चीन और नेपाल के बीच रेलवे नेटवर्क सहित 14 समझौते पर करार, भारत की बड़ी चिंता

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नई दिल्ली: भारत को चीन के जिस कदम को लेकर सबसे ज्यादा खतरा है, वह साकार होता दिखा रहा है. जी हां, चीन और नेपाल ने रेल नेटवर्क निर्माण सहित 14 समझौते पर आज हस्ताक्षर किया है. नेपाल के पीएम के. पी शर्मा ओली चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने अन्य नेताओं के साथ हुई एक बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी है. बता दें कि नेपाल के पीएम के. पी शर्मा ओली 19 जून से चीन के पांच दिवसीय दौरे पर है. जिसे दौरान उन्होंने इस महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किया है. यह कथित रेल संपर्क तिब्बत और नेपाल को जोड़ेग. तिब्बत से ट्रेन काठमांडू तक पहुंचेगी.

इस लाइन के बनाने से चीन और नेपाल के बीच व्यापार को बढ़ावा देने से है. इस प्रोजेक्ट की मदद से चीन भारत की सीमा के बेहद करीब तक लाइन पहुंचा देगा. इसके बवजूद चीन सड़क परियोजनाओं पर भी सुचारू रूप से कार्य कर रहा है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, दोनों देशों ने 2.4 अरब डॉलर के 8 समझौतों पर हस्ताक्षर किए. इसमें जलविद्युत परियोजनाएं, सीमेंट फैक्टरी और फल उत्पादन जैसे समझौते शामिल है. नेपाल के पीएम के. पी शर्मा ओली ने चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग के साथ प्रतिनिधिमंडल की स्तर पर वार्ता भी की है.

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वहीं कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पड़ोसी देश नेपाल के अपने तीसरे दौरे पर गए थे. इस दौरे को दोनों देशों के बीच मजबूती और जनता के बीच संपर्क का नया आयाम देने वाला माना जा रहा था. बता दें कि नेपाल भारत की विदेश नीति में हमेशा से मुख्य देश के रूप में साबित हुआ है. लेकिन कुछ सालों से भारत दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती रुचि के कारण नेपाल के साथ काफी सजग हो गया है. चीन के नजरिये में भारत-नेपाल के रिश्तों में कुछ समय से काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला था.

बताया जाता है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के चीन के साथ काफी अच्छे संबंध है. अपने रेल नेटवर्क को विस्तार से आगे फैलाने में चीन काफी आगे बढ़ चुका है. इससे पहले उसने रूस के साइबेरिया और कजागस्तान के साथ रेलवे लाइन बिछाते हुए अपने नेटवर्क को जर्मनी तक पहुंचाया है. इससे पहले जनवरी 2016 में चीन ने पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची तक मालगाड़ी दी थी. ऐसे ही कुछ अन्य देशों के साथ चीन ने बीते कुछ सालों में किया है.