CBSE Term 2 Exams 2022 : ऑफलाइन ही होंगी सीबीएसई 10वीं 12वीं परीक्षाएं, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका h3>
CBSE CISCE Term 2 Exams 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और अन्य बोर्ड द्वारा आयोजित की जाने वाली 10वीं और 12वीं कक्षा की ऑफलाइन बोर्ड परीक्षा ( board exams 2022 ) रद्द किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की याचिकाएं गुमराह करती हैं और बच्चों को झूठी आशाएं देती हैं।
याचिका में सीबीएसई, आईसीएसई, एनआईओएस के अलावा सभी राज्यों में कक्षा 10वीं और 12 वीं कक्षाओं की बोर्ड की परीक्षाएं शारीरिक रूप से आयोजित कराने पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई थी।
जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि कि अधिकारी पहले से ही परीक्षाओं की तारीखों और इससे जुड़ी अन्य व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि अगर उन्हें अंतिम रूप देने के बाद कोई समस्या है तो पीड़ित पक्ष अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि यह कोई आदर्श नहीं बन सकता। इस तरह की याचिकाओं को तूल देने से सिस्टम में और भ्रम पैदा होगा।
सीबीएसई कक्षा 10वीं और 12वीं टर्म-2 की बोर्ड परीक्षा 26 अप्रैल से ऑफलाइन मोड से आयोजित होगी। यह घोषणा बोर्ड कई दिनों पहले कर चुका है।
Supreme Court dismisses a plea seeking cancellation of offline exams for Class X and XII to be conducted by all State Boards, CBSE, ICSE and National Institute of Open Schooling (NIOS). Supreme Court says these kinds of petitions are misleading and give false hope to students. pic.twitter.com/lCZvFKLlMX
— ANI (@ANI) February 23, 2022
याचिका 10वीं एवं 12वीं कक्षाओं के बोर्ड की प्रस्तावित शारीरिक (कक्षाओं में बैठकर) परीक्षाएं रद्द करने तथा गत वर्ष की तरह वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति से परीक्षा परिणाम घोषित करने के निर्देश देने की मांग के लिए दायर की गई थी। अधिवक्ता प्रशांत पद्मनाभन ने शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी। कोविड-19 से उत्पन्न समस्या का हवाला देते हुए उन्होंने पीठ के समक्ष कहा कि 2 सालों से वही समस्या बनी हुई है। कोविड में सुधार के बाद भी ऑफलाइन कक्षाएं नहीं चलाई गई हैं।
मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सोमवार को अधिवक्ता पद्मनाभन की गुहार स्वीकार करते हुए याचिका को न्यायमूर्ति खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कक्षाएं ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की गई हैं, इसलिए शारीरिक रूप से परीक्षा आयोजित कराना उचित नहीं होगा। याचिका में तर्क दिया गया है कि कोविड -19 महामारी के कारण शारीरिक कक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकीं। ऐसे में शारीरिक तौर पर कक्षाओं में परीक्षाएं आयोजित करने से वद्यिार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा तथा वे अपने परिणाम को लेकर बेहद तनाव में आ सकते हैं। ऐसे में इसके खतरनाक परिणाम आने की आशंका है।
याचिकाकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय ने अपनी याचिका में दावा किया कि शारीरिक रूप से परीक्षाएं कराने के फैसले से कई स्टूडेंट्स दुखी हैं। उन्होंने विभन्नि तर्कों के माध्यम से दावा किया कि बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम मानसिक दबाव का कारण बनते हैं। इन वजहों से हर साल कई वद्यिार्थी अपने खराब प्रदर्शन या असफलता के डर से आत्महत्या कर तक लेते हैं।
याचिका में अदालत से ऑफलाइन/ शारीरिक तौर पर परीक्षा के बजाय वैकल्पिक यानी पिछले साल की तरह के वद्यिार्थियों के पिछले शैक्षणिक परिणाम, कक्षाओं में आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर हो तथा इसी पद्धति पर आगे के परिणाम घोषित करने की व्यवस्था की जाए।
याचिका में आंतरिक मूल्यांकन से असंतुष्ट कंपार्टमेंट वाले वद्यिार्थियों के लिए सुधार का एक और मौका देते हुए परीक्षा आयोजित करने का भी अनुरोध किया। याचिकाकर्ता ने कंपार्टमेंट वाले वद्यिार्थियों सहित अन्य परीक्षाओं के मूल्यांकन के फार्मूले को तय करने के लिए एक समिति का गठन करने की गुहार लगाई है। उन्होंने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया है कि परीक्षा एवं परिणाम एक समय सीमा के भीतर घोषित करने का आदेश संबंधित पक्षों को दिया जाए।
CBSE CISCE Term 2 Exams 2022 : सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और अन्य बोर्ड द्वारा आयोजित की जाने वाली 10वीं और 12वीं कक्षा की ऑफलाइन बोर्ड परीक्षा ( board exams 2022 ) रद्द किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिका खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि इस तरह की याचिकाएं गुमराह करती हैं और बच्चों को झूठी आशाएं देती हैं।
याचिका में सीबीएसई, आईसीएसई, एनआईओएस के अलावा सभी राज्यों में कक्षा 10वीं और 12 वीं कक्षाओं की बोर्ड की परीक्षाएं शारीरिक रूप से आयोजित कराने पर रोक लगाने की गुहार लगाई गई थी।
जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि कि अधिकारी पहले से ही परीक्षाओं की तारीखों और इससे जुड़ी अन्य व्यवस्थाओं को अंतिम रूप देने पर काम कर रहे हैं। अदालत ने कहा कि अगर उन्हें अंतिम रूप देने के बाद कोई समस्या है तो पीड़ित पक्ष अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि यह कोई आदर्श नहीं बन सकता। इस तरह की याचिकाओं को तूल देने से सिस्टम में और भ्रम पैदा होगा।
सीबीएसई कक्षा 10वीं और 12वीं टर्म-2 की बोर्ड परीक्षा 26 अप्रैल से ऑफलाइन मोड से आयोजित होगी। यह घोषणा बोर्ड कई दिनों पहले कर चुका है।
Supreme Court dismisses a plea seeking cancellation of offline exams for Class X and XII to be conducted by all State Boards, CBSE, ICSE and National Institute of Open Schooling (NIOS). Supreme Court says these kinds of petitions are misleading and give false hope to students. pic.twitter.com/lCZvFKLlMX
— ANI (@ANI) February 23, 2022
याचिका 10वीं एवं 12वीं कक्षाओं के बोर्ड की प्रस्तावित शारीरिक (कक्षाओं में बैठकर) परीक्षाएं रद्द करने तथा गत वर्ष की तरह वैकल्पिक मूल्यांकन पद्धति से परीक्षा परिणाम घोषित करने के निर्देश देने की मांग के लिए दायर की गई थी। अधिवक्ता प्रशांत पद्मनाभन ने शीघ्र सुनवाई की गुहार लगाई थी। कोविड-19 से उत्पन्न समस्या का हवाला देते हुए उन्होंने पीठ के समक्ष कहा कि 2 सालों से वही समस्या बनी हुई है। कोविड में सुधार के बाद भी ऑफलाइन कक्षाएं नहीं चलाई गई हैं।
मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सोमवार को अधिवक्ता पद्मनाभन की गुहार स्वीकार करते हुए याचिका को न्यायमूर्ति खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया था।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कक्षाएं ऑनलाइन माध्यम से आयोजित की गई हैं, इसलिए शारीरिक रूप से परीक्षा आयोजित कराना उचित नहीं होगा। याचिका में तर्क दिया गया है कि कोविड -19 महामारी के कारण शारीरिक कक्षाएं आयोजित नहीं की जा सकीं। ऐसे में शारीरिक तौर पर कक्षाओं में परीक्षाएं आयोजित करने से वद्यिार्थियों को परेशानियों का सामना करना पड़ेगा तथा वे अपने परिणाम को लेकर बेहद तनाव में आ सकते हैं। ऐसे में इसके खतरनाक परिणाम आने की आशंका है।
याचिकाकर्ता अनुभा श्रीवास्तव सहाय ने अपनी याचिका में दावा किया कि शारीरिक रूप से परीक्षाएं कराने के फैसले से कई स्टूडेंट्स दुखी हैं। उन्होंने विभन्नि तर्कों के माध्यम से दावा किया कि बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम मानसिक दबाव का कारण बनते हैं। इन वजहों से हर साल कई वद्यिार्थी अपने खराब प्रदर्शन या असफलता के डर से आत्महत्या कर तक लेते हैं।
याचिका में अदालत से ऑफलाइन/ शारीरिक तौर पर परीक्षा के बजाय वैकल्पिक यानी पिछले साल की तरह के वद्यिार्थियों के पिछले शैक्षणिक परिणाम, कक्षाओं में आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर हो तथा इसी पद्धति पर आगे के परिणाम घोषित करने की व्यवस्था की जाए।
याचिका में आंतरिक मूल्यांकन से असंतुष्ट कंपार्टमेंट वाले वद्यिार्थियों के लिए सुधार का एक और मौका देते हुए परीक्षा आयोजित करने का भी अनुरोध किया। याचिकाकर्ता ने कंपार्टमेंट वाले वद्यिार्थियों सहित अन्य परीक्षाओं के मूल्यांकन के फार्मूले को तय करने के लिए एक समिति का गठन करने की गुहार लगाई है। उन्होंने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया है कि परीक्षा एवं परिणाम एक समय सीमा के भीतर घोषित करने का आदेश संबंधित पक्षों को दिया जाए।