्कालीन कुलपति प्रो. नरेंद्र धाकड़ ने सख्ती दिखाई थी। इस दौरान कॉलेज संचालकों में जबरदस्त हड़कंप मच गया था। विवि के इतिहास में पहली बार इस प्रकार की सख्ती हुई थी, जिसके तहत बीएड, एमएड, परंपरागत कोर्स के साथ ही मैनेजमेंट कॉलेजों तक को कॉलेज कोड-28 का पालन करने को लेकर सख्त हिदायत दी गई थी और प्रबंधन की सख्ती के बाद ताबड़तोड़ कॉलेजों ने फैकल्टी की नियुक्ति के मामले में कदम उठाना शुरू कर दिए थे। हालांकि बाद में पूरा मामला ठंड़े बस्ते में चला गया और वर्तमान में कॉलेज पुराने ढर्रे पर लौट आएं हैं।
छात्र नेताओं ने भी उठाए मामले बता दें कि पूर्व में छात्र नेताओं ने कॉलेजों द्वारा कॉलेज कोड-28 का पालन नहीं किए जाने का मुद्दा उठाया था। कहा था कि देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से कालेजों को संबद्धता जारी हो रही है। कई कॉलेजों में कमियां होने के बावजूद विवि इन्हें शपथ पत्र के आधार पर संबद्धता देते हुए इन कॉलेजों को प्रवेश कराने की अनुमति के साथ- साथ छात्रों को शिक्षा देने का आदेश भी जारी कर चुका है, जो गलत है। शपथ पत्र पर कमियां पूरी करने को लेकर आश्वासन दिया जाता है, लेकिन समय निकलने के बावजूद प्रबंधन न तो इन्हें पूरा करते हैं और न विश्वविद्यालय दोबारा निरीक्षण करता है। यह सिलसिला हर साल चलता है। इन कॉलेजों में योग्य शिक्षक, पर्याप्त कर्मचारी, कम्प्यूटर, पुस्तकें, खेल मैदान व अन्य जरूरी संसाधन मौजूद नहीं हैं।
पहले टैगोर अब लिबरल व संस्कार बताया जा रहा है कि दो साल पहले विद्यार्थियों ने टैगोर कॉलेज के खिलाफ शिकायत की थी। हंगामा और प्रदर्शन के बाद कॉलेज पर कार्रवाई की गई, लेकिन अभी कॉलेज विद्यार्थियों को प्रवेश दे रहा है। इतना ही नहीं, अभी हाल ही में लिबरल कॉलेज और संस्कार कॉलेज को लेकर भी शिकायतें हुई हैं। शहर में ऐसी गड़बड़ी कई अन्य कालेजों में चल रही हैं।
संबद्धता शुल्क भी नहीं होता जमा छात्र नेता और युकां प्रदेश सचिव सरफराज अंसारी ने बताया कि विवि प्रशासन की मेहरबानी से कई कॉलेज आज भी नियमों को ताक पर रखकर चल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कई कॉलेजों ने संबद्धता शुल्क भी समय पर जमा नहीं किया है। कई सरकारी सहित निजी कॉलेज शुल्क भरने से बच रहे हैं। करोड़ रुपए विवि को कालेजों से वसूलना है, लेकिन अधिकारी कॉलेजों की फाइल दबाकर रखे हुए हैं।
क्या है कॉलेज कोड-28 कॉलेज कोड- 28 फैकल्टी की नियुक्ति से संबंधित वह नियम है, जिसके तहत टीचिंग स्टाफ की नियुक्ति में यूजीसी के मापदंड तय होते हैं। इसमें फैकल्टी के नेट, पीएचडी की अनिवार्यता के साथ ही अनुभव और ट्रेनिंग , पेपर प्रेजेंटेशन जैसे ङ्क्षबदु के आधार पर नियुक्ति होती है।