Caste Based Survey: नीतीश सरकार जाति आधारित आंकड़े जुटा रही है तो बीजेपी क्यों परेशान है ? तेजस्वी का सवाल
Caste Based Survey: बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने राज्य में शुरू जाति आधारित गणना को लेकर कहा कि भाजपा जनहित के इस मुद्दे पर भ्रम पैदा कर रही है। वह राजनीतिक रोटी सेंकने के लिए ऐसा कर रही है। बुधवार को तेजस्वी ने कहा कि पूर्वाग्रह त्याग अगर कोई जाति आधारित गणना से जुटाए गए वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण आंकड़ों के इन फायदों पर चिंतन करेगा तो उसे निःसन्देह ही इसके सकारात्मक प्रभावों को समझने में देर नहीं लगेगी।
तेजस्वी ने कहा कि हमारी पार्टी व राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव दशकों से जातीय गणना करवाने के पक्षधर रहे हैं। वो लगातार सड़क से सदन तक पुरजोर तरीके से इस मांग को उठाते रहे हैं। राजद, जेडीयू और सपा ने संयुक्त रूप से तत्कालीन मनमोहन सरकार पर दबाव बनाकर जाति आधारित आंकड़े जुटवाए थे, लेकिन बीजेपी सरकार ने उन आंकड़ों को प्रकाशित नहीं होने दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन सरकार जाति आधारित आंकड़ें जुटा रही है, तो बीजेपी को पेट में दर्द हो रहा है। क्यों हो रहा है यह आप सोचिए?
उन्होंने कहा कि दुनियाभर के देश और सरकारें अपनी योजनाओं, बजट आवंटन, विभिन्न विभागों, उनकी कार्यप्रणाली, मानव संसाधन, प्रशिक्षण इत्यादि को प्रभावी बनाने और व्यवस्थात्मक सुधार के लिए हर प्रकार के आंकड़ें जुटाती है। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि जाति भारतीय समाज की कड़वी सच्चाई है।
तेजस्वी ने कहा कि ये जाति आधारित सर्वे है। भारत सरकार जनगणना करा सकती है बल्कि राज्य सरकार नहीं करा सकती है। जाति आधारित सर्वे से बहुत लाभ होना है। इसमें लोगों की आर्थिक स्थिति क्या होगी? उसकी भी गणना होगी। लोगों की स्थिति क्या है? इसके लिए ये बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत में कई राज्यों ने पहले जाति आधारित सर्वे कराई है। उत्तर भारत में तो बिहार में पहली बार हो रहा है। इससे संबंधित डेटा होनी चाहिए, जिससे लोगों के लिए कल्याणकारी योजना बनाई जा सके। इससे पता चलेगा कि कौन गरीब है। इसमें कुछ गलत नहीं है। वहीं, इसको लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अगर जाति आधारित सर्वे गलत है तो हिंदू, मूस्लिम और दलित की भी गणना कराई जाती है और जानवर की गिनती भी नहीं होती है फिर ये भी गलत है।
तेजस्वी ने कहा कि इस सर्वे में सभी जातियों का सर्वे कराया जाएगा। सर्वे से ये पता चलेगा की किस जाति की कितनी हिस्सेदारी है। इस सर्वे से उनके विकास को गति मिलेगी। तेजस्वी ने कहा कि जब तक यह पता नहीं चलेगा कि किस जाति की कितनी हिस्सेदारी है तब तक उनका विकास ठीक तरीके से नहीं हो पाएगा। ऐसे में जातिगत सर्वे कराया जा रहा है। यह फैसला सभी दलों की सहमति से लिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे पास जाति को लेकर कोई डाटा नहीं है। इस जाति आधारित सर्वे में हम तमाम जातियों के आर्थिक आधार का भी सर्वे कर रहे हैं। हम यह भी जानने की कोशिश कर रहे कि कौन सी जाति किस आर्थिक स्थिति में है। उस की शैक्षणिक योग्यता क्या है? इसके आधार पर ही विकास हो पाएगा। हमारे पास विकास के लिए साइंटिफिक डाटा होना जरूरी है।