Coronavirus महामारी के विकराल रूप से लड़ने में भारत के साथ मैदान में WHO-UNICEF, दे रहे ये मदद

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Coronavirus महामारी के विकराल रूप से लड़ने में भारत के साथ मैदान में WHO-UNICEF, दे रहे ये मदद


Coronavirus महामारी के विकराल रूप से लड़ने में भारत के साथ मैदान में WHO-UNICEF, दे रहे ये मदद

न्यूयॉर्क
भारत इस वक्त कोरोना वायरस महामारी के दुनिया में सबसे भयानक रूप का सामना कर रहा है। दूसरी वेव ने बड़ी संख्या मे लोगों को अपनी चपेट में लिया है और जरूरी सामान की मांग बढ़ गई है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र प्रवक्ता ने बताया है कि भारत में उसकी टीम कोविड-19 से लड़ने में प्रशासन की मदद कर रही है।

एक बयान में बताया गया है कि वह स्थानीय सरकारों को उपकरण और सप्लाई पहुंचा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और UNICEF 7000 ऑक्सिजन कंसंट्रेटर, ऑक्सिजन सप्लाई के लिए 500 नेजल की डिवाइस और ऑक्सिजन जनरेटिंग प्लांट मुहैया कराने में लगे हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन मोबाइल अस्पताल इकाइयां और लैब की व्यवस्था कर रहा है। 2,600 WHO फील्ड ऑफिसरों को स्वास्थ्य प्रशासन को सपॉर्ट के लिए तैनात किया गया है। महाराष्ट्र में भी UNICEF के एक्सपर्ट्स लगे हैं।

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता ने बताया था कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र की एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला के जरिये की गई मदद की पेशकश को अस्वीकार कर दिया है और कहा है कि देश के पास जरूरी साजो-सामान के साथ स्थिति से निपटने के लिए ‘मजबूत व्यवस्था’ है।

‘भारत ने कहा, हमारे पास मजबूत व्यवस्था’
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक ने कहा था, ‘हमने जरूरत पड़ने पर अपनी एकीकृत आपूर्ति श्रृंखला से सहायता की पेशकश की है। हमें बताया गया कि इस समय इसकी जरूरत नहीं है क्योंकि भारत के पास इससे निपटने के लिए यथोचित मजबूत व्यवस्था है लेकिन हम अपनी पेशकश पर कायम हैं और हम जो भी मदद कर सकते हैं वह करने को इच्छुक हैं।’

‘भारत पर ना पड़े बोझ’
हक ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव की मुख्य सचिव मारिया लुइजा रिबेरियो वियोत्ती भारत में कोविड-19 की स्थिति को लेकर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरूमूर्ति और व्यवस्था से जुड़े अन्य अधिकारियों के संपर्क में हैं। हक ने इसके साथ ही कहा कि संयुक्त राष्ट्र यह सुनिश्चित कर रहा है कि भारत में उसके अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कर्मी सुरक्षित रहें ताकि भारत की स्वास्थ्य प्रणाली पर बोझ नहीं बढ़े।



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