China Economy: सोने से ज्यादा कीमती है भरोसा… चीन को अब क्यों याद आ रहे हैं पूर्व पीएम के ये शब्द

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China Economy: सोने से ज्यादा कीमती है भरोसा… चीन को अब क्यों याद आ रहे हैं पूर्व पीएम के ये शब्द

China Economy: सोने से ज्यादा कीमती है भरोसा… चीन को अब क्यों याद आ रहे हैं पूर्व पीएम के ये शब्द

नई दिल्ली: साल 2008 में दुनिया वित्तीय संकट से जूझ रही थी। चीन की भी हालत खस्ता हो गई थी। तब चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ न्यूयॉर्क में अमेरिका के अधिकारियों और बिजनस एग्जीक्यूटिव्स के समक्ष एक लेक्चर दिया था। तब उन्होंने कहा था कि आर्थिक चुनौतियों की स्थिति में भरोसा सोने से ज्यादा कीमती है। आज चीन की लीडरशिप को जियोबाओ की कही बात याद आ रही है। देश की इकॉनमी सुस्ती में फंस चुकी है। जून में एक्सपोर्ट में भारी कमी आई है, खपत गिर गई है, बेरोजगारी चरम पर है, दुनियाभर के देश चीन से मुंह मोड़ रहे हैं और निजी सेक्टर का बुरा हाल है। चीन की सरकार को अब अहसास हो गया है कि वह प्राइवेट सेक्टर के बिना आगे नहीं बढ़ सकती है। उसने प्राइवेट सेक्टर का भरोसा बढ़ाने के लिए 31 पॉइंट गाइडलाइन्स जारी की है।

चीन की सरकार ने तीन साल तक निजी सेक्टर को रौंदने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। प्राइवेट कंपनियों को बर्बाद कर दिया। इसकी सबसे बड़ी मिसाल जैक मा की कंपनी अलीबाबा है। मा कभी चीन की सरकार के आंख के तारे थे। लेकिन 2020 में चीन की सरकार को लगा कि निजी कंपनियों को ताकत बढ़ रही है। फिर क्या था। उसने इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की। इनोवेशन को खत्म कर दिया। साल 2018 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खुद कहा था कि प्राइवेट सेक्टर का देश के टैक्स रेवेन्यू में 50 परसेंट, आउटपुट में 60 परसेंट और शहरी रोजगार में 80 परसेंट योगदान है।

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कंपनियों पर बंदिशें

लेकिन चीन की कम्युनिस्ट पार्टी हमेशा इस बात से चिंतित रहती है कि कहीं प्राइवेट सेक्टर ज्यादा मजबूत न हो जाए। शी भी ऐसी ही सोच रखते हैं। वह हमेशा से बड़ी और मजबूत सरकारी कंपनियों के पक्ष में रहे हैं। यही वजह है कि उनके कार्यकाल में निजी कंपनियों को ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। महामारी के बाद तो स्थिति बदतर हो गई। चीन की लीडरशिप बड़ी निजी कंपनियों के पीछे हाथ धोकर पड़ गई। बड़े-बड़े उद्योगपतियों को हाशिए पर डाल दिया गया और इंडस्ट्री पर सख्त पाबंदियां लगा दी गई। जैक मा जैसे उद्योगपतियों के पंख पूरी तरह कुतर दिए गए हैं। उनकी कंपनी को छह टुकड़ों में बांटने का फैसला किया।

लेकिन अब चीन की सरकार को अहसास हो गया है कि प्राइवेट सेक्टर के बिना देश की इकॉनमी आगे नहीं बढ़ सकता है। बदली परिस्थिति में चीन की सरकार ने प्राइवेट कंपनियों पर डोरे डालना शुरू कर दिया है। जिन कंपनियों पर कभी जुल्म किया था, अब उन्हीं की शरणागत हो गई है। चीन की सरकार ने इन कंपनियों को अपना पूरा सपोर्ट देने का वादा किया है। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी और स्टेट काउंसिल यानी कैबिनेट ने एक सरकारी मीडिया पर एक पॉलिसी डॉक्यूमेंट जारी किया है। इसमें बताया गया है कि निजी कंपनियों को बड़ा, बेहतर और मजबूत बनाने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।

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कैसे जीतेगी भरोसा

इसमें कहा गया है कि प्राइवेट इकॉनमी चाइनीज-स्टाइल मॉर्डनाइजेशन को प्रमोट करने की नई ताकत है। यह हाई क्वालिटी डेवलपमेंट की अहम नींव है और चीन की सोशलिस्ट मॉडर्न पावर बनाने की एक व्यापक मुहिम का हिस्सा है। इसमें कहा गया है कि देश में वाजिब कंप्टीशन के लिए एक सिस्टम बनाया जाएगा, निजी कंपनियों के रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर किया जाएगा और एंटी-मोनोपॉली कानूनों के मजबूती से लागू किया जाएगा। जानकारों का भी कहना है कि इकॉनमी को रफ्तार देने के लिए चीन की सरकार को निजी कंपनियों का भरोसा जीतना होगा।

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