नवरात्रि का भोजन रिफाइंड में बना सकते हैं क्या ?

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नवरात्रि का भोजन रिफाइंड में बना सकते है क्या ?
नवरात्रि का भोजन रिफाइंड में बना सकते है क्या ?

नवरात्रि का भोजन रिफाइंड में बना सकते हैंं क्या ? ( Can Navratri food be made in refined form? )

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है. जिसके कारण नवरात्रि में 9 दिनों तक माँ शक्ति की विभिन्न रूपों में पूजा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में माता की पूजा करने से हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. नवरात्रि में माता की पूजा करने का एक विशेष विधि विधान है, अगर इसके अनुसार हम पूजा अर्चना करते हैं, तो वह बहुत फलदायी होती है. इसी कारण नवरात्रि में पूजा तथा नवरात्रि में किए जाने वाले अनुष्ठानों के बारे में लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं. इसी तरह का सवाल जो आमतौर पर पूछा जाता है कि नवरात्रि का भोजन रिफाइंड में बना सकते हैं क्या ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

नवरात्रि भोजन

नवरात्रि भोजन रिफाइंड में बना सकते हैं-

नवरात्रि भोजन की बात करें, तो इस तरह की कोई बाध्यता नहीं है कि आप रिफाइंड में भोजन नहीं बना सकते. अगर आप रिफाइंड में भोजन बनाना चाहते हैं, तो बना सकते हैं. लेकिन अगर आप नवरात्रि पर भोजन तैयार करने में देशी घी का प्रयोग करते हैं या ऐसा करने में समर्थ हैं, तो इसे बेहतर विकल्प माना जाता है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि देशी घी हमारी सेहत के लिए भी रिफाइंड की तुलना में बहुत बेहतर होता है. नवरात्रि पर हमें हेल्थी खाना बनाना चाहिएं. इसी कारण नवरात्रि भोजन को देशी घी में बनाना चाहिएं, वो बेहतर होता है. वैसे आप रिफाइंड का भी प्रयोग कर सकते हैं.

नवरात्रि भोजन

ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि पूजा को अधूरा ही माना जाएगा, अगर हम कन्या पूजन नहीं करते हैं. कुछ मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि में किसी भी दिन कन्या पूजन किया जा सकता है. लेकिन पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में अष्टमी और नवमीं को कन्या पूजन करने से अधिक फळ मिलता है. कन्या पूजन में 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को शामिल करना बहुत ही शुभ माना जाता है. वैसे तो जब हम व्रत करते हैं, तो अपनी श्रद्धा के अनुसार कम या ज्यादा कन्याओं को भोजन करा सकते हैं. लेकिन अगर इनकी आदर्श संख्या की बात की जाए, तो 9 कन्याओं को भोजन कराना आदर्श माना जाता है.

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इसके साथ ही ऐसी भी मान्यता है कि जिन 9 कन्याओं को हम भोजन करा रहें हैं, उन्हें हमें माता का रूप ही मानना चाहिएं. कथाओं के अनुसार कन्याओं की उम्र के हिसाब से उनको माता का नाम दिया जाता है. जैसे की जो कन्या दो वर्ष की है उसको कन्या कुमारी, जो कन्या तीन साल की है उसे त्रिमूर्ति, जो कन्या चार साल की है, उसे कल्याणी, पांच साल की कन्या को रोहिणी, छह साल की कन्या को कालिका, सात साल की कन्या को चंडिका, आठ साल की कन्या को शाम्भवी, नौ साल की कन्या को दूर्गा और 10 साल की कन्या को सुभद्रा का स्वरूप माना जाता है. इसके साथ ही इन 9 कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोजन कराया जाता है. भोजन के उपरांत उन कन्याओं को फल व वस्त्र अपनी इच्छा अनुसार भेंट करने चाहिएं.

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