Dalal Street: देश में कोरोना के गहराते संकट के बाद भी शेयर बाजार पर इसका असर क्यों नहीं दिखा है?

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Dalal Street: देश में कोरोना के गहराते संकट के बाद भी शेयर बाजार पर इसका असर क्यों नहीं दिखा है?


Dalal Street: देश में कोरोना के गहराते संकट के बाद भी शेयर बाजार पर इसका असर क्यों नहीं दिखा है?

हाइलाइट्स:

  • nifty50 इंडेक्स में तीन महीने में 5 फ़ीसदी से कम की गिरावट दर्ज की गई है
  • इस बार संक्रमण बढ़ने के बाद भी देशव्यापी लॉकडाउन नहीं किया गया है
  • कोरोना संकट के दौर में आरबीआई ने राहत की कई घोषणा की है
  • भारत की जीडीपी ग्रोथ 11 फ़ीसदी की जगह कम होकर 9.8 फीसदी रह सकती है

भारत में पिछले 2 हफ्ते से कोरोना संक्रमण (covid infection) के रोजाना मामले तीन लाख के पार जा रहे हैं. कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या भी 3700 रोजाना से ऊपर ही रह रही है. भारत पिछले 75 साल में सबसे बुरी त्रासदी का सामना कर रहा है. हकीकत यह है कि भारत में अमीर और ताकतवर लोग भी अस्पताल में बेड लेने से लेकर ऑक्सीजन सिलेंडर तक पाने में काफी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. सवाल यह है कि इतने बड़े संकट के बाद भी शेयर बाजार (stock market) में कोई बड़ी कमजोरी क्यों नहीं दिख रही है.

चीन से दोगुना महंगा भारत का बाजार
अगर फरवरी के मध्य से अब तक शेयर बाजार की चाल देखी जाए तो nifty50 इंडेक्स में 5 फ़ीसदी से कम की गिरावट दर्ज की गई है. सच्चाई यह भी है कि भारत का शेयर बाजार (stock market) इस समय बहुत महंगा है. कमाई की तुलना में यह 32 गुना पर कारोबार कर रहा है. इसके साथ ही चीन की तुलना में यहां वैल्यूएशन तकरीबन 2 गुना हो गया है. शेयर बाजार (stock market) में बड़ी कमजोरी नहीं आने की एक वजह इस बार संक्रमण बढ़ने के बाद भी लॉकडाउन नहीं किया जाना है.

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संकट के बचने का तरीका और आशावाद
पिछले साल जब भारत में कोरोना संक्रमण (covid19) का पहला वेव आया तो कंपनियों ने अपने कामकाज को ठप कर गैरजरूरी लोगों को नौकरी से निकाल भी दिया. जो लोग नौकरी में बचे रह गए उन्होंने अपने गैर जरूरी खर्च कम किए और अपनी बचत को शेयरों में लगाना शुरू किया. भारत में कोरोना के बढ़ते संकट के बाद भी लोगों की आशावादिता शेयर बाजार (stock market) में बड़ी कमजोरी नहीं आने दे रही है. पिछले साल के अनुभवों से सबक लेते हुए लोगों को उम्मीद है कि अगर देशव्यापी लॉक डाउन जैसा कोई कदम उठाया भी गया तब भी वित्त मंत्रालय और केंद्रीय बैंक मोरटोरियम, सरकार की गारंटी वाला लोन और तरलता बढ़ाने के अन्य उपाय कर सकते हैं.

रिजर्व बैंक के हालिया उपाय
भारत के रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार को ही कोरोना संकट के दौर में कंपनियों के लिए कई राहत की घोषणा की है. इसके साथ ही 3 साल की फंडिंग के लिए 500 अरब रुपए की घोषणा की गई है. यह रकम दवा बनाने वाली कंपनियों, अस्पताल और ऑक्सिजन आपूर्ति कंपनियों को बैंक लोन के रूप में मिलेगी जो उन्हें 4 फ़ीसदी दर से मिलने वाली है.

साल 2021 में बदली स्थितियां
इसमें कोई शक नहीं है कि कुछ महीने पहले तक सरकार के पास पॉलिसी एक्शन के रूप में कई कदम लिए जाने की गुंजाइश थी. बांड और फॉरेन एक्सचेंज मार्केट ने अब मौद्रिक नीति में राहत की गुंजाइश खत्म कर दी है. इसके साथ ही एक बात और है 2021 का भारत अब साल 2020 का भारत नहीं है. एक साल पहले फिजिकल डिस्टेंसिंग के दिशा निर्देशों के हिसाब से ग्रामीण आबादी में एक पैनिक की स्थिति बनी थी. उस समय हेल्थ केयर सिस्टम पर बहुत ज्यादा बोझ नहीं था. इस बार बुरी खबर यह है कि कोरोनावायरस गांव पहुंच चुका है. पिछली बार जिन इलाकों में कोरोनावायरस संक्रमण नहीं था, इस बार वहां भी संक्रमण तेजी से बढ़ा है.

जीडीपी ग्रोथ पर असर
कंपनियों के लिए भी यह मुश्किल होगा कि वह कमोडिटी के आसमान छूते भाव के बीच अपना मुनाफा बनाए रख सकें. इसके साथ ही कुछ बातें और भी हैं जिन पर नजर रखना जरूरी है. अमीर देशों के पास पिछले साल वैक्सीन नहीं थी, वही उभरते हुए बाजारों में पूंजी पंप करते हैं. अब वहां कोरोनावायरस अभियान बहुत तेजी से चल रहा है. भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में अब तक सिर्फ 2 फ़ीसदी आबादी को वैक्सीन का डबल डोज लगा है. s&p ग्लोबल रेटिंग ने कहा है कि भारत की चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ 11 फ़ीसदी की जगह कम होकर 9.8 फीसदी रह सकती है. अगर कोरोना संक्रमण में तेजी एक महीने और जारी रह गई तो जीडीपी ग्रोथ का अनुमान और कम किया जा सकता है. भारत में इकनामिक रिकवरी की रफ्तार भी दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में अलग कहानी बयान करती है, इसलिए शेयर बाजार में अधिक कमजोरी नहीं देखी जा रही है.

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