Coronavirus death in Karnataka: कागज में 1,422 मौतें, श्मशान में 3,104 शव… क्या सरकार छिपा रही है बेंगलुरु में कोरोना से मरने वालों के आंकड़े?

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Coronavirus death in Karnataka: कागज में 1,422 मौतें, श्मशान में 3,104  शव… क्या सरकार छिपा रही है बेंगलुरु में कोरोना से मरने वालों के आंकड़े?

Coronavirus death in Karnataka: कागज में 1,422 मौतें, श्मशान में 3,104 शव… क्या सरकार छिपा रही है बेंगलुरु में कोरोना से मरने वालों के आंकड़े?

हाइलाइट्स:

  • बेंगलुरु में कोरोना से होने वाली मौतें और श्मशान में शवों के ढेर सरकारी आंकड़ों पर सवाल उठा रहे हैं
  • कर्नाटक सरकार के अनुसार, 1 मार्च से 26 अप्रैल तक बेंगलुरु में 1,422 लोगों की मौत कोरोना से हुई
  • जबकि शहर के 12 श्मशान घरों में कोविड प्रोटोकॉल के तहत होने वाले दाह संस्कारों की संख्या 3,104 है

चेतन कुमार, बेंगलुरु
कर्नाटक के बेंगलुरु में कोरोना से होने वाली मौतें और श्मशान में लगातार जल रहीं चिताएं सरकारी आंकड़ों पर सवाल उठा रही हैं। कर्नाटक सरकार के अनुसार, 1 मार्च से 26 अप्रैल तक बेंगलुरु में 1,422 लोगों की मौत कोरोना के कारण हुई जबकि शहर के 12 श्मशान घरों में कोविड प्रोटोकॉल के तहत होने वाले दाह संस्कारों की संख्या 3,104 यानी दोगुनी से अधिक है।

यह तब है जब डेटा न होने के चलते इसमें बेंगलुरु म्युनिसिपिल कॉर्पोरेशन (बीबीएमपी) के तहत आने वाले छोटे श्मशानों के साथ क्रिश्चियन और मुस्लिम कब्रिस्तान शामिल नहीं किए गए हैं। श्मशान गृह के कर्मचारियों का कहना है कि अधिकतर कोविड पीड़ितों का अंतिम संस्कार हो रहा है जबकि कोरोना संक्रमित शवों को गहरे गड्ढे में दफनाया जाना अनिवार्य है।

इस हिसाब से देखें तो अगर 10 से 12 फीसदी (310-465) कोविड प्रोटोकॉल के तहत होने वाले दाह संस्कार उनके हैं जिनके टेस्ट रिजल्ट आना बाकी हैं, ऐसे में वास्तविक संख्या और सरकारी आंकड़ों में 100 फीसदी का अंतर होगा।

अधिकारी मान रहे आंकड़ों में अंतर की बात
बीबीएमपी के मुख्य आयुक्त गौरव गुप्ता कहते हैं, ‘मेरे पास इस अंतर की सटीक संख्या तो नहीं है लेकिन हम जानते हैं कि गैप जरूर हुआ है। लेकिन क्योंकि मामला काफी संवेदनशील है इसलिए हम पड़ोसी जिलों से आने वाले शवों को वापस नहीं भेज रहे हैं।’

बीबीएमपी के जॉइंट कमिश्नर सरफराज खान कहते हैं, ‘श्मशान में दूसरे जिलों से आए शवों और ILI/SARI केस का भी दाह संस्कार किया जा रहा है। इसका मतलब कि ऐसे केस, जिसमें कोविड रिपोर्ट निगेटिव है लेकिन CT स्कैन में कोविड के लक्षण हैं। ये सरकारी डेटाबेस में शामिल नहीं किए जाते हैं। इस वजह से ही अंतर हो सकता है।’

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