Covid in Children: वॉक टेस्ट, सीटी स्कैन, नो रेमडेसिविर…बच्चों में कोरोना को लेकर सरकार ने जारी की गाइडलाइंस, जानें डीटेल h3>
हाइलाइट्स:
- सरकार ने बच्चों में कोरोना संक्रमण के इलाज को लेकर विस्तृत गाइडलाइंस जारी की
- गाइडलाइंस में रेमडेसिविर का इस्तेमाल नहीं करने, सीटी स्कैन के तार्किक इस्तेमाल का सुझाव
- गाइडलाइंस में बच्चों में बुखार, खांसी या बाकी लक्षणों की स्थिति में जरूरी दवाओं और डोज पर सुझाव
- कई रिपोर्ट्स में तीसरी लहर के दौरान बच्चों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की जताई गई है आशंका
नई दिल्ली
कोरोना की तीसरी लहर आने और उसमें बच्चों के गंभीर संक्रमण की चेपट में आने की आशंकाओं के बीच सरकार अभी से तैयारियों से जुट गई है। सरकार ने बुधवार को बच्चों में कोरोना संक्रमण के मैनेजमेंट के लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी की है। कुछ रिपोर्ट्स में आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है। हालांकि, सरकार का कहना है कि अभी तक इस तरह का कोई डेटा या सबूत नहीं है जो इस आशंका के सही साबित होने का संकेत दे। फिर भी सरकार ने बच्चों के इलाज को लेकर अलग से विस्तृत गाइडलाइंस जारी की है।
सरकार ने बच्चों में कोरोना वायरस संक्रमण के मैनेजमेंट के लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी की है। इसमें रेमेडेसिविर के इस्तेमाल का सुझाव नहीं दिया गया है और सीटी स्कैन का तार्किक इस्तेमाल करने को कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि संक्रमण के लक्षणमुक्त और हल्के मामलों में स्टेरॉइड दवाओं का इस्तेमाल हानिकारक है।
डीजीएचएस ने केवल अस्पताल में भर्ती गंभीर और अत्यंत गंभीर मामलों के रोगियों के इलाज में ही कड़ी निगरानी के तहत स्टेरॉइड दवाओं के इस्तेमाल का सुझाव दिया है। इसने कहा, ‘स्टेरॉइड का इस्तेमाल सही समय पर ही किया जाना चाहिए और इसकी सही खुराक दी जानी चाहिए व सही अवधि के लिए दी जानी चाहिए। खुद से स्टेरॉइड के इस्तेमाल से बचना चाहिए।’
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दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चों के उपचार में रेमडेसिविर का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इनमें कहा गया है, ‘18 साल से कम उम्र के बच्चों में रेमडेसिविर के इस्तेमाल को लेकर पर्याप्त सुरक्षा और प्रभावी आंकड़ों का अभाव है।’ डीजीएचएस ने कहा है कि बच्चों के मामले में हाई रेजोल्यूशन सीटी (एचआरसीटी) का युक्तिपूर्ण उपयोग किया जाना चाहिए।
गाइडलाइंस के मुताबिक, हल्के संक्रमण के मामलों में बुखार की स्थिति में पैरासेटामोल 10-15 mg/kg/dose दी जा सकती है। कफ हो तो बड़े बच्चों को वॉर्म सैलाइन गार्गल की सलाह दी गई है।
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गाइडलाइंस में बच्चों के लिए 6 मिनट के वॉक टेस्ट का सुझाव दिया गया है। 12 साल से बड़े बच्चों को उनके माता-पिता या अभिभावक की देखरेख में 6 मिनट का वॉक टेस्ट करने की सलाह दी गई है। वॉक टेस्ट में बच्चे की उंगली में पल्स ऑक्सिमीटर लगाकर उसे लगातार 6 मिनट तक टहलने के लिए कहा जाए। इसके बाद उसके ऑक्सिजन सैचुरेशन लेवल और पल्स रेट को मापा जाए।
हाइलाइट्स:
- सरकार ने बच्चों में कोरोना संक्रमण के इलाज को लेकर विस्तृत गाइडलाइंस जारी की
- गाइडलाइंस में रेमडेसिविर का इस्तेमाल नहीं करने, सीटी स्कैन के तार्किक इस्तेमाल का सुझाव
- गाइडलाइंस में बच्चों में बुखार, खांसी या बाकी लक्षणों की स्थिति में जरूरी दवाओं और डोज पर सुझाव
- कई रिपोर्ट्स में तीसरी लहर के दौरान बच्चों के सबसे ज्यादा प्रभावित होने की जताई गई है आशंका
कोरोना की तीसरी लहर आने और उसमें बच्चों के गंभीर संक्रमण की चेपट में आने की आशंकाओं के बीच सरकार अभी से तैयारियों से जुट गई है। सरकार ने बुधवार को बच्चों में कोरोना संक्रमण के मैनेजमेंट के लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी की है। कुछ रिपोर्ट्स में आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक हो सकती है। हालांकि, सरकार का कहना है कि अभी तक इस तरह का कोई डेटा या सबूत नहीं है जो इस आशंका के सही साबित होने का संकेत दे। फिर भी सरकार ने बच्चों के इलाज को लेकर अलग से विस्तृत गाइडलाइंस जारी की है।
सरकार ने बच्चों में कोरोना वायरस संक्रमण के मैनेजमेंट के लिए विस्तृत गाइडलाइंस जारी की है। इसमें रेमेडेसिविर के इस्तेमाल का सुझाव नहीं दिया गया है और सीटी स्कैन का तार्किक इस्तेमाल करने को कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) की तरफ से जारी दिशा-निर्देशों में यह भी कहा गया है कि संक्रमण के लक्षणमुक्त और हल्के मामलों में स्टेरॉइड दवाओं का इस्तेमाल हानिकारक है।
डीजीएचएस ने केवल अस्पताल में भर्ती गंभीर और अत्यंत गंभीर मामलों के रोगियों के इलाज में ही कड़ी निगरानी के तहत स्टेरॉइड दवाओं के इस्तेमाल का सुझाव दिया है। इसने कहा, ‘स्टेरॉइड का इस्तेमाल सही समय पर ही किया जाना चाहिए और इसकी सही खुराक दी जानी चाहिए व सही अवधि के लिए दी जानी चाहिए। खुद से स्टेरॉइड के इस्तेमाल से बचना चाहिए।’
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दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित बच्चों के उपचार में रेमडेसिविर का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। इनमें कहा गया है, ‘18 साल से कम उम्र के बच्चों में रेमडेसिविर के इस्तेमाल को लेकर पर्याप्त सुरक्षा और प्रभावी आंकड़ों का अभाव है।’ डीजीएचएस ने कहा है कि बच्चों के मामले में हाई रेजोल्यूशन सीटी (एचआरसीटी) का युक्तिपूर्ण उपयोग किया जाना चाहिए।
गाइडलाइंस के मुताबिक, हल्के संक्रमण के मामलों में बुखार की स्थिति में पैरासेटामोल 10-15 mg/kg/dose दी जा सकती है। कफ हो तो बड़े बच्चों को वॉर्म सैलाइन गार्गल की सलाह दी गई है।
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गाइडलाइंस में बच्चों के लिए 6 मिनट के वॉक टेस्ट का सुझाव दिया गया है। 12 साल से बड़े बच्चों को उनके माता-पिता या अभिभावक की देखरेख में 6 मिनट का वॉक टेस्ट करने की सलाह दी गई है। वॉक टेस्ट में बच्चे की उंगली में पल्स ऑक्सिमीटर लगाकर उसे लगातार 6 मिनट तक टहलने के लिए कहा जाए। इसके बाद उसके ऑक्सिजन सैचुरेशन लेवल और पल्स रेट को मापा जाए।