BSF जवान 72 घंटे से पाकिस्तान की कैद में: फ्लैग मीटिंग के बाद भी रिहाई नहीं हुई, परिवार बोला- बेटे को टॉर्चर मत करना – Firozpur News h3>
BSF जवान पीके सिंह की पत्नी पत्नी रजनी साहू का रो रोकर बुरा हाल है। इनसेट में जवान की फोटो।
पंजाब के फिरोजपुर में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से पकड़ा गया BSF का जवान 72 घंटे बाद भी पाकिस्तानी रेंजर्स के कब्जे में है। 3 फ्लैग मीटिंग के बाद भी उनकी रिहाई नहीं हुई। पाकिस्तानी अधिकारियों ने जवान को छोड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि जब तक हा
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उधर, शुक्रवार शाम को जवान को छुड़ाने के लिए BSF के डायरेक्टर जनरल दलजीत सिंह चौधरी (DG) ने केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन से बात की है।
जवान पीके साहू के भाई श्याम सुंदर साहू ने केंद्रीय सरकार से भाई को छुड़वाने में मदद करने की अपील की है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद दोनों देशों में तनाव के कारण पीके सिंह की रिहाई में देरी हो रही है।
जवान पीके सिंह की मां देवंती देबी साहू और पिता भोलेनाथ साहू ने कहा-
हमारा बेटा सुरक्षित घर आ जाना चाहिए। उसकी पत्नी रजनी साहू का रो-रो कर बुरा हाल है। ध्यान रखना कि उसे टॉर्चर ना किया जाए।
पीके साहू की पत्नी रजनी साहू ने कहा, “मैंने उनसे आखिरी बार मंगलवार (22 अप्रैल) रात को बात की थी। मैं बस यही चाहती हूं कि वे जल्द ही घर लौट आएं।”
इस फोटो में BSF जवान को पाकिस्तानी रेंजर्स ने पकड़कर किसी गाड़ी में बैठाया है। जवान की आंखों पर पट्टी बांधी गई है।
BSF जवान के मामले में अब तक क्या-क्या हुआ, सिलसिलेवार ढंग से पढ़ें…
जीरो लाइन क्रॉस की, पाकिस्तानी रेंजर्स ने पकड़ा श्रीनगर से आई BSF की 24वीं बटालियन ममदोट सेक्टर में तैनात है। बुधवार (23 अप्रैल) सुबह किसान अपनी कंबाइन मशीन लेकर खेत में गेहूं काटने गए थे। यह खेत फेंसिंग पर लगे गेट नंबर-208/1 के पास था। किसानों की निगरानी के लिए 2 BSF जवान भी उनके साथ थे। इसी समय जवान पीके साहू की तबीयत बिगड़ी और पेड़ के नीचे बैठने के लिए चले गए। पेड़ बॉर्डर पार था। तभी पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें घेरकर पकड़ लिया और उसके हथियार भी ले लिए।
BSF अफसर मौके पर पहुंचे, छोड़ने से इनकार किया जैसे ही BSF के बड़े अफसरों को जवान पीके साहू के पाकिस्तानी रेंजर्स द्वारा पकड़े जाने की यह खबर मिली, वे तुरंत मौके पर पहुंचे और पाकिस्तानी रेंजर्स से बातचीत शुरू की। उन्हें बताया गया है कि यह जवान कुछ दिन पहले ट्रांसफर होकर आया था। उसे जीरो लाइन का पता नहीं था। वह गलती से जीरो लाइन क्रॉस कर गया था। रिहा करने के लिए कहा गया। मगर, पाकिस्तानी रेंजर्स ने उसे रिहा करने से इनकार कर दिया।
3 फ्लैग मीटिंग हुई, कोई नतीजा नहीं निकला भारत की ओर से लगातार फ्लैग मीटिंग के जरिए जवान पीके साहू को वापस लाने की कोशिश की गई। BSF के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान रेंजर्स से अब तक 2 से 3 फ्लैग मीटिंग हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक नतीजा सामने नहीं आया।
31 मार्च को ड्यूटी पर लौटे थे साहू, पत्नी हुई बेसुध मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक करीब 40 वर्षीय पीके साहू कोलकाता के हुगली के रहने वाले हैं। घर से छुट्टी बिताने के बाद 31 मार्च को ड्यूटी पर लौटे थे। साहू के परिवार के सदस्यों के अनुसार, वह BSF में 17 साल से हैं और अपने माता-पिता, पत्नी और 7 साल के बेटे के साथ रहते हैं।
इस घटना से परिवार गहरे सदमे में है। खबर मिलने के बाद से उनकी पत्नी रजनी साहू बेसुध हैं। पत्नी रजनी साहू ने कहा, “उनके एक सहकर्मी ने हमें फोन करके बताया कि उन्हें ड्यूटी के दौरान पकड़ लिया गया है।
ये तस्वीर भारत और पाकिस्तान बॉर्डर की है। बीच में फेंसिंग लगाई गई है।
जीरो लाइन और उसके प्रोटोकाल के बारे में जानें…
बेहद संवेदनशील हिस्सा है जीरो लाइन जीरो लाइन अंतरराष्ट्रीय सीमा का वह संवेदनशील हिस्सा होता है जहां भारत और पाकिस्तान की सीमाएं बेहद पास होती हैं। भारत के कई किसानों की जमीनें फेंसिंग के उस पार, लेकिन भारतीय सीमा में हैं। यहां सीमित समय और परिस्थितियों में किसानों को खेती करने की अनुमति दी जाती है। साथ ही उनकी सुरक्षा के लिए भारत की तरफ से BSF के जवान तैनात किए जाते हैं। इन जवानों को ‘किसान गार्ड’ भी कहा जाता है।
क्या कहता है प्रोटोकॉल पकड़े गए जवान को लौटाने के लिए कोई नियम नहीं है, लेकिन आमतौर पर ऐसी घटनाओं में 24 घंटे के भीतर जवानों को लौटा दिया जाता है। एक अधिकारी ने बताया कि पहले दोनों देशों के बीच अगर कोई जवान बॉर्डर पार कर लेता था तो फ्लैग मीटिंग के बाद उसे वापस लौटा दिया जाता था। यह सामान्य बात थी, लेकिन पहलगाम में आतंकी हमले के बाद बदले हालात में यह घटना असामान्य हो गई है। रिहाई के लिए दोनों देशों में बातचीत जारी है।
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