Buddhadeb Bhattacharjee: बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पद्म भूषण सम्मान लेने से किया इनकार, जानिए कौन हैं

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Buddhadeb Bhattacharjee: बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पद्म भूषण सम्मान लेने से किया इनकार, जानिए कौन हैं


Buddhadeb Bhattacharjee: बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पद्म भूषण सम्मान लेने से किया इनकार, जानिए कौन हैं

हाइलाइट्स

  • बुद्धदेव भट्टाचार्य ने कहा- मुझे बताया नहीं गया
  • उन्हें सार्वजनिक मामलों के क्षेत्र में यह पुरस्कार दिया गया था
  • वे 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री थे

कोलकाता: गणतंत्र दिवस (Republic Day) की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों (Padma Awards 2022) का ऐलान कर दिया गया है। इस बार पुरस्‍कारों की इस लिस्‍ट में सबसे चौंकाने वाला नाम है बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य (Buddhadeb Bhattacharya) का। सरकार ने उन्‍हें पद्म भूषण (Padma Bhushan) सम्‍मान से नवाजने की घोषणा की है। लेकिन बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पुरस्‍कार लेने से मना कर दिया है। पश्चिम बंगाल की चार और शख्सियत प्रह्लाद राय अग्रवाल, संघमित्रा बंद्योपाध्याय, काली पद सरेन और काजी सिंह को पद्मश्री सम्‍मान देने का ऐलान हुआ है।

बुद्धदेव भट्टाचार्य ने कहा- मैं इसे अस्‍वीकार कर रहा
पद्म पुरस्कारों के ऐलान के बाद बुद्धदेव भट्टाचार्य का बयान आया है। उन्‍होंने इसे लेने से इनकार कर दिया है। उन्‍होंने अपने बयान में कहा, ‘मैं पद्म भूषण सम्मान के बारे में कुछ नहीं जानता। मुझे किसी ने इसके बारे में नहीं बताया। अगर मुझे पद्म भूषण सम्मान दिया गया है तो मैं इसे अस्वीकार कर रहा हूं।’ इससे पहले उनकी पार्टी के राज्यसभा सांसद और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता बिकाश भट्टाचार्य ने भी कहा था क‍ि यह फर्जी है। जहां तक मुझे पता है, यह पुरस्कार उनके द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा।

सीपीएम पोलित ब्यूरो के सदस्य रहे भट्टाचार्य पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर ममता बनर्जी जैसे ही मुखर रहे हैं। 2014 लोकसभा चुनावों से पहले उन्‍होंने कहा था क‍ि अगर मोदी पीएम बनते हैं तो ये देश क लिए बहुत खतरनाक होगा।

कौन हैं बुद्धदेव भट्टाचार्य?
भट्टाचार्य साल 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे थे। इसके साथ ही वह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) के पोलितब्यूरो के सदस्य भी रह चुके हैं। बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म एक मार्च 1944 को उत्तरी कोलकाता में हुआ था। उनके पुरखों का घर बांग्लादेश में है। उन्होंने कोलकाता के प्रतिष्ठित प्रेसीडेंसी कॉलेज से बंगाली साहित्य की पढ़ाई की थी और बंगाली (ऑनर्स) में बीए की डिग्री प्राप्त की थी। बाद में वह सीपीआई (एम) से जुड़ गए थे। उन्हें सीपीआई की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन के राज्य सचिव बनाया गया थे, जिसका बाद में डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया में विलय हो गया था।

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कहा जाता है क‍ि बंगाल में औद्योगीकरण अभियान की शुरुआत बुद्धदेव भट्टाचार्य ने ही की थी। उन्‍होंने ही टाटा की नैनो का उत्पादन प्लांट कोलकाता के पास स्थित सिंगुर में स्थापित कराया था। 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद साल 2011 के विधानसभा चुनाव में भी उन्हें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के उम्मीदवार मनीष गुप्ता के हाथों मात मिली थी।

Buddhadeb Bhattacharya

बुद्धदेव भट्टाचार्य। फाइल फोटो



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