Budget 2023-24: ग्रोथ तो ठीक है लेकिन नौकरियां कहां से आएंगी… बजट पर भड़के आरबीआई के पूर्व गवर्नर सुब्बाराव

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Budget 2023-24: ग्रोथ तो ठीक है लेकिन नौकरियां कहां से आएंगी… बजट पर भड़के आरबीआई के पूर्व गवर्नर सुब्बाराव

Budget 2023-24: ग्रोथ तो ठीक है लेकिन नौकरियां कहां से आएंगी… बजट पर भड़के आरबीआई के पूर्व गवर्नर सुब्बाराव


नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने एक फरवरी को फाइनेंशियल ईयर 2023-24 का आम बजट (budget) पेश किया था। लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव इससे खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि इस बार के बजट में नौकरियों पर पर्याप्त जोर नहीं दिया गया है। बजट बेरोजगारी की समस्या से सीधे निपटने में विफल रहा। माना गया कि ग्रोथ से अपने आप रोजगार पैदा हो जाएंगे। सुब्बाराव ने कहा कि कोविड महामारी से पहले भी बेरोजगारी की स्थिति काफी खराब थी और महामारी के कारण यह खतरनाक हो गई है। उन्होंने कहा कि देश में लगभग दस लाख लोग हर महीने लेबर फोर्स में शामिल होते हैं और भारत इसकी आधी नौकरियां भी पैदा नहीं कर पाता है। यानी आधे लोग बेरोजगार रह जाते हैं।

सुब्बाराव ने कहा, ‘मैं निराश था कि बजट में नौकरियों पर पर्याप्त जोर नहीं दिया गया। केवल ग्रोथ से काम नहीं चलेगा, हमें रोजगार आधारित ग्रोथ की जरूरत है।’ आरबीआई के पूर्व गवर्नर से पूछा गया था कि बजट से उनकी सबसे बड़ी निराशा क्या है? सुब्बाराव के अनुसार लगभग दस लाख लोग हर महीने लेबर फोर्स में शामिल होते हैं और भारत इसकी आधी नौकरियां भी पैदा नहीं कर पाता है।’ इसके चलते बेरोजगारी की समस्या न केवल बढ़ रही है, बल्कि एक संकट बन रही है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी जैसी बड़ी और जटिल समस्या का कोई एक या सरल समाधान नहीं है।

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कैसे मिलेगा डेमोग्राफिक डिविडेंड का फायदा

आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा, ‘लेकिन मुझे निराशा हुई कि बजट समस्या से निपटने में विफल रहा। सिर्फ यह भरोसा किया गया कि ग्रोथ से रोजगार पैदा होंगे।’ सुब्बाराव ने कहा कि भारत केवल तभी डेमोग्राफिक डिविडेंड का फायदा उठा सकेगा, जब हम बढ़ती श्रम शक्ति के लिए उत्पादक रोजगार खोजने में सक्षम होंगे। बजट की सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार ने ग्रोथ पर जोर दिया है और राजकोषीय उत्तरदायित्व को लेकर प्रतिबद्धता जताई है, जबकि बजट से पहले आम धारणा यह थी कि वित्त मंत्री चुनावी साल में लोकलुभावन बजट पेश करेंगी।

यह पूछे जाने पर कि क्या बजट दस्तावेज में दिए गए अनुमानों के लिए कोई जोखिम है, उन्होंने कहा, राजस्व और व्यय, दोनों पक्षों पर जोखिम हैं। राजस्व पक्ष के अनुमान इस धारणा पर आधारित हैं कि चालू कीमतों पर जीडीपी 10.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और इस साल टैक्स कलेक्शन में हुई ग्रोथ अगले साल भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि दोनों धारणाएं आशावादी लगती हैं, क्योंकि ग्रोथ और महंगाई अगले साल नरम हो सकती हैं। व्यय पक्ष पर सुब्बाराव ने कहा कि यदि वैश्विक स्थिति प्रतिकूल हो जाती है और वैश्विक कीमतें बढ़ती हैं तो खाद्य तथा उर्वरक सब्सिडी में अपेक्षित बचत नहीं हो पाएगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अगर रूरल ग्रोथ तेजी से नहीं हुई तो मनरेगा की मांग बजट अनुमानों के मुताबिक घटेगी नहीं।

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सरकार को नौकरियां बढ़ने की उम्मीद

इस बीच वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि के बजट में पूंजीगत व्यय में ग्रोथ, ग्रीन इकॉनमी को बढ़ावा मिलने तथा वित्तीय बाजार को मजबूत बनाने के उपायों की घोषणा से नौकरियां बढ़ने के साथ आर्थिक ग्रोथ को गति मिलने की उम्मीद है। मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा कि चालू वित्त वर्ष की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के अहम आंकड़े (निर्यात, जीएसटी संग्रह, पीएमआई आदि) आम तौर पर नरमी का संकेत देते हैं। इसका एक कारण मौद्रिक नीति को सख्त किया जाना है जिससे वैश्विक मांग पर प्रतिकूल असर दिखना शुरू हो गया है। वैश्विक उत्पादन में नरमी के अनुमान की आशंका के बाद भी IMF और World Bank ने 2023 में भारत के तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाली इकॉनमी बने रहने की उम्मीद जताई है।

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