B.1.525: ऐंटीबॉडीज को चकमा दे सकता है तेलंगाना में मिला कोरोना वेरिएंट, जानें क्यों ज्यादा खतरा
हाइलाइट्स:
- तेलंगाना के कई सैम्पल्स में मिला है कोविड-19 का नए वेरिएंट
- नाइजीरिया से कनेक्शन, UK समेत करीब 50 देशों में मौजूद
- B.1.525 के स्पाइक प्रोटीन में E484K और D614G म्यूटेशन
- ऐंटीबॉडीज को चकमा दे सकता है B.1.525 वेरिएंट: CDC
नई दिल्ली
तेलंगाना के कई सैम्पल्स में SARS-CoV-2 के B.1.525 वेरिएंट के होने का पता चला है। यह वेरिएंट इस साल फरवरी में यूनाइटेड किंगडम में मिला था। इसके तार नाइजीरिया से जुड़ते रहे हैं, जहां जाने वाले लोगों को इसका संक्रमण हुआ। B.1.525 वेरिएंट से संक्रमित मरीज ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, अमेरिका समेत कई देशों में मिला है।
अप्रैल और मई के बीच देश में रैंडमली एनालाइज किए गए 22 सैम्पल्स में से 16 तेलंगाना के हैं। जीनोम सीक्वेंसिंग के एक सीनियर स्पेशलिस्ट ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया ये बातचीत में कहा, “यह वैरायटी लगभग 50 देशों में पहले से मौजूद है। अगर किसी इलाके में इसके सैम्पल्स मिल रहे हैं तो हमें ट्रेंड को बड़ी सावधानी से देखना होगा।”
एयरपोर्ट से लिए गए ज्यादातर सैम्पल
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के GISAID का डेटा बतलाता है कि मई में तेलंगाना से B.1.525 के 3 सैम्पल्स मिले जब कि अप्रैल में देशभर के 19 सैम्पल्स में से 13 तेलंगाना से थे। GISAID का डेटा यह भी दिखाता है कि तेलंगाना में B.1.617.2 लीनिएज के मामले भी ज्यादा हैं।
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सेंटर फॉर सेल्युलर ऐंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) के पूर्व निदेशक राकेश मिश्रा ने कहा कि ‘वेरिएंट्स की मौजूदगी से कोविड-19 के हालात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। किसी वेरिएंट के मजबूती से होने की पुष्टि तभी की जा सकती है जब सैम्पल्स जनता के बीच से कलेक्ट हों, न कि एयरपोर्ट से। अधिकतर सैम्पल्स एयरपोर्ट से लिए गए हैं।”
कैसा है कोरोना वायरस का यह रूप?
B.1.525 काफी हद तक साउथ अफ्रीकन वेरिएंट से मिलता-जुलता है अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) के अनुसार, इस वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में A67V, 69del, 70del, 144del, E484K, D614G, Q677H, F888L म्यूटेशंस देखने को मिले हैं। बाकी वेरिएंटस से यह अलग इसलिए है क्योंकि इसमें E484K के साथ-साथ नया F888L म्यूटेशन भी है।
CDC के अनुसार, यह वेरिएंट ऐंटीबॉडी ट्रीटमेंट के असर को कम करता है। इसके अलावा वैक्सीनेशन और कॉन्वलसेंट प्लाज्मा का भी इसपर खास असर नहीं होता है। इस वेरिएंट के बारे में ज्यादा जानकारी अभी वैज्ञानिकों के पास नहीं है। कई देशों में इसपर रिसर्च चल रही है।
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क्यों रिस्की है ये वेरिएंट?
इस वेरिएंट में जो म्यूटेशंस हैं, वे साउथ अफ्रीकन और ब्राजीलियन वेरिएंट्स में भी मिले हैं। साउथ अफ्रीका में अभी तक जितनी भी वैक्सीन टेस्ट की गईं हैं, वे संक्रमण को रोकने में कम असरदार साबित हुई हैं। एक्सपर्ट्स अभी नहीं बता सके हैं कि यह वेरिएंट ज्यादा संक्रामक और घातक बीमारी देता है या नहीं।
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