क्या घरवाले कोर्ट मैरिज के बाद FIR करवा सकते हैं ? ( Can family members get FIR done after court marriage ? )
वर्तमान समय में भारत में आमतौर पर दो तरह से शादी होती है. एक अरेंज मैरिज, जिसमें माता-पिता या फिर परिवार की सहमती से शादी होती है. इसके अलावा दूसरे तरीके की बात करें, तो उसमें लव मैरिज या फिर कोर्ट मैरिज आती है. जिसमें परिवार की सहमति जरूरी नहीं होती है. ऐसा माना जाता है कि शादी दो रूहों का मिलन होता है. लेकिन काफी बार ऐसा भी देखने को मिलता है कि लड़का और लड़की शादी करना चाहते हैं, लेकिन जाति या धर्म की वजह से समाज इसकी अनुमति नहीं देता है. ऐसे में वो कोर्ट या कानून का सहारा लेते हैं. लेकिन यहां एक सवाल पैदा होता है कि क्या कोर्ट मैरिज करने के बाद घरवाले शादी करने वाले जोड़े पर FIR दर्ज करा सकते हैं या नहीं. इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.
कोर्ट मैरिज के बाद घरवाले FIR दर्ज करा सकते हैं या नही-
इस सवाल का जवाब जानने से पहले यह जानना जरूरी होता है कि कानूनी तौर पर हम किसी भी धर्म या जाति में शादी कर सकते हैं. लेकिन उसके लिए कुछ नियम या शर्ते होती हैं. जिनको पूरा करना जरूरी होता है. यदि आप सभी शर्तों को पूरा करते हैं और आपकी कोर्ट मैरिज होती है. इसके बाद घरवाले FIR दर्ज नहीं करा सकते हैं. लेकिन यदि कोर्ट मैरिज के समय डाक्यूमेंट में फेरबदल करके आपने शादी की है या फिर ऐसा पता चलता है कि उस व्यक्ति ने पहले शादी की है तथा उससे तलाक नहीं हुआ है और वह जिंदा है. तो ऐसे में उनकी जांच की जा सकती है. ऐसी स्थिति में FIR दर्ज हो सकती है. लेकिन यदि आप सभी शर्तों को पूरा करते हैं तथा कोर्ट में शादी करते हैं, तो ऐसी स्थिति में आप पर FIR नहीं होती है.
कोर्ट मैरिज अधिनियम-
संपूर्ण भारत में कोर्ट मैरिज के लिए समान नियम होते हैं. भारत के संविधान ने सभी नागरिकों को कुछ अधिकार दिए हैं. इसी के अनुसार कोई व्यक्ति अपनी पसंद की लड़की से शादी कर सकता है, अगर वह लड़की भी शादी करना चाहती है. इसमें समाज , जाति या धर्म कोई बाध्यता नहीं बन सकते हैं. यह प्रावधान भारतीय संविधान के विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के अंतर्गत किया गया है. इस नियम के अनुसार एक धर्म या जाति के लोग भी शादी कर सकते हैं.
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नोटिस का प्रकाशन- इसके अनुसार शादी करने से 30 दिन पहले इससे संबंधित नोटिस प्रकाशित करना होता है. जिसके बाद किसी को शादी से आपत्ति है, तो वह आपत्ति दर्ज कर सकता है. अगर आपत्ति जायज होती है, तो शादी की प्रक्रिया को वहीं समाप्त कर दिया जाता है. ( हाल ही में हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि विशेष विवाह अधिनियम-1954 में शादी से पहले 30 दिन का नोटिस देने का नियम वैकल्पिक है. जब विवाह करने वाले जोड़े चाहें, तभी इस तरह के नोटिस का प्रकाशन किया जाएगा. )
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. News4social इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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