Brahmos Missile News : गलती से पाकिस्तान की तरफ जाती ब्रह्मोस मिसाइल को क्या रास्ते में उड़ाया जा सकता था? h3>
नई दिल्ली: दो हफ्ते पहले दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक ब्रह्मोस (Brahmos Missile) जब पाकिस्तान में गिरी तो खलबली मच गई। कई तरह की अटकलें लगाई जाने लगीं। स्थानीय लोगों ने वीडियो सोशल मीडिया पर डाला तो दुनियाभर में खबर फैल गई कि भारत से पाकिस्तान में ब्रह्मोस मिसाइल दागी गई है। गनीमत यह रही कि उसमें विस्फोटक नहीं था। पाकिस्तान के हुक्मरान यह सोचकर सन्न रह गए कि जिस समय यूक्रेन पर रूस मिसाइलें दाग रहा है अगर भारत के ब्रह्मोस में हथियार लगा होता तो क्या होता? दरअसल, ब्रह्मोस परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। भारत का ब्रह्मोस उस ‘ब्रह्मास्त्र’ की तरह ही है जो एक बार चल गया तो फिर उसे रोका नहीं जा सकता है। यह ध्वनि की गति से तीन गुना रफ्तार से टारगेट को हिट करती है। शायद तभी पाकिस्तानी हक्के-बक्के रह गए। हालांकि सोशल मीडिया पर अजीबोगरीब दावे किए जाने लगे। लोकसभा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कहा कि 9 मार्च को अनजाने में मिसाइल चल गई थी। लेकिन दावा किया जाने लगा कि अगर अनजाने में मिसाइल चली है तो उसे रास्ते में विस्फोट कर उड़ाया जा सकता था। क्या ब्रह्मोस को उस दिन पाकिस्तान में गिरने से पहले रोका जा सकता था?
किल स्विच है या नहीं
अब एयरफोर्स के सूत्रों ने इसका जवाब दे दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि ब्रह्मोस जैसी टैक्टिकल मिसाइल अगर एकबार दागी गई तो उसे बीच में रोका नहीं जा सकता। सूत्रों ने कहा कि ब्रह्मोस में ‘खुद से नष्ट होने का मेकैनिज्म’ नहीं है। केवल स्ट्रैटिजिक या परमाणु मिसाइलों जैसे अग्नि और पृथ्वी बैलिस्टिक मिसाइलों में यह ‘किल स्विच’ होता है।
ग्रुप कैप्टन से क्या चूक हुई?
लोकसभा में रक्षा मंत्री ने कहा था कि भारत की मिसाइल प्रणाली बेहद सुरक्षित और भरोसेमंद है। देश का रक्षा प्रतिष्ठान सुरक्षित प्रक्रियाओं और मानकों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। उन्होंने 9 मार्च की घटना पर खेद भी जताया था। अब बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की ओर चूकवश दागी मिसाइल मामले की जांच में मानवीय गलती होने की बात सामने आ रही है। सूत्रों ने बताया है कि इस घटना की जांच कर रही ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ एक ग्रुप कैप्टन और कुछ अन्य अधिकारियों की कथित चूक के लिए उनकी भूमिका की जांच कर रही है। इस मामले में अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
पाकिस्तान में 124 किमी घुस गई थी मिसाइल
उस दिन 9 मार्च को ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान के भीतर 124 किमी अंदर गिरी थी। पाकिस्तान ने दावा किया था कि इसे हरियाणा के सिरसा से दागा किया। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि वे इसे ट्रैक कर रहे थे जबकि सच्चाई यह है कि उन्हें समझ ही नहीं आया कि हुआ क्या है। उनके पास ऐसा कोई सिस्टम ही नहीं है जो ब्रह्मोस को गिराना तो दूर, निगरानी भी कर सके। भारत में पटना और दिल्ली के कुछ यूट्यूबरों ने वीडियो बनाकर दावा करना शुरू कर दिया कि ब्रह्मोस में सेल्फ किल वाला सिस्टम होता है और अगर गलती से दागी गई थी तो उसे गिराया जा सकता था। अब यह दावा झूठ निकला है।
इस बीच, बुधवार को भारतीय वायुसेना ने लैंड-अटैक ब्रह्मोस मिसाइल के नए वर्जन का टेस्ट किया। इसकी मारक क्षमता 290 किमी से बढ़ाकर 350-400 किमी की गई। 9 मार्च की घटना के बाद यह पहला ब्रह्मोस लॉन्च था। इसने टारगेट को बिल्कुल सटीक तबाह किया।
रिवर्स इंजीनियरिंग का ढोंग
पाकिस्तान की सेना को ब्रह्मोस के पाकिस्तान के 100 किमी से भी अंदर घुसने की भनक नहीं लगी लेकिन बाद में अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए वहां यह अफवाह उड़ा दी गई कि वह रिवर्स इंजीनियरिंग करेगा। दरअसल, ब्रह्मोस को भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। रिवर्स इंजीनियरिंग का मतलब किसी टेक्नोलॉजी की नकल करना होता है। एक्सपर्ट मशीन या मिसाइल के हिस्सों से हूबहू वही हथियार बनाने की कोशिश करते हैं। बताते हैं कि पाकिस्तान ने नकल करके ही अपने हथियार बढ़ाए हैं। लेकिन सूत्रों का साफ कहना है कि ब्रह्मोस गिरने के बाद पूरी तरह से तबाह हो जाती है, ऐसे में रिवर्स इंजीनियरिंग की बात बेमानी है।
किल स्विच है या नहीं
अब एयरफोर्स के सूत्रों ने इसका जवाब दे दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि ब्रह्मोस जैसी टैक्टिकल मिसाइल अगर एकबार दागी गई तो उसे बीच में रोका नहीं जा सकता। सूत्रों ने कहा कि ब्रह्मोस में ‘खुद से नष्ट होने का मेकैनिज्म’ नहीं है। केवल स्ट्रैटिजिक या परमाणु मिसाइलों जैसे अग्नि और पृथ्वी बैलिस्टिक मिसाइलों में यह ‘किल स्विच’ होता है।
ग्रुप कैप्टन से क्या चूक हुई?
लोकसभा में रक्षा मंत्री ने कहा था कि भारत की मिसाइल प्रणाली बेहद सुरक्षित और भरोसेमंद है। देश का रक्षा प्रतिष्ठान सुरक्षित प्रक्रियाओं और मानकों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। उन्होंने 9 मार्च की घटना पर खेद भी जताया था। अब बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की ओर चूकवश दागी मिसाइल मामले की जांच में मानवीय गलती होने की बात सामने आ रही है। सूत्रों ने बताया है कि इस घटना की जांच कर रही ‘कोर्ट ऑफ इंक्वायरी’ एक ग्रुप कैप्टन और कुछ अन्य अधिकारियों की कथित चूक के लिए उनकी भूमिका की जांच कर रही है। इस मामले में अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
पाकिस्तान में 124 किमी घुस गई थी मिसाइल
उस दिन 9 मार्च को ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान के भीतर 124 किमी अंदर गिरी थी। पाकिस्तान ने दावा किया था कि इसे हरियाणा के सिरसा से दागा किया। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया कि वे इसे ट्रैक कर रहे थे जबकि सच्चाई यह है कि उन्हें समझ ही नहीं आया कि हुआ क्या है। उनके पास ऐसा कोई सिस्टम ही नहीं है जो ब्रह्मोस को गिराना तो दूर, निगरानी भी कर सके। भारत में पटना और दिल्ली के कुछ यूट्यूबरों ने वीडियो बनाकर दावा करना शुरू कर दिया कि ब्रह्मोस में सेल्फ किल वाला सिस्टम होता है और अगर गलती से दागी गई थी तो उसे गिराया जा सकता था। अब यह दावा झूठ निकला है।
इस बीच, बुधवार को भारतीय वायुसेना ने लैंड-अटैक ब्रह्मोस मिसाइल के नए वर्जन का टेस्ट किया। इसकी मारक क्षमता 290 किमी से बढ़ाकर 350-400 किमी की गई। 9 मार्च की घटना के बाद यह पहला ब्रह्मोस लॉन्च था। इसने टारगेट को बिल्कुल सटीक तबाह किया।
रिवर्स इंजीनियरिंग का ढोंग
पाकिस्तान की सेना को ब्रह्मोस के पाकिस्तान के 100 किमी से भी अंदर घुसने की भनक नहीं लगी लेकिन बाद में अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए वहां यह अफवाह उड़ा दी गई कि वह रिवर्स इंजीनियरिंग करेगा। दरअसल, ब्रह्मोस को भारत और रूस ने मिलकर बनाया है। रिवर्स इंजीनियरिंग का मतलब किसी टेक्नोलॉजी की नकल करना होता है। एक्सपर्ट मशीन या मिसाइल के हिस्सों से हूबहू वही हथियार बनाने की कोशिश करते हैं। बताते हैं कि पाकिस्तान ने नकल करके ही अपने हथियार बढ़ाए हैं। लेकिन सूत्रों का साफ कहना है कि ब्रह्मोस गिरने के बाद पूरी तरह से तबाह हो जाती है, ऐसे में रिवर्स इंजीनियरिंग की बात बेमानी है।