Blog : नीतीश कुमार का ‘मर्दाना’ पुलिस वाला बोला- महिला हो महिला की तरह रहो… 6 शब्द सैकड़ों सवाल… h3>
पटना : बिहार पुलिस महिलाओं को किस नजर से देखती है अंदाजा इन शब्दों से ही लगाया जा सकता है। मुख्यमंत्री आवास यानी एक अणे मार्ग पर तैनात सचिवालय थाने का इंचार्ज एक महिला कार्यकर्ता को हिदायत देते हुए कहता है कि ‘ महिला हो, महिला की तरह रहो…’ इस मर्दाना पुलिसकर्मी का वास्ता अपने अधिकारों से वाकिफ महिला से पहली बार हुआ। शायद इस पुलिसकर्मी के मन में महिला की तस्वीर शोषित, पीड़ित, दबी कुचली और इन जैसे पुलिसकर्मियों की घुड़की पर घुटनों पर बैठ जाने वाली रही होगी। तभी तो वो लगाता महिला पर हावी होने की कोशिश करता रहा। पुरुषवादी सोच वाले पुलिसकर्मी की तरफ से ये चेतावनी थी, ‘महिला हो महिला की तरह रहो’… वर्ना वो शायद महिला कैसी होती है ये बताने और मर्दानगी दिखाएंगे। बहरहाल, पटना पुलिस की मुलाकात शनिवार को अपने अधिकारों और आत्मविश्वास से भरी महिला से हो गई। लिहाजा पुलिसकर्मी ने उसे महिला होने का पाठ पढ़ाने की कोशिश की लेकिन सचिवालय थाना इंचार्ज सीपी गुप्ता को मुंंह की खानी पड़ी।
ऐसी छोटी सोच की वजह से होते हैं बलात्कार
योगिता भयाना (Yogita bhayana) ने कहा आप जैसे पुलिसकर्मियों की छोटी सोच की वजह से बलात्कार होते हैं और ऐसी ही सोच की वजह से इन्हें न्याय नहीं मिल पता। इस पर आस पास खड़ी सभी महिला पुलिसकर्मी भी योगिता का चेहरा चुपचाप देखती रहीं। किसी महिला पुलिसकर्मी की हिम्मत नहीं हुई कि सामाजिक कार्यकर्ता को हाथ लगा दे। पुलिसकर्मी ने कहा महिला हो तो महिला की रहो… इस पर योगिता ने कहा ‘महिला हूं तो कम हूं क्या?
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8 साल की रेप पीडि़ता के लिए न्याय मांगने पहुंंची थी महिला कार्यकर्ता
दरअसल, ये महिला कार्यकर्ता योगिता भयाना हैं, जो महिलाओं के अधिकारों, उनपर हुए अत्याचारों, बलात्कार पीडि़ताओं की आवाज उठाती हैं। शनिवार को योगिता सीएम हाउस यानी 1 अणे मार्ग पहुंची थीं। बांका में रेप के बाद 8 साल की मासूम की रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। दरिंदगी की हद पार करते हुए बच्ची की आंख निकाल ली गई। उसका चेहरा खराब कर दिया गया और मौत के घाट उतार कर नाले में दफना दी गई थी। पीड़िता का परिवार भी कार्यकर्ता के साथ न्याय मांगने पहुंचा था।
न्याय तो दूर मरहम भी नहीं नसीब, पुलिसकर्मी ने कहा मरो
होली के दिन बांका में 8 साल की मासूम बलात्कार के बाद नाले में गाड़ दी गई थी। हत्यारे ने हत्या कर बच्ची की आंख निकाल ली, पहचान न हो सके इस लिए चेहरे भी खराब कर दिया। मगर मुख्यमंत्री आवास से न्याय के आश्वासन की बात तो दूर परिजनों को यहां से मरहम भी नहीं मिला। योगिता प्रदेश के राजा के पास गुहार लगाने पहुंची थीं। कोशिश घंटा बजाकर अपनी बात सुनाने की थी लेकिन फरियादी को दरबार तक पहुंचने से पहले संत्रियों ने रोक दिया। पिता न्याय की गुहार लगाता हुआ सीएम आवास के गेट पर बैठ गया। उसने कहा अगर न्याय नहीं मिला तो मैं यहीं मर जाउंगा आत्मदाह कर लूंगा, इस पर पुलिसकर्मी ने कहा मरो…।
मगर शर्म है कि इनको आती नहीं ….
बताते चलें कि बेशर्मी की हद तो तब देखने को मिली जब पुरुष पुलिसकर्मी सीपी गुप्ता बार-बार बेहयी से यह कहते नजर आए कि महिला हो तो, महिला की तरह रहो… इस पर योगिता ने विरोध भी जताया, मगर इस पुलिसकर्मी ने कहा ‘हां एकदम मैडम आप महिला हैं महिला की तरह रहिए…’ इसके बाद सचिवालय इंचार्ज ने पास खड़ी महिला पुलिसकर्मियों को योगिता को हटाने का आदेश दिया, लेकिन किसी महिला ने योगिता को हाथ नहीं लगाया।
बिहार पुलिस की सूरत बदली, लेकिन नहीं बदल पाए मानसिकता
वह राज्य जहां के मुखिया महिलाओं की बराबरी की बात करते हैं। उन्होंने पुलिस विभाग में महिलाओं की भर्ती की, इस भर्ती ने प्रदेश की तस्वीर बदली, विभाग की सूरत बदली, लेकिन शर्म की बात है कि नीतीश कुमार ऐसे बिहार में पुरुष पुलिसकर्मियों को मानसिकता और सीरत बदलने का इंजेक्शन नहीं लगा पाए। इसी राज्य के मुखिया ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दिया, जिसे केंद्र ने स्वीकार किया। इसी राज्य मुखिया लगभग 10 सालों से हर सभाओं में इस बात का प्रचार करते रहे कि उनके राज्य में महिलाएं मजबूत हुई हैं अपने अधिकारों को लेकर सचेत हुई हैं। उनके जागरूक होने से जन्म दर और शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। उसी प्रदेश मुखिया के आवास के बाहर एक एक्टिविस्ट को ‘महिला हो महिला की तरह’ रहने की चेतावनी दी जाती है। ये अपने आप में शर्मनाक घटना है।
नोट : लेख में लेखक के निजी विचार हैं।
महिला हो महिला की तरह रहो
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योगिता भयाना (Yogita bhayana) ने कहा आप जैसे पुलिसकर्मियों की छोटी सोच की वजह से बलात्कार होते हैं और ऐसी ही सोच की वजह से इन्हें न्याय नहीं मिल पता। इस पर आस पास खड़ी सभी महिला पुलिसकर्मी भी योगिता का चेहरा चुपचाप देखती रहीं। किसी महिला पुलिसकर्मी की हिम्मत नहीं हुई कि सामाजिक कार्यकर्ता को हाथ लगा दे। पुलिसकर्मी ने कहा महिला हो तो महिला की रहो… इस पर योगिता ने कहा ‘महिला हूं तो कम हूं क्या?
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8 साल की रेप पीडि़ता के लिए न्याय मांगने पहुंंची थी महिला कार्यकर्ता
दरअसल, ये महिला कार्यकर्ता योगिता भयाना हैं, जो महिलाओं के अधिकारों, उनपर हुए अत्याचारों, बलात्कार पीडि़ताओं की आवाज उठाती हैं। शनिवार को योगिता सीएम हाउस यानी 1 अणे मार्ग पहुंची थीं। बांका में रेप के बाद 8 साल की मासूम की रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। दरिंदगी की हद पार करते हुए बच्ची की आंख निकाल ली गई। उसका चेहरा खराब कर दिया गया और मौत के घाट उतार कर नाले में दफना दी गई थी। पीड़िता का परिवार भी कार्यकर्ता के साथ न्याय मांगने पहुंचा था।
न्याय तो दूर मरहम भी नहीं नसीब, पुलिसकर्मी ने कहा मरो
होली के दिन बांका में 8 साल की मासूम बलात्कार के बाद नाले में गाड़ दी गई थी। हत्यारे ने हत्या कर बच्ची की आंख निकाल ली, पहचान न हो सके इस लिए चेहरे भी खराब कर दिया। मगर मुख्यमंत्री आवास से न्याय के आश्वासन की बात तो दूर परिजनों को यहां से मरहम भी नहीं मिला। योगिता प्रदेश के राजा के पास गुहार लगाने पहुंची थीं। कोशिश घंटा बजाकर अपनी बात सुनाने की थी लेकिन फरियादी को दरबार तक पहुंचने से पहले संत्रियों ने रोक दिया। पिता न्याय की गुहार लगाता हुआ सीएम आवास के गेट पर बैठ गया। उसने कहा अगर न्याय नहीं मिला तो मैं यहीं मर जाउंगा आत्मदाह कर लूंगा, इस पर पुलिसकर्मी ने कहा मरो…।
मगर शर्म है कि इनको आती नहीं ….
बताते चलें कि बेशर्मी की हद तो तब देखने को मिली जब पुरुष पुलिसकर्मी सीपी गुप्ता बार-बार बेहयी से यह कहते नजर आए कि महिला हो तो, महिला की तरह रहो… इस पर योगिता ने विरोध भी जताया, मगर इस पुलिसकर्मी ने कहा ‘हां एकदम मैडम आप महिला हैं महिला की तरह रहिए…’ इसके बाद सचिवालय इंचार्ज ने पास खड़ी महिला पुलिसकर्मियों को योगिता को हटाने का आदेश दिया, लेकिन किसी महिला ने योगिता को हाथ नहीं लगाया।
बिहार पुलिस की सूरत बदली, लेकिन नहीं बदल पाए मानसिकता
वह राज्य जहां के मुखिया महिलाओं की बराबरी की बात करते हैं। उन्होंने पुलिस विभाग में महिलाओं की भर्ती की, इस भर्ती ने प्रदेश की तस्वीर बदली, विभाग की सूरत बदली, लेकिन शर्म की बात है कि नीतीश कुमार ऐसे बिहार में पुरुष पुलिसकर्मियों को मानसिकता और सीरत बदलने का इंजेक्शन नहीं लगा पाए। इसी राज्य के मुखिया ने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा दिया, जिसे केंद्र ने स्वीकार किया। इसी राज्य मुखिया लगभग 10 सालों से हर सभाओं में इस बात का प्रचार करते रहे कि उनके राज्य में महिलाएं मजबूत हुई हैं अपने अधिकारों को लेकर सचेत हुई हैं। उनके जागरूक होने से जन्म दर और शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। उसी प्रदेश मुखिया के आवास के बाहर एक एक्टिविस्ट को ‘महिला हो महिला की तरह’ रहने की चेतावनी दी जाती है। ये अपने आप में शर्मनाक घटना है।
नोट : लेख में लेखक के निजी विचार हैं।
महिला हो महिला की तरह रहो