कोरोना का डबल अटैक, फिर भी दो बार डोनेट किया प्लाज्मा, महामारी से मुकाबले में हिम्मत देगी ये खबर

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कोरोना का डबल अटैक, फिर भी दो बार डोनेट किया प्लाज्मा, महामारी से मुकाबले में हिम्मत देगी ये खबर

कोरोना का डबल अटैक, फिर भी दो बार डोनेट किया प्लाज्मा, महामारी से मुकाबले में हिम्मत देगी ये खबर

हाइलाइट्स:

  • 5 महीने के भीतर वह दो बार कोरोना से लड़े, फिर भी नहीं हारी हिम्मत
  • गोकुलपुरी के दिनेश तिवारी को बचपन के एक हादसे से मिली प्रेरणा
  • दो बार प्लाज्मा डोनेट करने के बावजूद वह तंदुरुस्त महसूस कर रहे हैं

नई दिल्ली
यूपी के सुल्तानपुर जिले में करीब 30 साल पहले उनकी बड़ी बहन की देवरानी के दो बच्चे बीमार थे। दोनों को ब्लड की जरूरत पड़ी। कोई खून देने को तैयार नहीं था। एक शहरी शख्स अपने किसी परिजन को देखने अस्पताल आए थे। वह और उनका एक दोस्त तुरंत खून देने को देने को राजी हो गए, लेकिन कुछ समय बाद दोनों बच्चों की मौत हो गई। महज 10 साल की उम्र में हुए इस दर्दनाक वाकिये ने उनके दिलोदिमाग पर गहरी छाप छोड़ी। वह 20 साल की उम्र से ब्लड डोनेट करने लगे। 5 महीने के भीतर वह दो बार कोरोना से लड़े। डिमांड प्लाज्मा की है, इसलिए वह अब तक दो बार प्लाज्मा भी डोनेट कर चुके हैं।

पति और पत्नी दोनों हुए संक्रमित
यह कहानी है गोकुलपुरी के गंगा विहार में रहने वाले दिनेश तिवारी (39) की। वह बताते हैं कि अक्टूबर 2020 में खुद और पत्नी सविता तिवारी कोरोना संक्रमित हो गए। फैमिली में दहशत का माहौल बन गया। इसलिए 12 और 7 साल के दोनों बेटों को तुरंत पड़ोस में रहने वाले बड़े भाई के यहां शिफ्ट कर दिया। दोनों बच्चे मिलने के लिए तड़पते और रोते। हालांकि पांच-छह दिन बाद सब सामान्य हो गया। डॉक्टरों की सलाह पर चलने के बाद धीरे-धीरे दोनों घर पर ही रहकर ठीक हो गए। कुछ समय बाद प्लाज्मा की डिमांड बढ़ी, तो दिसंबर में गंगाराम अस्पताल में जाकर प्लाज्मा डोनेट किया।

दोबारा लक्षण दिखे तो घर में ही हुए आइसोलेट
एक नामी प्राइवेट कंपनी में सेक्टर ऑफिसर के तौर पर कार्यरत दिनेश बताते हैं कि फरवरी में दोबारा कोरोना के लक्षण आ गए। डॉक्टर से तुरंत सलाह-मश्विरा कर घर में ही आइसोलेट हो गए। दवाइयां लेता रहा और इस बार कोरोना का असर हल्का था। तीन-चार दिन थोड़ी दिक्कत रही और दस दिन में नॉर्मल हो गए। महामारी की इस लहर को देखते हुए वह 26 अप्रैल को जनकपुरी स्थित माता चानन देवी अस्पताल में प्लाज्मा डोनेट करके आ गए हैं। उन्होंने बताया कि दो बार कोरोना होने और दो बार प्लाज्मा डोनेट करने के बावजूद वह तंदुरुस्त महसूस कर रहे हैं। वह उन सबसे प्लाज्मा डोनेट करने की अपील करते हैं, जो कोरोना को मात दे चुके हैं।

सकारात्मक सोचें, जिंदगी में प्रसन्नता आएगी
समाज सेवा को ध्येय बनाकर चल रहे दिनेश कहते हैं कि अगर किसी के ब्लड या प्लाज्मा देने से किसी की जान बच सकती है, तो लोगों को खुद आगे आकर डोनेट करना चाहिए। मौजूदा माहौल में नकारात्मक बातों से परहेज करने की जरूरत है। सकारात्मक रहने और जीवन के उन अनमोल क्षणों को याद करने की दरकार है, जो जिंदगी में प्रसन्नता और आनंद का संचार करते हैं।

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