नेहरू की भूल को सुधार रहे, नरेन्द्र मोदी ?

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हिन्दी-चीनी भाई-भाई की गलती से शुरू हुआ नेहरू की चीन नीति 1962 के युद्ध पर जाकर खत्म होती है। कश्मीर पर नेहरू की गलतियों की खूब चर्चा होती है कि उन्होंने कश्मीर पर सरदार पटेल की सलाह मानी होती तो आज कश्मीर समस्या इतनी जटिल नहीं होती । सिक्किम और भूटान को लेकर ऐसा ही एक सलाह ल्हासा में 1947 से 1950 तक भारतीय मिशन के इंचार्ज रहे ह्यूज रिचर्डसन ने नेहरू जी को दिया था। 15 जून 1949 को भारत के विदेश मंत्रालय को भेजे गए संदेश में उन्होंने सुझाव दिया था कि ‘भारत असाधण स्थितियों में चुंबी घाटी से लेकर फरी तक कब्जा करने के बारे में विचार कर सकता है।’ लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू जी ने इसको अनदेखा कर दिया। लगभग इसके डेढ़ साल बाद चीन ने तिब्बत पर हमला कर दिया।
चुंबी घाटी, भूटान, भारत के सिक्किम और तिब्बत के बीच का वही तीकोना इलाका है, जहां वर्तमान में चीनी सेना सड़क बना रही है और भारत के सैनिकों ने इसका विरोध किया है, जिसके कारण वहां तनाव की स्थिति बनी हुई है।
उस वक्त सिक्किम के राजनीतिक मामलों के अफ़सर हरिश्वर दयाल थे। उन्होंने भी दिल्ली को एक ऐसा ही संदेश भेजा। उनके अनुसार, रिचर्डसन के सलाह को नहीं मानना एक बड़ी गलती थी। नेहरू को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, “भारत की ओर से सिक्किम और भूटान पर हमला, एक रक्षात्मक सैन्य अभियान होगा” लेकिन नेहरू हिन्दी-चीनी भाई-भाई के गीत से ऊपर उठकर निर्णय नहीं ले पाए और इस प्रस्ताव को भी खारिज कर दिया।

मोदी मिला रहे आंख से आंख
16 जून 2017 को जब चीनी सैनिक, चुंबी घाटी के दक्षिण में स्थित उसी विवादित इलाके में घूस आए तब भारत ने वो किया जो उसने 1950 में नेहरू के नेतृत्व में नहीं किया था। नरेन्द्र मोदी के आंख से आंख मिलाने वाली विदेशनीति का इससे अच्छा नमूना हो नहीं सकता है, जिसने चीन को आश्चर्य चकित कर दिया है कि जिस भारत पर उसने 1962 में हमला कर उसके क्षेत्र कब्जा लिए थे आज वही भारत उसे भूटान के लिए आंखे दिखा रहा है।

मोदी के मंत्रियों ने दिया सख्त संदेश
भारत के इस कदम से बौखलाए चीन ने एक के बाद एक भड़काऊ बयान दिया जिसमें उन्होंने भारत को 1962 के युद्ध की हार से सबक लेने को कहा, इसके जवाब में भारत के तत्कालीन रक्षामंत्री अरूण जेटली ने एक निजी चैनल को दिए बयान में कहा कि ‘भारत अब 1962 वाली स्थिति में नहीं है।’ वहीं शनिवार को राज्यसभा में दिए अपने बयान में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा, ‘हमारी सेना डोकलाम क्षेत्र से तभी हटेगी जब चीन भी अपनी सेना को वहां से वापस बुलाएगा।’

दुनिया के मजबूत राष्ट्रों में से भारत

चीन को ये बात समझ लेनी चाहिए कि भारत की स्थिति आज दुनिया में एक मजबूत राष्ट्र के रुप में होती है और वर्तमान भारत में एक ऐसा प्रधानमंत्री है जो अपने सख्त निर्णय के लिए भी जाना जाता है। युद्ध की स्थिति में भारत उसे बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है। डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं की जो पोजिशन है उसके अनुसार भारत के सैनिक ऊंचाई पर हैं। युद्ध हुआ तो चीन को हार का सामना भी करना पड़ सकता है।