China India News : यूक्रेन पर रूस बरसा रहा बम तो भारत को चीन से सतर्क रहने की जरूरत क्यों है? h3>
नई दिल्ली: यूक्रेन पर रूस बमबारी कर रहा है। अमेरिका समेत दुनियाभर के देशों का फोकस इस संकट पर है। भारत के लिहाज से भी यह समय ज्यादा सतर्क रहने का है। जी हां, चीन और पाकिस्तान जैसे देश रूस के समर्थन (China Ukraine) में खड़े दिख रहे हैं। हिंद-प्रशांत क्षेत्र से अमेरिका का ध्यान भी फिलहाल के लिए हट गया है। अमेरिका और नाटो का पूरा फोकस यूक्रेन और यूरोपीय देशों के हितों की सुरक्षा पर है। ऐसे माहौल में इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उत्तरी बॉर्डर पर चीन फिर कोई दुस्साहस कर सकता है। वैसे, भारत सरकार चीन के हर मूवमेंट पर नजर रख रही है।
एक डिफेंस अधिकारी ने हमारे सहयोगी अखबार TOI से कहा, ‘चीन के फ्रंट पर भारत को पैनी नजर रखनी होगी। 3488 किमी लंबी LAC पर मार्च-अप्रैल में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) युद्धाभ्यास करने जा रही है। किसी भी चुनौती के लिए हमें तैयार रहना होगा।’
एक अधिकारी ने कहा कि अमेरिका समेत पूरे पश्चिम का ध्यान इस समय रूस के यूक्रेन पर आक्रमण पर है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन को काउंटर करने का एजेंडा फिलहाल ठंडे बस्ते में रहने वाला है। ऐसे में बीजिंग LAC पर कोई हरकत कर सकता है, खासतौर से अरुणाचल सेक्टर में। चीन की मंशा पहले भी शांति की नहीं रही है। पूर्वी लद्दाख में 21 महीने से चल रहे तनाव को कम करने की चीन ने कोशिश नहीं की है, बल्कि उसने पूरी रणनीति के तहत एलएसी पर अपनी सैन्य पोजीशन मजबूत कर ली और इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने में जुटा है।
पारंपरिक सैन्य क्षमताओं के साथ-साथ चीन का फोकस स्पेस, साइबर स्पेस और सूचना व खुफिया वॉरफेयर पर है जो भारत के लिए चिंता की बात है। IAF चीफ एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने गुरुवार को एक सेमिनार में चीन की तरफ से एक बड़े खतरे का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अपने निष्क्रिय उपग्रहों में से एक को अन्य कक्षा में ले जाने का चीन का हालिया कदम अंतरिक्ष को हथियारों से लैस करने की दौड़ में नए खतरे ला रहा है। यह ऐसा क्षेत्र है जिसे अब तक अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता रहा है।
उन्होंने कहा, ‘घातक से गैर-घातक और छोटे ड्रोन से लेकर हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइलों तक खतरा फैल गया है। यह विशाल और निरंतर बदल रही स्थितियां भविष्य के सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करेंगी।’
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हाल ही में चीन के शिजियान-21 उपग्रह ने एक निष्क्रिय उपग्रह को उसकी जगह से स्थानांतरित कर दिया, जिससे उसकी भूस्थैतिक कक्षा बदल गई। किसी उपग्रह की कक्षा को बदलने की यह क्षमता पहले केवल अमेरिका के पास थी।

यूक्रेन संकट के बीच भारत की अपनी चिंता है क्योंकि वह सऊदी अरब के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियारों का आयातक देश है। ऐसे में हथियारों की जरूरत ज्यादा महसूस की जा रही है। एक अधिकारी ने कहा, ‘कुछ उपाय करने की बजाय भारत को अब सैन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर बनना ही होगा। इसके साथ-साथ स्पेस, साइबरस्पेस और स्पेशल ऑपरेशन की तैयारी रखनी होगी।’ उन्होंने कहा कि विषम परिस्थिति से निपटने के लिए मजबूत न्यूक्लियर डेटरेंस भी जरूरी है।
पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग।
एक डिफेंस अधिकारी ने हमारे सहयोगी अखबार TOI से कहा, ‘चीन के फ्रंट पर भारत को पैनी नजर रखनी होगी। 3488 किमी लंबी LAC पर मार्च-अप्रैल में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) युद्धाभ्यास करने जा रही है। किसी भी चुनौती के लिए हमें तैयार रहना होगा।’
एक अधिकारी ने कहा कि अमेरिका समेत पूरे पश्चिम का ध्यान इस समय रूस के यूक्रेन पर आक्रमण पर है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन को काउंटर करने का एजेंडा फिलहाल ठंडे बस्ते में रहने वाला है। ऐसे में बीजिंग LAC पर कोई हरकत कर सकता है, खासतौर से अरुणाचल सेक्टर में। चीन की मंशा पहले भी शांति की नहीं रही है। पूर्वी लद्दाख में 21 महीने से चल रहे तनाव को कम करने की चीन ने कोशिश नहीं की है, बल्कि उसने पूरी रणनीति के तहत एलएसी पर अपनी सैन्य पोजीशन मजबूत कर ली और इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने में जुटा है।
पारंपरिक सैन्य क्षमताओं के साथ-साथ चीन का फोकस स्पेस, साइबर स्पेस और सूचना व खुफिया वॉरफेयर पर है जो भारत के लिए चिंता की बात है। IAF चीफ एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने गुरुवार को एक सेमिनार में चीन की तरफ से एक बड़े खतरे का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अपने निष्क्रिय उपग्रहों में से एक को अन्य कक्षा में ले जाने का चीन का हालिया कदम अंतरिक्ष को हथियारों से लैस करने की दौड़ में नए खतरे ला रहा है। यह ऐसा क्षेत्र है जिसे अब तक अपेक्षाकृत सुरक्षित माना जाता रहा है।
उन्होंने कहा, ‘घातक से गैर-घातक और छोटे ड्रोन से लेकर हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइलों तक खतरा फैल गया है। यह विशाल और निरंतर बदल रही स्थितियां भविष्य के सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण चुनौतियां पेश करेंगी।’
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हाल ही में चीन के शिजियान-21 उपग्रह ने एक निष्क्रिय उपग्रह को उसकी जगह से स्थानांतरित कर दिया, जिससे उसकी भूस्थैतिक कक्षा बदल गई। किसी उपग्रह की कक्षा को बदलने की यह क्षमता पहले केवल अमेरिका के पास थी।
यूक्रेन संकट के बीच भारत की अपनी चिंता है क्योंकि वह सऊदी अरब के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हथियारों का आयातक देश है। ऐसे में हथियारों की जरूरत ज्यादा महसूस की जा रही है। एक अधिकारी ने कहा, ‘कुछ उपाय करने की बजाय भारत को अब सैन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए आत्मनिर्भर बनना ही होगा। इसके साथ-साथ स्पेस, साइबरस्पेस और स्पेशल ऑपरेशन की तैयारी रखनी होगी।’ उन्होंने कहा कि विषम परिस्थिति से निपटने के लिए मजबूत न्यूक्लियर डेटरेंस भी जरूरी है।
पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग।