Chaitra Navratri 2022 Puja : कलश स्थापना के साथ शुरू होगा नवरात्रि का पर्व, ज्योतिषाचार्य से जानें चैत्र नवरात्र 2022 के बारे में सबकुछ

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Chaitra Navratri 2022 Puja : कलश स्थापना के साथ शुरू होगा नवरात्रि का पर्व, ज्योतिषाचार्य से जानें चैत्र नवरात्र 2022 के बारे में सबकुछ

Chaitra Navratri 2022 Puja : कलश स्थापना के साथ शुरू होगा नवरात्रि का पर्व, ज्योतिषाचार्य से जानें चैत्र नवरात्र 2022 के बारे में सबकुछ

चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर नव संवत्सर के साथ शनिवार से वासंतिक नवरात्र शुरू होगा। इसी दिन हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत 2079 आरंभ होगा। वासंतिक नवरात्र के लिए शनिवार को अति शुभ मुर्हूत में कलश स्थापन होगी। नवग्रह स्थापना, ध्वज रोपण के साथ प्रथम मां शैलपुत्री की पूजा होगी। इसके बाद मां भगवती की श्रद्धालु आराधना में लीन हो जाएंगे। नवरात्र पर शहर के कई मंदिरों में विशेष अनुष्ठान होगा। शास्त्रीय दृष्टिकोण से इस बार नौ दिनों का नवरात्र होगा।

वासंतिक नवरात्र को लेकर कई घरों में कलश स्थापना के साथ देवी भगवती की अराधना में परिवार के सदस्य लीन रहेंगे। इसको लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है।

आचार्य अत्रि भारद्वाज बताते हैं कि नवरात्र में देवी शक्ति का स्वरूप मां दुर्गा के भक्त उनके नौ रूपों की पूर्ण विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं। नवरात्र के समय घरों में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, नवरात्र में ही भगवान श्रीराम ने देवी शक्ति की आराधना कर राक्षस रावण का वध किया था और समाज को यह संदेश दिया था कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है।

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उन्होंने बताया कि प्रत्येक संवत्सर (साल) में चार नवरात्र होते हैं, जिनमें दो बार नवरात्र में आराधना का विधान बनाया गया है। विक्रम संवत के पहले दिन अर्थात चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा (पहली तिथि) से नौ दिन यानी नवमी तक नवरात्र होते हैं। ठीक इसी तरह छह माह बाद आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से महानवमी तक देवी की उपासना की जाती है। सिद्धि और साधना की दृष्टि से शारदीय नवरात्र को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। इस नवरात्र में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति के संचय के लिए अनेक प्रकार के व्रत, संयम, नियम, यज्ञ, भजन, पूजन, योग-साधना आदि करते हैं।

सूर्योदय के साथ नवरात्रि होगी शुरू

  • ज्योतिषाचार्य पंडित वागीश्वरी प्रसाद द्विवेदी बताते हैं कि सूर्योदय के साथ नवरात्रि शुरू हो जाएगी। कलश स्थापना के लिए सुबह में ब्रह्म मुहूर्त से लेकर दिनक में 8:39 बजे तक सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है। इसके बाद वैघृति योग आ जाएगा। इसलिए दिन में 11:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक अभिजि काल में कलश स्थापन किया जाना प्रशस्त है। इसके बाद मध्य रात्रि से पूर्व और गोधूली वेला के बीच में कलश स्थापन किया जा सकता है। इस वर्ष नवरात्रि काल पूर्णत: नौ दिनों का है। इसलिए नवरात्रि व्रतियों का पारण दसवें दिन ही होगा। महानिशा पूजा सप्तमी तिथि की रात्रि को अष्टमी तिथि भोग कर रही है। इसलिए महानिशा पूजा और विभिन्न घरों में लोक परंपरा के अनुसार की जानेवाली माता की पूजा भी इसी रात में होगी।

रेवती नक्षत्र होगा लाभकारी

  • चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। सूर्य अपने क्रांति वृत पर रेवती नक्षत्र में रहेंगे। इसलिए यह साल प्रतिपदा की तिथि में भगवती की अराधना धन-धान्य एवं सुख-समृद्धि देनेवाली होगी। नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा जीवन में सुख समृद्धि और शांति लाती है। नवरात्र में कलश स्थापना, जौ बोने, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने, हवन और कन्या पूजन से मां प्रसन्न होती हैं।

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किस दिन मां के किस स्वरूप की होगी पूजा

  • बता दें कि प्रथम नवरात्र को मां शैलपुत्री, द्वितीय नवरात्र को मां ब्रहाचारिणी, तृतीय नवरात्र को मां चन्द्रघण्टा, चतुर्थ को कूष्माण्डा, पंचम को मां स्कन्दमाता, षष्ठ को मां कात्यायनी, सप्तम को मां कालरात्री, अष्टम को मां महागौरी, नवम् को मां सिद्धिदात्री के पूजन का विधान है।

नव संवत्सर 2079 के राजा शनि देव होंगे

  • हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत का आरंभ 2 अप्रैल से होगा। विक्रम संवत्सर के राजा शनि देव होंगे। इस बार शनिवार के दिन हिन्दू नववर्ष का आरंभ हो रहा है। इसलिए संवत्सर के राजा शनि देव होंगे। सम्वत का निवास माली का घर होने से शुभफल की वृद्धि होगी। अनाज, फल, सब्जी का अच्छा उत्पादन होगा। इस दिन नये पंचांग का पूजन कर वर्षफल सुना जाता है। नवत्सर का नाम नल होगा और इसके राजा शनि होंगे। यह वर्ष कृषि के दृष्टिकोण से उत्तम फलदायी तथा अच्छी उपज देनेवाला है।

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क्या कहते हैं आचार्य

  • आचार्य अत्रि भारद्वाज कहते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों में तीव्र हवा और चक्रवात की भी संभावना है। विविध देशों में शासनध्यक्षों का शासन परिवर्तन और अपने देश में भी अनेकों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के केंद्रीय सरकार से मतभिन्नता बने रहेंगे। महंगाई सामान्य स्तर पर क्रमिक रूप से बढ़ेगी, जिससे आम जनता में असंतोष के भाव उत्पन्न होंगे। बावजूद इसके रोग व्याधि की संभावनाएं न्यूनतम रहेंगी।



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