CM Shivraj को तो पता भी नहीं मैं मिलने गया था, मेरे बेटे के नाम पर राजनीति ठीक नहीं, शहीद ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के पिता का छलका दर्द
नवभारतटाइम्स ऑनलाइन को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में केपी सिंह ने विवाद से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि वे पिछले दो-ढाई महीनों से सीएम शिवराज से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने कई लोगों से संपर्क किया और कम से कम पांच बार सीएम हाउस भी गए। उन्होंने मुख्यमंत्री के लिए मैसेज छोड़ा, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं मिला।
कर्नल केपी सिंह का कहना है कि इसके लिए सीएम को दोष देना गलत है। सीएम को तो शायद यह पता भी नहीं होगा कि वे उनसे मिलना चाहते हैं। ज्यादा संभावना इस बात की है कि शिवराज के पास उनका मैसेज नहीं पहुंचा हो। ऐसे में मुख्यमंत्री पर आरोप लगाने को वो सही नहीं मानते।
उनके बेटे के नाम पर सड़क के नामकरण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने खुद उनसे यह वादा किया था। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की मौत के करीब ढाई महीने बाद शिवराज उनके घर आए थे। तब कर्नल केपी सिंह ने उनसे वरुण सिंह के नाम पर सड़क का नाम रखने की गुजारिश की थी। मुख्यमंत्री इसके लिए राजी हुए थे।
सड़क के नामकरण में हो रही देरी के बारे में उन्होंने बताया कि मेयर की काउंसिल में यह प्रस्ताव पेश हुआ तो भोपाल की महापौर ने उन्हें इस बारे में जानकारी दी थी। तब वे महापौर से जाकर मिले भी थे। उन्हें बताया गया था कि मेयर की काउंसिल में प्रस्ताव पास हो गया है। इसके बाद नगर निगम की आम सभा में इसे पेश किया जाएगा। आम सभा में प्रस्ताव पास होने के बाद नामकरण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। आम सभा में प्रस्ताव पेश हुआ या नहीं, इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
कर्नल केपी सिंह ने अंदेशा जताया कि कोई प्रभावशाली व्यक्ति इसमें रुकावट डाल रहा है। उन्होंने कहा कि मेयर की काउंसिल में प्रस्ताव पेश होने के बाद एक पार्षद ने उन्हें फोन कर कहा था कि उस सड़क का नाम एक महंथ के नाम पर रखे जाने का संकल्प 26 साल पहले पास हो चुका है। इसलिए, वे कोई दूसरा सड़क चुन लें, जिसका नाम वरुण सिंह के नाम पर रखा जा सके। कर्नल केपी सिंह ने इसे मानने से इनकार कर दिया।
शहीद वरुण सिंह के पिता का कहना है कि वे एक बार मुख्यमंत्री से मिलना जरूर चाहते हैं। वे उन्हें उनके वादे की याद दिलाना चाहते हैं। दो दिन पहले शुरू हुए विवाद के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से एक अधिकारी ने उनसे संपर्क किया था। उसने उन्हें बताया कि दो-तीन दिन में मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात हो जाएगी। कर्नल केपी सिंह अब इसके बुलावे का इंतजार कर रहे हैं।