Captain Amarinder Vs Navjot Sidhu: नायब तहसीलदार और इंस्पेक्टर की नौकरी गिफ्ट में देना कितना सही?

378
Captain Amarinder Vs Navjot Sidhu: नायब तहसीलदार और इंस्पेक्टर की नौकरी गिफ्ट में देना कितना सही?


Captain Amarinder Vs Navjot Sidhu: नायब तहसीलदार और इंस्पेक्टर की नौकरी गिफ्ट में देना कितना सही?

हाइलाइट्स:

  • अमरिंदर सरकार का अपने दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने पर बवाल
  • आप और अकाली दल के साथ-साथ इस मामले में कैप्टन अपनी पार्टी के निशाने पर भी
  • दो विधायकों के बेटों को नायब तहसीलदार और इंस्पेक्टर पद की नौकरी दी गई

चंडीगढ़
पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस में अंदरूनी कलह जारी है। सीएम अमरिंदर सिंह के विरोधी गुट उनके खिलाफ एक के बाद एक मुद्दे मिलते जा रहे हैं। इसी में दो विधायकों के बेटों को सरकारी नौकरी देने का ताजा विवाद भी जुड़ गया है। विरोधी दल आम आदमी पार्टी और अकाली दल के साथ-साथ इस मामले में कैप्टन अपनी पार्टी के निशाने पर भी है।

दरसअल विधायक फतेहगंज बाजवा के बेटे अर्जुन बाजवा और विधायक राकेश पांडे के बेटे भीष्म पांडे को क्रमश: पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर और राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार पद की नौकरी देने की मंजूरी दी गई थी। इस पर न सिर्फ पंजाब में विपक्ष बल्कि कांग्रेस के भी कई मंत्री और विधायक अपनी सरकार के विरोध में उतर आए। सोशल मीडिया, पार्टी और विपक्ष की ओर से विधायकों को बेटों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने पर कैप्टन सरकार की फजीहत हो रही है।

अमरिंदर सिंह ने क्या दी सफाई?
वही अमरिंदर ने अपने फैसले को सही बताते हुए कहा कि उनके दादा ने देश के लिए जो कुर्बानियां दी हैं, यह उसके सम्मान में है। अमरिंदर ने आगे कहा, ‘अर्जुन बाजवा, पंजाब के पूर्व मंत्री सतनाम सिंह बाजवा के पोते हैं जिन्होंने 1987 में राज्य में शांति के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। वहीं भीष्म पांडेय जोगिंदर पाल पांडेय के पोते हैं जिनकी 1987 में आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। उन्होंने कहा कि देश के लिए बलिदान देने वालों को न तो कभी भुलाया जा सकता है और न ही कभी उन्हें भुलाया जाना चाहिए।’

अमरिंदर के फैसले पर उठ रहे सवाल
सीएम अमरिंदर के इस बयान के बाद करगिल शहीदों और सेना में ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वालों के परिवार आगे आ गए हैं। पंजाब सरकार के इस फैसले का विरोध करने वाले का यही सवाल है कि जिस नौकरी के लिए युवाओं को खून-पसीना खपाकर भी लंबा इंतजार करना पड़ता है, वह नौकरी सरकार किसी विधायक के बेटों के अनुकंपा के आधार पर कैसे बांट सकती है। आइए जानते हैं कि सामान्य तरीके से नौकरी हासिल करने का क्या प्रावधान है-

नायब तहसीलदार की नौकरी के लिए कितने जतन?
सबसे पहले बात विधायक राकेश पांडे के बेटे भीष्म पांडे की जिन्हें अमरिंदर सरकार ने नायब तहसीलदार पद की नौकरी के लिए मंजूरी दी। इस पद की भर्ती पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन के जरिए होती है। नायब तहसीलदार एक प्रशासनिक पद है जो राज्य सरकार के राजस्व विभाग के अन्तर्गत तहसील स्तर पर होता है।
-नायब तहसीलदार पद पर आवेदन करने वाले उम्मीदवारों का ग्रैजुएशन पास होना आवश्यक है।
-भर्ती प्रक्रिया के अंतर्गत आवेदन करने वाले उम्मीदवारों की उम्र 21 वर्ष से कम और 37 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
-उम्मीदवारों का चयन सिविल सर्विस एग्जाम के जरिए होता है। स्टेट सिविल सर्विस एग्जाम तीन चरण में होता है। पहला प्रीलिमिनरी एग्जाम, दूसरा मेंस और तीसरा और आखिरी राउंड इंटरव्यू का होता है।

सीधे इंस्पेक्टर की नौकरी का कोई प्रावधान नहीं
अमरिंदर सरकार ने विधायक फतेहगंज बाजवा के बेटे अर्जुन बाजवा को पंजाब पुलिस में इंस्पेक्टर पद की नौकरी के लिए मंजूरी दी है। यह ग्रुप बी की नौकरी है और पुलिस विभाग में किसी की इंस्पेक्टर पद पर सीधे नौकरी का कोई प्रावधान नहीं है। पंजाब पुलिस के नियमों के अनुसार, इस तरह के पद प्रमोशन के जरिए भरे जाते हैं। जबकि कॉन्स्टेबल और सब इंस्पेक्टर लेवल की नौकरी खुली भर्ती के तहत होती है।

2017 में भी ऐसे ही एक फैसले पर हुई थी आलोचना
अमरिंदर सिंह ने इसी तरह की आलोचनाओं का सामना साल 2017 में भी किया था जब उन्होंने पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते गुर इकबाल सिंह को डीएसपी पद पर नियुक्त किया था। उस वक्त सरकार के इस फैसले को हाई कोर्ट में भी चुनौती दी गई थी। 1994 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुसार, अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने से पहले आर्थिक स्थिति की भी जांच करनी होती है। हालांकि अर्जुन और भीष्ण दोनों के ही बैकग्राउंड बताते हैं कि वे आर्थिक रूप से संपन्न और राजनीतिक रूप से ताकतवर परिवार से आते हैं।

नवजोत सिद्धू- अमरिंदर सिंह



Source link