Chhatarpur News : मासूम बच्चियों से हैवानियत करने वाले को आखिरी सांस तक जेल h3>
छतरपुर: जिला अदालत ने 7 साल और 10 साल की मासूमों के साथ दुराचार (rape of innocent girls) करने के मामले में सोमवार को फैसला सुनाया है। विशेष न्यायाधीश की कोर्ट ने आरोपी को उसकी अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा (Rape convict jailed till his last breath) सुनाई है। आरोपी ने एक साल पहले मासूम बच्चियों से दुष्कर्म किया था, जिसके बाद आरोपी को जेल भेज दिया गया था, सोमवार को जिला अदालत ने फैसला सुनाते हुए उसे अंतिम सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई है।
एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि 7 साल की मासूम की मां ने 13 अप्रेल 2021 को थाना प्रकाश बम्हौंरी में शिकायत की थी कि उसकी बेटी और जेठानी की 10 साल की बेटी दिन में मंदिर में कन्या भोज के लिए गई थी। दोनो बेटियों ने घर आकर उसे बताया कि रफीक मुसलमान निवासी बदौरा उन्हें घर छोड़ने की बात कहकर तालाब तरफ ले गया और उन दोनों के साथ गलत काम किया। रफीक ने उन्हें तीस रुपए दिए और कहा घर पर किसी को मत बताना। पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपी रफीक को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया।
पुलिस ने इस मामले को जघन्य मामले में चिंहित किया। अभियोजन की ओर से डीपीओ प्रवेश अहिरवार ने मामले में पैरवी करते हुए सभी सबूत और गवाह कोर्ट में पेश कर आरोपी को कठोर सजा देने की दलील रखी। विशेष न्यायाधीश राजेश कुमार अग्रवाल की अदालत ने फैसला दिया कि यह मामला 12 साल से कम उम्र की दो नाबालिग बच्चियों के साथ उनका व्यपहरण कर बलात्कार करने का है। बलात्कार के अपराध शरीर और मन को भी प्रभावित करते है। जिससे पीडि़ताओं के भविष्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है। जब इस तरह के अपराध घटते है तब इसका प्रतिबिम्ब समाज पर भी पड़ता है। कोर्ट ने आरोपी रफीक को दोषी ठहराते हुए उसे अंतिम सांस तक जेल में रहने और 8 हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई है।
पुलिस ने इस मामले को जघन्य मामले में चिंहित किया। अभियोजन की ओर से डीपीओ प्रवेश अहिरवार ने मामले में पैरवी करते हुए सभी सबूत और गवाह कोर्ट में पेश कर आरोपी को कठोर सजा देने की दलील रखी। विशेष न्यायाधीश राजेश कुमार अग्रवाल की अदालत ने फैसला दिया कि यह मामला 12 साल से कम उम्र की दो नाबालिग बच्चियों के साथ उनका व्यपहरण कर बलात्कार करने का है। बलात्कार के अपराध शरीर और मन को भी प्रभावित करते है। जिससे पीडि़ताओं के भविष्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है। जब इस तरह के अपराध घटते है तब इसका प्रतिबिम्ब समाज पर भी पड़ता है। कोर्ट ने आरोपी रफीक को दोषी ठहराते हुए उसे अंतिम सांस तक जेल में रहने और 8 हजार रुपए के जुर्माना की सजा सुनाई है।