Covid: एक-दो साल बाद भी पोस्ट कोविड बीमारियां नहीं छोड़ रहीं पीछा, कोरोना के बाद डिप्रेशन और एंग्जायटी जारी

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Covid: एक-दो साल बाद भी पोस्ट कोविड बीमारियां नहीं छोड़ रहीं पीछा, कोरोना के बाद डिप्रेशन और एंग्जायटी जारी

Covid: एक-दो साल बाद भी पोस्ट कोविड बीमारियां नहीं छोड़ रहीं पीछा, कोरोना के बाद डिप्रेशन और एंग्जायटी जारी

राकेश पिछले 20 दिनों से एक बार भी ऑफिस नहीं गए थे। फिर एक दिन खाना खाकर ऑफिस के लिए तैयार हुए। कुछ देर बाद अचानक कहने लगे कि ऑफिस नहीं जाऊंगा। थकान हो रही है। अगले तीन-चार दिन फिर सोना जारी रहा। उठते थे, खाना खाते थे, फिर सो जाते थे। न दोस्तों से मिलना, बाहर निकलना, न वॉक पर जाना, अब उनकी रोज की आदत बन गई थी। जबकि पहले ऐसा वो नहीं करते थे। समय पर ऑफिस जाते थे, दोस्तों व परिजनों के साथ मिलना-जुलना लगा रहता था। उनमें यह बदलाव कोविड के संक्रमण के बाद आया है। डॉक्टरों का कहना है कि राकेश (बदला हुआ नाम) एकमात्र ऐसे मरीज नहीं हैं, ऐसे कई मरीज हैं जिनमें पोस्ट कोविड एक-एक साल तक एंग्जायटी और डिप्रेशन की स्थिति बनी हुई है।

नहीं करें लापरवाही, इलाज जरूर कराएं

एम्स के सायक्राइट्री विभाग के डॉक्टर नंद कुमार ने बताया कि पोस्ट कोविड कई प्रकार से एंग्जायटी व डिप्रेशन देखा जा रहा है। लैसेट के एक पेपर का हवाता देते हुए उन्होंने कहा कि पोस्ट कोविड टिप्रेशन वो एंगजायटी बहुत कॉमन है। कुछ लोगों में यह दोनों परेशानी कोविड से ठीक होने के तीन से चार महीने बाद होती है जिसमें एंग्जायटी, डिप्रेशन, बॉडी पेन, थकान, नींद कम आना, मसल्स पेन देखा जा रहा है।

उन्होंने कहा कि हर महीने अपनी ओपीडी में तीन-चार मरीज केवल इसके ही देखता हूं, बाकी ओपीडी में अलग संख्या होगी। एक साल तक कुछ लोगों में यह परेशानी देखी जा रही है। इलाज कराना जरूरी है, बिना इलाज के आसानी से मरीज पहले वाली स्थिति में नहीं पहुंच पाता है।

20-25 प्रतिशत मरीजों में दिख रहा है असर

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यही नहीं, इस बारे में फोर्टिस हॉस्पिटल के सायकायट्रिस्ट डॉक्टर समीर पारिख ने कहा कि डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 20 से 25 प्रतिशत मरीजों में पोस्ट कोविड एंग्जायटी व डिप्रेशन हो रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड के दौरान जो दुनिया के हालात थे, उसकी वजह से यह इंपैक्ट पूरी दुनिया पर हुआ है। इस दौरान किसी ने अपनों को खोया, नौकरी चली गई, पैसे खत्म हो गए, वर्किंग स्टाइल चेंज हो गई, जिसका असर मेंटल हेल्थ पर ही हुआ। इसमें सबसे बड़ी परेशानी यह हो रही है कि पीड़ित का मन काम में नहीं लगता है। थका हुआ महसूस करता है। उन्होंने कहा कि इस पर ज्यादा सोचना नहीं चाहिए, लेकिन अगर यह लंबा खिचने लगे तो एक बार अपने डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

सभी उम्र के लोगों को हो रही है परेशानी

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इस बारे में इहबास के सायकायट्रिस्ट डॉक्टर ओमप्रकाश ने कहा कि अस्पताल में पोस्ट कोविड डिप्रेशन व एंग्जायटी के लक्षण और कोविड से पहले होने वाले एंग्जायटी व डिप्रेशन के लक्षण पर स्टडी की जा रही है। कुछ महीनें में इसकी रिपोर्ट आ जाएगी। जहां तक वर्तमान की बात है तो लगभग सभी उम्र के लोगों में यह परेशानी हो रही है। औसतन सभी कोविड से पीड़ित होते ही हैं।

दवा से तीन से चार हफ्ते में सुधार

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उन्होंने कहा कि डिप्रेशन व एंग्जायटी के अलावा कुछ में सुस्ती, थकान, मन नहीं लगना, विचार नहीं आना, उदासी देखी जा रही है। डॉक्टरों का कहना है कि जहां तक रिकवर होने की बात है तो अगर मेडिसन का मरीज पर अच्छा असर हो तो तीन से चार हफ्ते में सुधार होने लगात है। लेकिन असर नहीं होने पर दवा बदलनी पड़ती है, लाइफस्टाइल चेंज करना पड़ता है। ब्रीदिंग एक्सरसाइज, रिलैक्स थेरेपी जैसे उपाय करने पड़ते हैं।

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