BPCL Privatisation: बीपीसीएल के निजीकरण के बाद भी ‘एलपीजी पर सब्सिडी’ में आया अडंगा, एक सरकारी आदेश ही बना रोड़ा h3>
हाइलाइट्स:
- सरकार ने बीपीसीएल के निजीकरण के बाद भी सब्सिडी वाली एलपीजी जारी रखने की छूट दे दी है।
- सरकार ने भले ही छूट दी है, लेकिन एक दो दशक पुराना सरकारी आदेश ही अडंगा बन रहा है।
- आदेश के तहत देश में उत्पादित रसोई गैस की आपूर्ति केवल सरकार के स्वामित्व वाली तेल कंपनियों तक सीमित रहेगी।
- अब सवाल ये है कि बीपीसीएल के निजीकरण के बाद भी क्या वह गैस की आपूर्ति करेगी या नहीं।
नई दिल्ली
BPCL Privatisation: करीब दो दशक पहले सरकार ने एलपीजी को लेकर एक आदेश दिया था। इसके अनुसार देश में उत्पादित रसोई गैस (एलपीजी) की आपूर्ति केवल सरकार के स्वामित्व वाली तेल कंपनियों तक सीमित रहेगी। इस आदेश ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) को निजीकरण के बाद सब्सिडी वाली एलपीजी की बिक्री जारी रखने की छूट देने की योजना के आगे एक अड़ंगा लगा दिया है। तो अब सवाल ये है कि बीपीसीएल के निजीकरण के बाद भी क्या वह गैस की आपूर्ति करेगी या नहीं।
मामले की जानकारी रखने वाले दो सरकारी अधिकारियों ने कहा कि अब यह पता लगाने के लिए कानूनी राय मांगी गई है कि क्या निजीकरण के बाद बीपीसीएल को ओएनजीसी और गेल जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित रसोई गैस का आवंटन सही होगा। वर्तमान में, बीपीसीएल के पास 8.4 करोड़ से अधिक घरेलू एलपीजी ग्राहक हैं। इनमें 2.1 करोड़ उज्ज्वला ग्राहक हैं। इसके लिए कंपनी की अपनी तेल-शोधन इकायों का एलपीजी उत्पादन पर्याप्त नहीं होता है।
बीपीसीएल अन्य तेल विपणन कंपनियों की तरह, तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और गेल (इंडिया) लिमिटेड जैसी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ-साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसी निजी कंपनियों से रसोई गैस खरीदती है। रसोई गैस (आपूर्ति और वितरण विनियमन) आदेश, 2020, जिसे रसोई गैस नियंत्रण आदेश, 2000 के रूप में जाना जाता है, केवल सरकार के स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों – इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और बीपीसीएल को स्वदेशी रूप से उत्पादित रसोई गैस की बिक्री का प्रावधान करता है।
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यह आदेश ओएनजीसी और गेल जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित एलपीजी को को निजी कंपनियों को आपूर्ति किए जाने से रोकता है। निजी क्षेत्र के एलपीजी विक्रेताओं को, जिन्हें समानांतर एलपीजी विपणक कहा जाता है, को आयातित गैस का उपयोग करना पड़ता है। देश में रसोई गैस की कमी को देखते हुए नियंत्रण आदेश, 2000 जारी किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि बीपीसीएल का निजीकरण हो जाने के बाद, यह आदेश ओएनजीसी और गेल के बीपीसीएल को रसोई गैस बेचने पर रोक लगा देगा। इसलिए सरकार इस मुद्दे पर कानूनी राय मांग रही है।
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हाइलाइट्स:
- सरकार ने बीपीसीएल के निजीकरण के बाद भी सब्सिडी वाली एलपीजी जारी रखने की छूट दे दी है।
- सरकार ने भले ही छूट दी है, लेकिन एक दो दशक पुराना सरकारी आदेश ही अडंगा बन रहा है।
- आदेश के तहत देश में उत्पादित रसोई गैस की आपूर्ति केवल सरकार के स्वामित्व वाली तेल कंपनियों तक सीमित रहेगी।
- अब सवाल ये है कि बीपीसीएल के निजीकरण के बाद भी क्या वह गैस की आपूर्ति करेगी या नहीं।
BPCL Privatisation: करीब दो दशक पहले सरकार ने एलपीजी को लेकर एक आदेश दिया था। इसके अनुसार देश में उत्पादित रसोई गैस (एलपीजी) की आपूर्ति केवल सरकार के स्वामित्व वाली तेल कंपनियों तक सीमित रहेगी। इस आदेश ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (बीपीसीएल) को निजीकरण के बाद सब्सिडी वाली एलपीजी की बिक्री जारी रखने की छूट देने की योजना के आगे एक अड़ंगा लगा दिया है। तो अब सवाल ये है कि बीपीसीएल के निजीकरण के बाद भी क्या वह गैस की आपूर्ति करेगी या नहीं।
मामले की जानकारी रखने वाले दो सरकारी अधिकारियों ने कहा कि अब यह पता लगाने के लिए कानूनी राय मांगी गई है कि क्या निजीकरण के बाद बीपीसीएल को ओएनजीसी और गेल जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित रसोई गैस का आवंटन सही होगा। वर्तमान में, बीपीसीएल के पास 8.4 करोड़ से अधिक घरेलू एलपीजी ग्राहक हैं। इनमें 2.1 करोड़ उज्ज्वला ग्राहक हैं। इसके लिए कंपनी की अपनी तेल-शोधन इकायों का एलपीजी उत्पादन पर्याप्त नहीं होता है।
बीपीसीएल अन्य तेल विपणन कंपनियों की तरह, तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) और गेल (इंडिया) लिमिटेड जैसी सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ-साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसी निजी कंपनियों से रसोई गैस खरीदती है। रसोई गैस (आपूर्ति और वितरण विनियमन) आदेश, 2020, जिसे रसोई गैस नियंत्रण आदेश, 2000 के रूप में जाना जाता है, केवल सरकार के स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियों – इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) और बीपीसीएल को स्वदेशी रूप से उत्पादित रसोई गैस की बिक्री का प्रावधान करता है।
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यह आदेश ओएनजीसी और गेल जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित एलपीजी को को निजी कंपनियों को आपूर्ति किए जाने से रोकता है। निजी क्षेत्र के एलपीजी विक्रेताओं को, जिन्हें समानांतर एलपीजी विपणक कहा जाता है, को आयातित गैस का उपयोग करना पड़ता है। देश में रसोई गैस की कमी को देखते हुए नियंत्रण आदेश, 2000 जारी किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि बीपीसीएल का निजीकरण हो जाने के बाद, यह आदेश ओएनजीसी और गेल के बीपीसीएल को रसोई गैस बेचने पर रोक लगा देगा। इसलिए सरकार इस मुद्दे पर कानूनी राय मांग रही है।
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